Sun transit in Cancer
सूर्य का कर्क में गोचर – कर्क संक्रान्ति
आज यानी 16 जुलाई को 22:27 के लगभग सूर्यदेव अपने मित्र ग्रह चन्द्र की कर्क राशि में प्रस्थान कर जाएँगे | जहाँ 17 अगस्त को 06:50 तक भ्रमण करने के पश्चात अपनी स्वयं की राशि सिंह और मघा नक्षत्र में प्रविष्ट हो जाएँगे | कर्क राशि में भ्रमण करते हुए कुछ दिन इन्हें बुध का साथ मिलेगा | साथ ही इस पूरे माह कर्क राशि में राहु का साथ और मंगल तथा केतु की दृष्टि में रहेंगे | जिनमें मंगल सूर्य का मित्र ग्रह है | अपनी इस यात्रा के दौरान सूर्य अभी पुनर्वसु नक्षत्र पर है, जहाँ से 20 जुलाई को पुष्य तथा 3 अगस्त को आश्लेषा पर चले जाएँगे | कर्क राशि सूर्य की अपनी राशि सिंह से बारहवाँ भाव है और सूर्य की उच्च राशि मेष से चतुर्थ भाव है |
कर्क संक्रान्ति का महत्त्व मकर संक्रान्ति के समान ही होता है | आज से भगवान् भास्कर दक्षिण दिशा की अपनी यात्रा आरम्भ कर देंगे और छह माह बाद मकर संक्रान्ति पर पुनः उत्तर दिशा की यात्रा आरम्भ कर देंगे | कर्क संक्रान्ति को श्रवण संक्रान्ति अथवा सावन संक्रान्ति भी कहा जाता है | आज सूर्य के कर्क में संक्रमण के समय आषाढ़ शुक्ल पञ्चमी तिथि, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, बव करण और वरीयान योग होगा | कर्क संक्रान्ति से दिन की अवधि घटती जाती है और रात्रि की अवधि में वृद्धि होती जाती है | शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात माना गया है | इसी कारण वैदिक काल से ही उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता है | चातुर्मास अथवा चौमासा और श्राद्ध पक्ष भी इसी अवधि में आते हैं | संक्रान्ति काल में सूर्य, भगवान् विष्णु तथा शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्त्व माना जाता है |
तो जानने का प्रयास करते हैं कर्क राशि में सूर्य के संक्रमण के जनसाधारण पर क्या सम्भावित प्रभाव हो सकते हैं…
मेष : आपका पंचमेश आपकी राशि से चतुर्थ भाव में प्रवेश करेगा | आपके लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | परिवार में उत्सव, मंगल कार्य आदि की सम्भावना है | ये गोचर आपके तथा आपकी सन्तान दोनों के ही लिए अनुकूल प्रतीत होता है | साथ ही आपकी सन्तान की ओर से भी आपको शुभ समाचार प्राप्त हो सकते हैं | किन्तु परिवार में – विशेष रूप से सन्तान अथवा पिता के साथ – किसी प्रकार का व्यर्थ का विवाद भी सम्भव है | इससे बचने के लिए अपने Temperament में सुधार की आवश्यकता है |
वृषभ : आपकी राशि से चतुर्थेश का गोचर आपके तृतीय भाव में हो रहा है | एक ओर कहाँ आत्मविश्वास में वृद्धि के संकेत हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों को अपने कार्य अथवा स्वयं की योग्यता को लेकर सन्देह भी हो सकता है | भाई बहनों के साथ किसी प्रकार का विवाद भी सम्भव है, किन्तु पिता अथवा परिवार के किसी बुज़ुर्ग की मध्यस्थता से आप उस विवाद को सुलझा सकते हैं |
मिथुन : आपकी राशि से तृतीयेश का गोचर दूसरे भाव में हो रहा है | भाई बहनों के साथ सम्बन्धों में प्रगाढ़ता के संकेत तो हैं किन्तु साथ ही किसी बात पर कोई विवाद भी उत्पन्न हो सकता है जिसके कारण आपको किसी प्रकार का मानसिक कष्ट भी हो सकता है | अतः किसी भी विवाद को बढ़ने न देने का प्रयास करना आपके हित में होगा | तनाव के कारण आपको माइग्रेन आदि की समस्या भी सम्भव है |
कर्क : द्वितीयेश का गोचर लग्न में हो रहा है | मित्र ग्रह की राशि है किन्तु अशुभ प्रभाव में भी है | एक ओर जहाँ कार्य के सिलसिले में विदेश यात्राएँ करनी पड़ सकती हैं | इन यात्राओं में एक ओर जहाँ अर्थलाभ की आशा की जा सकती है वहीं दूसरी ओर अपने तथा जीवन साथी के स्वास्थ्य की ओर से भी सावधान रहने की आवश्यकता है | पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है |
सिंह : आपके राश्यधिपति का आपके बारहवें भाव में गोचर कर रहा है | आपको कहीं बाहर से कुछ नवीन प्रोजेक्ट्स आपको प्राप्त हो सकते हैं जो लम्बे समय तक आपको व्यस्त रखते हुए धनलाभ कराने में सक्षम होंगे | साथ ही नौकरी में प्रमोशन, मान सम्मान में वृद्धि तथा व्यवसाय में उन्नति के भी संकेत हैं | परिवार, मित्रों, बड़े भाई, पिता तथा अधिकारियों का सहयोग भी प्राप्त रहेगा | किन्तु आपको अपनी वाणी और व्यवहार पर संयम रखने की आवश्यकता है |
कन्या : आपका द्वादशेश आपके लाभ स्थान में गोचर कर रहा है | निश्चित रूप से कार्य की दृष्टि से समय अत्यन्त उत्साहवर्द्धक प्रतीत होता है | यदि आपके कार्य का सम्बन्ध विदेशों से है तब तो आपके लिए विशेष रूप से उत्साहवर्द्धक समय प्रतीत होता है | साथ ही कार्य से सम्बन्धित विदेश यात्राओं में वृद्धि की भी सम्भावना है | सन्तान अथवा पिता के साथ ब्यर्थ के विवाद से बचने की आवश्यकता है |
तुला : आपका एकादशेश आपके कर्म स्थान में गोचर कर रहा है | कार्य की दृष्टि से भाग्यवर्द्धक समय प्रतीत होता है | नौकरी में पदोन्नति की सम्भावना है | अपने स्वयं के व्यवसाय में भी वृद्धि की सम्भावना है | किन्तु परिवार के सदस्यों, पिता अथवा सहकर्मियों के साथ अपना व्यवहार यदि विनम्र नहीं रखा तो व्यर्थ का विवाद उत्पन्न हो सकता है |
वृश्चिक : आपकी राशि से दशमेश आपके भाग्य स्थान में गोचर कर रहा है | कार्य तथा आर्थिक दृष्टि से समय अनुकूल प्रतीत होता है | कार्य से सम्बन्धित विदेश यात्राओं के भी योग हैं | कार्य में अप्रत्याशित लाभ की भी सम्भावना है | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में रूचि में वृद्धि की भी सम्भावना है |
धनु : आपका भाग्येश आपके अष्टम भाव में गोचर कर रहा है | कार्य में उन्नति के संकेत हैं | किन्तु अकारण ही मानसिक तनाव की समस्या भी हो सकती है | गुप्त शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता है | रहस्य विद्यायों जैसे ज्योतिष आदि तथा धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि भी इस अवधि में हो सकती है | स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है |
मकर : आपका अष्टमेश सप्तम भाव में गोचर कर रहा है | मिश्रित फलों की सम्भावना है | पार्टनरशिप में कोई कार्य है तो उसमें किसी ग़लतफ़हमी के कारण व्यवधान भी उत्पन्न हो सकता है | साथ ही किसी अप्रत्याशित स्रोत से कार्य में लाभ की भी सम्भावना है | अपना तथा अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है |
कुम्भ : आपके लिए यह गोचर उतना अनुकूल नहीं प्रतीत होता | दाम्पत्य जीवन अथवा प्रेम सम्बन्धों में तनाव के संकेत प्रतीत होते हैं | किसी कोर्ट केस के कारण भी तनाव हो सकता है | सन्तान अथवा छोटे भाई बहनों के साथ भी कोई विवाद बड़ा रूप ले सकता है | अच्छा यही रहेगा इस समय किसी बहस में न पड़कर शान्तिपूर्वक समय आनुकूल होने की प्रतीक्षा करें |
मीन : षष्ठेश का पंचम भाव में गोचर है | एक ओर आपके आत्मविश्वास में वृद्धि तथा नौकरी में पदोन्नति के संकेत हैं | वहीं दूसरी ओर सन्तान अथवा परिवार के किसी अन्य सदस्य के साथ अकारण ही बहस भी हो सकती है | यदि आप पॉलिटिक्स में हैं तो आपको कोई पद प्राप्त होने की सम्भावना है | यदि किसी प्रतियोगी परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा है तो वह आपके पक्ष में आ सकता है | परिवार में किसी बच्चे का जन्म भी हो सकता है |
अन्त में, उपरोक्त परिणाम सामान्य हैं | किसी कुण्डली के विस्तृत फलादेश के लिए केवल एक ही ग्रह के गोचर को नहीं देखा जाता अपितु उस कुण्डली का विभिन्न सूत्रों के आधार पर विस्तृत अध्ययन आवश्यक है |
साथ ही, ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते ही रहते हैं | सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है…