Shree Brihaspati Stotram
श्री बृहस्पति स्तोत्रम्
भारतीय वैदक ज्योतिष – Indian Vedic Astrology – के अनुसार देवगुरु बृहस्पति यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में उत्तम स्थिति में हैं तो जातक को ज्ञानवान, लब्धप्रतिष्ठ, उत्तम सन्तान तथा जीवन साथी से युक्त तथा अपने ज्ञान के बल पर जीविकोपार्जन करने वाला बनाते हैं | साथ ही प्रायः देखा गया है कि गुरु की स्थिति जातक की कुण्डली में यदि अनुकूल हो तो उसकी दशा अन्तर्दशा में समस्त कामनाओं की पूर्ति भी होने की सम्भावना रहती है | किन्तु वही गुरु यदि अशुभ स्थिति या प्रभाव में हो तो जातक दरिद्र, क्रोधी तथा दुर्बुद्धि भी हो सकता है | गुरुदेव सदा प्रसन्न रहें इस कामना से प्रायः Vedic Astrologer कुछ मन्त्रों के जाप का विधान बताते हैं | जिनमें गुरु स्तोत्र भी आते हैं | प्रस्तुत हैं गुरु स्तोत्र के दो रूप, जातक अपनी सुविधानुसार किसी भी स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं…
यह प्रथम स्तोत्र “मन्त्रमहार्णव” से उद्धृत है…
पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी, चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: |
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च, तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम् ||
नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम: |
नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग: ||
सदानन्द नमस्तेSस्तु नम: पीडाहराय च |
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ||
नमोSद्वितीयरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम: |
नम: प्रहृष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम: ||
नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक: |
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे ||
विषमस्थस्तथा नृणां सर्वकष्टप्रणाशनम् |
प्रत्यहं तु पठेद्यो वै तस्य कामफलप्रदम् ||
|| इति मन्त्रमहार्णवे बृहस्पतिस्तोत्रम् ||
निम्नलिखित स्तोत्र स्कन्दपुराण से उद्धृत है…
|| अथ श्री बृहस्पतिस्तोत्रम् ||
अस्य श्री बृहस्पतिस्तोत्रस्य गृत्समद ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द:, बृहस्पतिर्देवता, बृहस्पति प्रीत्यर्थं जपे विनियोग:
गुरुर्बृहस्पतिर्जीव: सुराचार्यो विदां वरः |
वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ||
सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः |
दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुड्मलद्युतिः ||
लोकपूज्यो लोकगुरुः नीतिज्ञो नीतिकारकः |
तारापतिश्चाङ्गिरसो वेदवेद्यः पितामहः ||
भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् |
अरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः ||
जीवेत् वर्षशतं मर्त्यः पापं नश्यति नश्यति |
यः पूजयेत् गुरुदिने पीतगन्धाक्षताम्बरैः ||
पुष्पदीपोपहारैश्च पूजयित्वा बृहस्पतिम् |
ब्रह्मणान् भोजयित्वा च पीडाशान्तिर्भवेत् गुरोः ||
|| इति श्री स्कन्दपुराणे बृहस्पतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ||
देवगुरु बृहस्पति सभी को सद्बुद्धि प्रदान कर ज्ञान विज्ञान में पारंगत करते हुए समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करें…