चन्द्र स्तुति
चन्द्र स्तुति – आज खग्रास चन्द्रग्रहण है – एक ऐसी भव्य खगोलीय घटना के साक्षी आज भारत सहित संसार के बहुत से देश बनेंगे जिसे वैज्ञानिकों ने Super Blue Blood Moon नाम दिया है | और साथ ही कहा जा रहा है कि ऐसी आकर्षक खगोलीय घटना अब बहुत वर्षों तक देखने को नहीं मिलेगी | इसलिए इस घटना से भयग्रस्त होने की अथवा किसी प्रकार के वहम में पड़ने की आवश्यकता नहीं है | फिर भी, ग्रहण के समय आप दो कार्य कर सकते हैं – या तो राहु की शान्ति के लिए राहु के बीज मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का जाप कर सकते हैं | अथवा “महामृत्युंजयस्तोत्र” का पाठ कर सकते हैं, जो इस प्रकार है:
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ||
Vedic Astrologers के अनुसार चन्द्रमा आज कर्क राशि में संचार कर रहा है जो उसकी अपनी राशि है | और जब कोई अपने ही घर में होता है तो उसे किसी प्रकार कष्ट पहुँचाने का प्रयास कोई सरलता से नहीं कर सकता | क्योंकि अपने घर से बढ़कर सुरक्षा और कहाँ हो सकती है ? साथ ही पुष्य नक्षत्र में है – जिसका अर्थ है पुष्टि प्रदान करना | ग्रहण की समाप्ति पर चन्द्रमा आश्लेषा नक्षत्र में होगा – वह भी एक अच्छा नक्षत्र है | तो फिर भय किस बात का ? फिर भी चन्द्रदेव को और अधिक बलिष्ठ करने के लिए चन्द्रस्तुति का पाठ किया जा सकता है, जो नीचे प्रस्तुत है…
|| अथ चन्द्रस्य स्तुति: ||
क्षीरोदार्णवसम्भूत आत्रेयगोत्रसमुद्भव: |
गृहाणार्ध्यं शशांकेदं रोहिण्यसहितो मम ।।
ॐ श्री चन्द्रमसे नमः
अस्य श्री चन्द्र कवच स्तॊत्र महा मंत्रस्य, गौतम ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, श्री चन्द्रो दॆवता | चन्द्र: प्रीत्यर्थॆ जपॆ विनियॊग: ॥
कवचं
समं चतुर्भुजं वंदॆ कॆयूर मकुटॊज्वलम् ।
वासुदॆवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ॥
ऎवं ध्यात्वा जपॆन्नित्यं शशिन: कवचं शुभम् ।
शशि: पातु शिरॊ दॆशं फालं पातु कलानिधि ॥
चक्षुषि: चन्द्रमा: पातु श्रुती पातु निशापति: ।
प्राणं कृपाकर: पातु मुखं कुमुदबान्धव: ॥
पातु कण्ठं च मॆ सॊम: स्कन्धे जैवातृकस्तथा ।
करौ सुधाकर: पातु वक्ष: पातु निशाकर: ।|
हृदयं पातु मॆ चन्द्रो नाभिं शंकरभूषण: ।
मध्यं पातु सुरश्रॆष्ट: कटिं पातु सुधाकर: ।|
ऊरू तारापति: पातु मृगांकॊ जानुनी सदा ।
अभ्दिज: पातु मॆ जंघॆ पातु पादौ विधु: सदा |।
सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपु: ।
ऎतद्धिकवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ।|
य: पठॆच्छृणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवॆत ।|
रोहिणीशः सुधामूर्ति: सुधागात्रो सुधाशन: |
विषमस्थानसंभूतां पीडां दहतु मे विधु: ||
सबीज वैदिक मंत्र:—
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ इमं देवाSसपत्नम् सुबद्धम्महते क्षत्राय महते जयैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्दियस्येन्द्रियाय | इमममुष्य: पुत्रमस्यैव्विशSएव वोSमी राजा सोमोSस्माकम्ब्राह्मणानां राजा | ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: श्रौं श्रीं श्रां ॐ सोमाय नमः ॐ
|| इति श्री चन्द्रकवचेन बीजमन्त्रेण च सहिता चन्द्रस्तुति: सम्पूर्णा ||