Mercury Transit in Aries
बुध का मेष राशि में संक्रमण
पीतमाल्याम्बरधर: कर्णिकारसमद्युति: |
खडगचर्मगदापाणि: सिंहस्थो वरदो बुध: ||
जैसा कि सभी जानते हैं – बुध अपने नाम के अनुरूप ही बुद्धि का कारक ग्रह है तथा यह एक राशि में प्रायः एक माह तक भ्रमण करता है, किन्तु वक्री, अस्त अथवा अतिचारी होने पर इस अवधि में कुछ दिनों का अन्तर भी पड़ सकता है | जैसे इस बार ही तीन मार्च से लेकर नौ मई तक बुध का गोचर मीन राशि में चल रहा था | अभी कल नौ मई तक मीन राशि में भ्रमण करने के बाद बुध नौ मई को 17:30 पर मेष राशि में प्रस्थान कर जाएगा | यहाँ 27 मई को प्रातः 8:23 तक निवास करके आगे वृषभ राशि में प्रवेश कर जाएगा | मेष राशि में इनके मित्र भगवान् भास्कर इनकी अगवानी के लिए पहले से पहुँचे हुए हैं और 14 मई तक उनका साथ देकर सूर्यदेव वहाँ से वृषभ राशि में प्रस्थान कर जाएँगे | नौ मई से चौबीस जून तक बुध की गति बहुत तीव्र रहेगी और इन लगभग 47 दिनों की अवधि में यह मेष, वृषभ और मिथुन तीन राशियाँ पार करके कर्क में जाकर विश्राम करेगा |
बुध को रूपवान, मधुरभाषी तथा स्पष्टवक्ता माना जाता है | इसका वर्ण हरा है तथा इसे कालपुरुष की वाणी भी कहा जाता है और सभी ग्रहों के युवराज के पद पर सुशोभित किया जाता है | यही कारण है जिन व्यक्तियों का बुध प्रबल होता है उनकी वाणी स्पष्ट तथा मधुर होती है | बुध मिथुन तथा कन्या राशियों तथा आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्रों का स्वामी ग्रह है | कन्या बुध की उच्च राशि भी है | सूर्य और शुक्र के साथ इसकी मित्रता है, चन्द्रमा से शत्रुता तथा अन्य ग्रहों के साथ यह तटस्थ भाव में रहता है | यह उत्तर दिशा तथा शरद ऋतु का स्वामी माना जाता है |
अपनी इस यात्रा के दौरान बुध 17 मई तक अश्वनी नक्षत्र में, उसके बाद 24 मई तक भरणी में, और अन्त में कृत्तिका नक्षत्र में भ्रमण करते हुए 27 मई को वृषभ राशि में प्रस्थान कर जाएगा | ये तीनों ही अधोमुखी स्त्री नक्षत्र हैं | इनमें अश्विनी नक्षत्र जल कफ तत्त्वयुक्त तीक्ष्ण प्रकृति का कर्मशील नक्षत्र है | इसके देवता अश्विनी कुमार तथा देवता केतु है | भरणी पृथिवी और पित्त तत्वयुक्त मृदुतीक्ष्ण प्रकृति का सन्तुलित स्वभाव का नक्षत्र है | इसके देवता यम और और अधिपति शुक्र हैं | कृत्तिका पृथिवी और कफ प्रकृति का कर्मशील मृदुतीक्ष्ण नक्षत्र है | इसके देवता अग्नि और अधिपति सूर्य हैं | इन्हीं समस्त बातों को ध्यान में रखते हुए सभी राशियों पर बुध के मेष राशि में होने वाले गोचर के सम्भावित प्रभावों के विषय में बात करते हैं…
मेष – आपके लिए बुध तीसरे और छठे भावों का स्वामी होकर लग्न में गोचर कर रहा है | आपके लिए इसका मिश्रित फल हो सकता है | आपके छोटे भाई बहनों के साथ आपके सम्बन्धों में किसी प्रकार का उत्पन्न हो सकता है | किन्तु बुध स्वभाव में विनम्रता का भी कारक होता है | आप अपनी बुद्धिमत्ता और विनम्र स्वभाव से उस तनाव को दूर करने में समर्थ हो सकते हैं |
वृष – आपका द्वितीयेश और पंचमेश होकर बुध का गोचर आपके द्वादश भाव में हो रहा है | यदि आप किसी नौकरी में हैं तो आपकी पदोन्नति होकर आपका कहीं ट्रांसफर भी हो सकता है | अपना स्वयं का व्यवसाय है तो भी आपको बाहर से आर्थिक लाभ की सम्भावना की जा सकती है | आपकी सन्तान उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा सकती है | आप भी उच्च शिक्षा के लिए अथवा संगोष्ठियों आदि में भाग लेने के लिए विदेश अथवा किसी अन्य शहरों की यात्राएँ कर सकते हैं | किन्तु जिस तरह आपकी आय में वृद्धि की सम्भावना है उसी प्रकार आपके खर्च भी बढ़ सकते हैं, अतः बजट बनाकर चलेंगे तो इस स्थिति से बच सकते हैं |
मिथुन – आपके लिए बुध लग्नेश और चतुर्थेश होकर योगकारक है | आपकी लग्न से यह लाभ स्थान में गोचर कर रहा है | आपके लिए विशेष रूप से यह भाग्योदय का समय प्रतीत होता है | पहले से रुके हुए कार्य बन सकते हैं | नौकरी में हैं तो पदोन्नति के साथ साथ किसी प्रकार के पुरूस्कार और सम्मान आदि भी प्राप्त होने की सम्भावना है | बड़े भाई, मित्रों तथा धिकारी वर्ग का सहयोग इस अवधि में आपको प्राप्त होता रहेगा | परिवार में आनन्द का वातावरण रहने की सम्भावना है |
कर्क – कर्क राशि के लिए तृतीयेश और द्वादशेश होकर बुध का गोचर आपकी लग्न से कर्म स्थान में गोचर कर रहा है | आरम्भ में कार्य में व्यवधान भी उपस्थित हो सकते हैं, किन्तु अन्त में अपनी बुद्धि के बल पर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकने में समर्थ हो सकते हैं | कार्य के सिलसिले में आपको दूर पास की यात्राएँ भी करनी पड़ सकती हैं, किन्तु इन यात्राओं के दौरान आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा | कफ से सम्बन्धित अथवा जोड़ों और माँसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है |
सिंह – आपके लिए बुध द्वितीयेश और एकादशेश होकर आपके भाग्य स्थान में मित्र ग्रह तथा लग्नेश सूर्य के साथ गोचर कर रहा है | आपके लिए विशेष रूप से भाग्योदय का समय प्रतीत होता है | व्यवसाय में प्रगति, नौकरी में पदोन्नति तथा अर्थ और यश प्राप्ति के संकेत हैं | साथ ही यदि आप कोई नया कार्य आरम्भ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी अनुकूल समय प्रतीत होता है | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि बढ़ सकती है | आपके पिता तथा मित्रों का सहयोग आपको निरन्तर प्राप्त होता रहेगा |
कन्या – आपके लिए आपका लग्नेश तथा दशमेश होकर बुध योगकारक ग्रह है तथा आपकी राशि से अष्टम भाव में अपने मित्र ग्रह तथा द्वादशेश सूर्य के साथ गोचर कर रहा है | स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ आपके कार्य में बाधक बन सकती हैं अता अपने खान पर नियन्त्रण रखने तथा नियमित व्यायाम करने की आवश्यकता है | सहकर्मियों का तथा मित्रों का साथ आपको उपलब्ध रहेगा जिसके कारण आपका उत्साहवर्धन होगा | अचानक ही आपको कोई नया कार्य भी प्राप्त हो सकता है जो आपको लम्बे समय तक व्यस्त रख सकता है तथा कार्य से सम्बन्धित विदेश यात्राओं में वृद्धि हो सकती है |
तुला – आपके लिए बुध भाग्येश तथा द्वादशेश है तथा आपके राश्यधिपति शुक्र का मित्र ग्रह होकर आपकी राशि से सप्तम भाव में अपने दूसरे मित्र एकादशेश सूर्य के साथ गोचर कर रहा है | आपके अपने कार्य के लिए यह गोचर लाभदायक प्रतीत होता है | सम्भव है आपके जीवन साथी अथवा प्रेमी / प्रेमिका को आपसे कहीं दूर जाना पड़ जाए | साथ ही अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है |
वृश्चिक – आपके लिए बुध अष्टमेश और एकादशेश है तथा आपके छठे भाव में दशमेश के साथ गोचर करने जा रहा है | एक ओर जहाँ आपके स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचर कुछ अनुकूल नहीं प्रतीत होता, वहीं दूसरी ओर यदि किसी प्रकार का कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसमें अनुकूल दिशा में प्रगति की सम्भावना तथा उसके द्वारा आपको लाभ की भी सम्भावना प्रतीत होती है | जोड़ों तथा माँसपेशियों में दर्द और पित्त तथा ज्वर आदि की समस्याओं से बचने के लिए उचित व्यायाम तथा खान पान पर ध्यान देने की आवश्यकता है |
धनु – धनु राशि के लिए सप्तमेश और दशमेश होकर बुध योगकारक हो जाता है तथा इस समय आपकी लग्न से पंचम भाव में अपने मित्र ग्रह के साथ गोचर करने वाला है | एक ओर आपकी निर्णायक क्षमता में वृद्धि की सम्भावना है, जिसके कारण आपके व्यवसाय में प्रगति होगी | नौकरी में हैं तो उसमें भी पदोन्नति की सम्भावना है | नए प्रोजेक्ट्स मिलने के कारण आप बहुत अधिक व्यस्त हो सकते हैं | वहीं दूसरी ओर आपकी सन्तान के लिए भी यह गोचर भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | सन्तान की ओर से कोई शुभ समाचार इस अवधि में आपको मिल सकता है |
मकर – बुध आपका षष्ठेश और भाग्येश है तथा आपके चतुर्थ भाव में अष्टमेश के साथ गोचर कर रहा है | आरम्भ में कुछ समय तक परिवार में किसी प्रकार के तनाव का सामना करना पड़ सकता है | हो सकता है परिवार में कोई प्रॉपर्टी से सम्बन्धित विवाद इस समय उग्र हो जाए | किन्तु धीरे धीरे स्थितियाँ सामान्य हो सकती हैं | आपकी माता जी के स्वास्थ्य के लिए भी यह गोचर कुछ अनुकूल नहीं प्रतीत होता | मानसिक तनावों के कारण सम्भव है आपकी रूचि धार्मिक कार्यों में बढ़ जाए |
कुम्भ – आपका पंचमेश और अष्टमेश होकर बुध आपके तृतीय भाव में गोचर कर रहा है | आपके पराक्रम में वृद्धि की सम्भावना है | अचानक ही आपको कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है | आपकी सन्तान के लिए यह गोचर विशेष रूप से लाभदायक प्रतीत होता है | सन्तान की ओर से कोई उत्साहवर्द्धक समाचार आपको प्राप्त हो सकता है | किन्तु अपने छोटे भाई बहनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की विशेष रूप से आवश्यकता है | साथ ही भाई बहनों के साथ कोई भी बहस बड़ा रूप लेक्र कोर्ट तक पहुँच सकती है, अतः इस स्थिति से बचने का प्रयास करें |
मीन – आपके लिए चतुर्थेश और सप्तमेश होकर बुध आपका योगकारक बन जाता है तथा आपके द्वादश भाव में गोचर कर रहा है | आपको तथा आपके जीवन साथी को कार्य के सिलसिले में दूर पास की यात्राओं में वृद्धि हो सकती है | इन यात्राओं में आर्थिक लाभ की भी सम्भावना है | आप सपरिवार भ्रमण के लिए भी जा सकते हैं | सम्भव है आप किसी दूसरे शहर में अथवा कहीं विदेश में निवास की ही योजना बना लें | अपनी माता जी के स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है |
ये समस्त फल सामान्य हैं | व्यक्ति विशेष की कुण्डली का व्यापक अध्ययन करके ही किसी निश्चित परिणाम पर पहुँचा जा सकता है | अतः कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक अध्ययन कराने के लिए किसी Vedic Astrologer के पास ही जाना उचित रहेगा |
अन्त में, ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते ही रहते हैं | सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है…