सर्वार्थ सिद्धि
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात 18 मार्च से भारतीय हिन्दू नव वर्ष का आरम्भ होने जा रहा है | इस नव वर्ष को “विलम्बी” नामक सम्वत्सर के रूप में जाना जाता है | इस सम्वत्सर का आरम्भ “सर्वार्थ सिद्धि” योग में हो रहा है | रविवार को सूर्य और चन्द्र दोनों उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में हैं, अतः सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है | यद्यपि ऐसा माना जाता है कि यदि प्रतिपदा अथवा तृतीया तिथि हो तो यह योग निष्फल हो जाता है | किन्तु सूर्य और चन्द्र दोनों उत्तरभाद्रपद नक्षत्र में होने के कारण सर्वार्थ सिद्धि योग को बल मिल रहा है | जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, सर्वार्थ सिद्धि अर्थात समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला – समस्त कार्यों को सिद्ध करने वाला | चन्द्र नक्षत्र और वारों के विविध संयोगों से यह योग बनता है | आइये जानते हैं यह योग बनता किस प्रकार है…
रविवार को यदि चन्द्रमा अश्वनी, पुष्य, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, मूल, उत्तराषाढ़, अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में हो तो सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है | किन्तु माना जाता है कि प्रतिपदा अथवा तृतीया तिथि यदि उस दिन हो तो यह योग निष्फल हो जाता है |
सोमवार को चन्द्रमा यदि रोहिणी, मृगशिर, पुष्य, अनुराधा अथवा श्रवण नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र में हो | किन्तु इस दिन यदि द्वितीया अथवा एकादशी तिथि में से कोई है तो इस योग का फल कम हो जाता है |
मंगलवार को अश्वनी, कृत्तिका, आश्लेषा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हो | किन्तु तृतीया, नवमी अथवा द्वादशी तिथि होने से इस योग को निष्फल माना जाता है |
बुधवार को कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, हस्त अथवा अनुराधा नक्षत्र में चन्द्रमा हो | किन्तु सप्तमी, नवमी अथवा एकादशी तिथि होने पर इस योग को निष्फल माना जाता है |
गुरूवार को अश्वनी, पुनर्वसु, पुष्य, अनुराधा अथवा रेवती नक्षत्रों में | इस दिन कोई भी तिथि हो, यह योग पूर्ण रूप से फलदायी माना जाता है |
शुक्रवार को अश्वनी, पुनर्वसु, अनुराधा, श्रवण अथवा रेवती नक्षत्र हों | इस दिन भी गुरूवार की ही भाँति किसी भी तिथि में इस योग को पूर्ण फलदायी माना जाता है |
शनिवार को चन्द्रमा रोहिणी, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र में हो तो यह सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है | किन्तु इस दिन यदि एकादशी अथवा त्रयोदशी तिथि हो इस नक्षत्र को निष्फल माना जाता है |
किन्तु किसी भी योग से ऊपर मनुष्य का अपना कर्म होता है | यही कारण है कि प्रायः सभी Vedic Astrologer व्यक्ति को यही सलाह देते हैं कि अच्छे योग और अच्छे मुहूर्त में कार्य का आरम्भ करने के साथ ही कर्म करते समय व्यक्ति के संकल्प में दृढ़ता तथा भाव सकारात्मक होना चाहिए… दृढ़ संकल्प शक्ति तथा सकारात्मक भाव से किया कर्म अवश्य सफल होता है…