Rakshabandhan Vrikshaabandhan

Raksha Bandhan

Rakshabandhan Vrikshaabandhan

रक्षाबन्धन, वृक्षारोपण, वृक्षाबन्धन

सर्वप्रथम सभी को प्रेम और सौहार्द के प्रतीक रक्षाबन्धन के इस उल्लासमय पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ…

इस रक्षा बन्धन आइये मिलकर शपथ लें कि “वृक्षारोपण के साथ ही वृक्षाबन्धन” भी करेंगे ताकि वृक्षों की रक्षा की जा सके…

Rakshabandhan Vrikshaabandhan
Rakshabandhan Vrikshaabandhan

क्योंकि इन्हीं से तो मिलती है हमें शुद्ध और ताज़ी हवा – जिसे कहते हैं प्राणवायु – जो है ज़रूरी जीवित रहने के लिए – लेकिन पहले वृक्षों की डालियों को मस्ती में झूमने का अवसर तो प्रदान करें…

सुन सकेंगे मस्त पंछियों की चहचहाट – जो पड़ चुकी है मन्द – क्योंकि उजाड़ दिए हैं हमने उनके घर – पहले उन्हें घोसला बनाने के लिए पेड़ों की डाली तो प्रदान करें…

हवाओं में बिखरेगी सुगन्धित पुष्पों द्वारा प्रदत्त मन को ताजगी प्रदान करने वाली सुगन्ध और दिशाओं में बिखरेंगे पुष्पों द्वारा लुटाए गए मन को हर्षित कर देने वाले रंग – पहले रंग बिरंगे पुष्पों को वृक्षों की डालियों पर प्रफुल्लित भाव से मुस्कुराने तो दें… 

तभी मिल सकेंगे ताज़े मीठे फल – पहले फलों को धारण करने के लिए वृक्षों को मजबूती तो दे दें… और तभी हमारी आने वाली पीढ़ियों को मिल सकेगी पेड़ों की घनी छाँह कुछ पल सुस्ताने के लिए – पहले वृक्षों की कलाइयों पर रक्षासूत्र बाँधकर उनकी रक्षा का संकल्प तो लें…

और रक्षा बन्धन से अधिक पवित्र दिन और क्या होगा “वृक्षाबन्धन” के संकल्प का… अन्यथा प्रकृति का आक्रोश बढ़ता रहेगा और वह अपने अपमान का – अपने दोहन का – प्रतिशोध इसी प्रकार लेती रहेगी – कभी बाढ़ के रूप में – तो कभी सूखे के रूप में, कभी पर्वतों और पृथिवी के स्खलन के रूप में – तो कभी भूकम्पों के रूप में… और कभी अन्य अनेकों प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के रूप में…

सभी को “रक्षाबन्धन” के साथ ही “वृक्षाबन्धन” के संकल्प की भी हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ… कि सभी का यह संकल्प अपनी पूर्णता को प्राप्त करे…

आओ मिलकर पेड़ लगाएँ, पेड़ों को मज़बूत बनाएँ

आज हमारा सुधरेगा, पर कल को भी हम स्वस्थ बनाएँ…

रक्षाबन्धन की सहस्रों वर्ष पुरानी परम्परा “वृक्षाबन्धन” को पुनर्जीवित करते हुए संकल्प लें वृक्षों की रक्षा का ताकि हमारा पर्यावरण स्वस्थ रहे और प्रकृति सदा हँसती मुस्कुराती हुई अपनी सम्पदा से हमारा आँचल समृद्ध करती रहे…