Mother’s Day

Mother's Day

Mother’s Day

मातृ दिवस

कल मातृ दिवस यानी “मदर्स डे” है | इसलिए आज का हमारा ये ब्लॉग समर्पित है मातृशक्ति को |

यों भारत जैसे परम्पराओं का निर्वाह करने वाले देश में ऐसे बहुत सारे पर्व आते हैं जो केवल और केवल मातृ शक्ति को ही समर्पित होते हैं, जिनमें सर्वप्रथम तो जितने भी देवता हैं उन सबकी पूजा उनकी देवियों के साथ ही होती है – जो प्रतीक है इस बात का कि मातृ शक्ति जब तक साथ न हो तब तक कुछ भी पूर्ण नहीं | इसके अतिरिक्त वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्र सबसे अधिक प्रमुख हैं | माँ भगवती की पूजा उपासना वास्तव में मात्तृ शक्ति का ही सम्मान है, साथ ही इस बात का संकेत भी है कि परिवर-समाज-देश की हर नारी को माँ भगवती के तीनों रूपों – सरस्वती-लक्ष्मी-दुर्गा जैसी ही बुद्धिमती, आर्थिक रूप से स्वावलम्बी तथा सशक्त होना आवश्यक है | इस प्रकार माताओं का सम्मान तो इस देश के कण कण में घुला मिला है | लेकिन फिर भी, इस तरह के “मदर्स डे” आदि के आयोजनों द्वारा वैश्विक स्तर पर एक दिन केवल माँ के लिए समर्पित करके माँ के उपकारों का स्मरण वास्तव में एक आनन्द और प्रेरणादायक प्रयास है, इसलिए स्वागत है “मदर्स डे” का, सभी माताओं को हृदय से नमन करते हुए मेरी अपनी माँ के साथ संसार की सभी माताओं को समर्पित हैं ये पंक्तियाँ…क्योंकि हम मातृशक्ति का सम्मान करेंगे तो समस्त ब्रह्माण्ड –  समस्त ग्रह नक्षत्र हमारे अनुकूल रहेंगे, ऐसी मेरी मान्यता है…

Mother's Day
Mother’s Day

माँ – जीवन के मधुर पलों की एक पुनरावृत्ति |

जो गढ़ती है आकार / एक बीज से

बाँहों में ले नवपल्लव को

झूमती है ऐसे / मानों पा लिया सब कुछ जीवन में |

देती है सम्बल लौह पुरुष की भाँति

और सिखाती है लाख़ तूफ़ानों में भी साहस से खड़े रहना |

अपने आँचल से ढाँप बचाती है हर आँधी से

और इस तरह बाँटती है विश्वास और नेह

और सिखाती है मुश्किल घड़ी में धीरज धरना |

हम बढ़ते रहें आगे / उठते रहें ऊपर

इस हेतु सीचती है जड़ों को हमारी / नेह के अमृत जल से |

बचाने को हर द्विविधा और आपत्ति से हमें

डटी रहती है पाषाणखण्ड की भाँति / अविचल / निडर |

स्नेह त्याग और एकनिष्ठता की साक्षात प्रतिमूर्ति

थाम लेती है स्नेहिल बाहों में / भटक जाने पर राह

और दिखाती है सही मार्ग / जिस पर चल पा सके हम अपना लक्ष्य |

खुद सहकर जीवन की हर विषमता / लुटाती है मृदुता |

फूलों सी कोमल और चाँदनी सी शीतल

ऐसी है करुणा माँ की

जिससे हर पल प्रवाहित होती है बस ममत्व की अमृत धारा |

माँ का उपवन सा आँचल

भर देता है खुशियों के असीमित पुष्प हमारी झोली में

जिनसे मिलती है अपनेपन की अपरिमित सुगन्ध |

नमन है ऐसी माँ को…

माँ – जो है शक्ति जीवन की…

माँ – जो है पुनरावृत्ति मधुर पलों की…

क्योंकि यही दान पाया है सृष्टि की हर नारी ने अपनी “माँ” से…

जिसे लुटाती है वो हर युग में / हर पल में…