पाँच उल्लासमय पर्वों की “मालिका” दीपमालिका

कल धनतेरस है – दीपावली के प्रकाश पर्व का प्रथम दिवस | दीपावली वास्तव में पाँच पर्वों की एक श्रृंखला है – जिसमें दीपावली बीच की कड़ी है | अर्थात मुख्य पर्व लक्ष्मी पूजन से दो दिन पूर्व आरम्भ होकर दो दिन बाद तक चलने वाला पर्व है दीपावली | इस श्रृंखला की सबसे पहली कड़ी है कल मनाया जाने वाला धनतेरस, जैसा कि नाम से ही विदित होता है – इस दिन स्वर्णाभूषण तथा घर दुकान आदि के लिए नया सामान लाने की प्रथा है, तथा सायंकाल दीप प्रज्वलित किये जाते हैं | देवताओं के वैद्य धन्वतरि जी की जयन्ती भी इसी दिन मनाई जाती है |

दूसरी कड़ी है नरक चतुर्दशी, इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है | इसके विषय में कई पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ प्रचलित हैं | जिनमें सबसे प्रसिद्ध तो यही है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके उसके बन्दीगृह से सोलह हज़ार एक सौ कन्याओं को मुक्त कराके उन्हें सम्मान प्रदान किया था | इसी उपलक्ष्य में दीपमालिका प्रकाशित की जाती है |

एक कथा कुछ इस प्रकार भी है कि यमदूत असमय ही पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा रन्तिदेव को लेने पहुँच गए | कारण पूछने पर यमदूतों ने बताया कि एक बार अनजाने में एक ब्राहमण उनके द्वार से भूखा लौट गया था | अनजाने में किये गए इस पापकर्म के कारण ही उनको असमय ही नरक जाना पड़ रहा है | राजा रन्तिदेव ने यमदूतों से एक वर्ष का समय माँगा और उस एक वर्ष में घोर तप करके कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को पारायण के रूप में ब्रह्मभोज कराके अपने पाप से मुक्ति प्राप्त की | माना जाता है कि तभी से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है |

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर यमराज के लिए तर्पण किया जाता है और सायंकाल दीप प्रज्वलित किये जाते हैं | माना जाता है कि विधि विधान से पूजा करने वालों को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और अन्त में वे स्वर्ग के अधिकारी होते हैं |

बीच में तीसरी कड़ी है मुख्य पर्व – लक्ष्मी पूजन, चतुर्थ कड़ी गोवर्धन पूजा – जो भगवान कृष्ण ने आरम्भ की थी | और पंचम तथा अन्तिम कड़ी है भाई दूज | इस प्रकार भाई दूज के साथ पाँच पर्वों की इस श्रृंखला दीपावली का समापन होता है |

कथाएँ जितनी भी हों, इतना तो निश्चित है कि दीपावली प्रकाश का उल्लासमय पर्व है और उसके पहले आने वाले धनतेरस और नरक चतुर्दशी से आरम्भ होकर इसके बाद आने वाले गोवर्धन पूजा और भाई दूज तक इस पर्व का उलास छाया रहता है…

सभी को धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ…