नव सम्वत्सर
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणी, त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||
माँ भगवती की इसी प्रार्थना के साथ सर्वप्रथम तो सभी को 18 मार्च से आरम्भ हो रहे नव सम्वत्सर की अग्रिम रूप से हार्दिक शुभकामनाएँ…
इस वर्ष शुभ योग और पूर्वा भाद्रद नक्षत्र में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का आगमन हो रहा है | 17 मार्च को 18:40 तक चैत्र अमावस्या है और उसके पश्चात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा आरम्भ हो जाएगी तथा 19:42 तक पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा | किन्तु सूर्योदय में प्रतिपदा 18 मार्च को है, अतः इसी दिन से विलम्बी नाम के सम्वत्सर – जिसे धन सम्पदा को देने वाला माना जाता है – का आरम्भ हो रहा है, जो कि विक्रम सम्वत 2075 है तथा शालिवाहन शक सम्वत 1940 है | इसी दिन से चैत्र नवरात्रों का भी आरम्भ होगा |
चैत्र और शारदीय दोनों नवरात्र में हिन्दू परिवारों में श्री दुर्गा सप्तशती के अनुष्ठान आदि का आयोजन घटस्थापना के साथ किया जाता है | 18 मार्च को सूर्योदय में प्रातः 06:31 पर बव (सिंह) करण और शुक्ल योग है, चन्द्रमा मीन राशि तथा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में है तथा सूर्य मीन राशि और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में है और आठ बजे उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में पहुँच जाएगा जिस कारण सर्वार्थ सिद्धि योग बन जाएगा | सूर्योदय में मीन लग्न में 06:31 से 06:58 के मध्य घट स्थापना का मुहूर्त शुभ है, क्योंकि इस अवधि में लग्न और नवांश दोनों उत्तम हैं तथा ग्रहों का गोचर भी शुभ है | यदि सूर्योदय में घट स्थापना नहीं की जा सकती तो वृषभ लग्न में घट स्थापना की जा सकती है | वृषभ लग्न का आरम्भ नौ बजकर चौबीस मिनट पर होगा | अन्यथा, यदि किसी विशेष कामना की सिद्धि के लिए श्री दुर्गा सप्तशती व्रत का अनुष्ठान कर रहे हैं तो घट स्थापना के लिए अपनी जन्म कुण्डली के अनुसार विशिष्ट मुहूर्त के ज्ञान के लिए किसी Vedic Astrologer के पास भी जा सकते हैं |
पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण आरम्भ किया था, इसलिये भी इस तिथि को नव सम्वत्सर के रूप में मनाया जाता है | भारत में वसन्त ऋतु के अवसर पर नूतन वर्ष का आरम्भ मानना इसलिये भी उत्साहवर्द्धक है क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं तथा चारों ओर हरियाली छाई रहती है और प्रकृति नवीन पत्र-पुष्पों द्वारा अपना नूतन श्रृंगार करती है, तथा ऐसी भी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को दिन-रात का मान समान रहता है | राशि चक्र के अनुसार भी सूर्य इस ऋतु में राशि चक्र की प्रथम राशि मेष में प्रविष्ट होता है या होने वाला होता है | यही कारण है भारतवर्ष में नववर्ष का स्वागत करने के लिये पूजा अर्चना की जाती है तथा सृष्टि के रचेता ब्रह्मा जी से प्रार्थना की जाती है कि यह वर्ष सबके लिये कल्याणकारी हो | और इसीलिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को कलश स्थापना कर नौ दिन के लिये माँ दुर्गा के तीन महत्वपूर्ण रूपों – दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती – सहित नवदुर्गा की पूजा अर्चना का आरम्भ होता है | नौवें दिन यानी नवमी को यज्ञ इत्यादि करके माँ भगवती से सभी के लिये सुख-शान्ति तथा कल्याण की प्रार्थना की जाती है । इन नौ दिनों तक बहुत से लोग व्रत उपवास आदि भी करते हैं |
भारतीय जन मानस की आस्था नव सम्वत्सर की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ… अग्रिम रूप से… इस प्रार्थना के साथ कि माँ भवानी सभी के जीवन से समस्त विघ्न बाधाओं को दूर भगा सबके जीवन को हर प्रकार के सुख – वैभव – धन – सम्पदा – स्वास्थ्य आदि से परिपूर्ण करें…
देवी प्रपन्नार्ति हरे प्रसीद, प्रसीद मातर्जगतोSखिलस्य |
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं, त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ||