Constellation – Nakshatras

Constellation – Nakshatras

ConstellationNakshatras

रोहिणी

किसी भी आवश्यक कार्य के लिए वैदिक ज्योतिष के अनुसार मुहूर्त आदि का निर्णय करने में प्रमुख अंग सभी 27 नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति के क्रम में अब तक हमने अश्विनी, भरणी और कृत्तिका नक्षत्रों के नामों पर बात की | इसी क्रम में आज बात करते हैं रोहिणी नक्षत्र की | रोहिणी की निष्पत्ति रूह् धातु से हुई है जिसका अर्थ है उत्पन्न करना, वृद्धि करना, ऊपर चढ़ना, आगे बढ़ना, उन्नति करना आदि | इसके अतिरिक्त लम्बे बालों वाली स्त्री के लिए भी रोहिणी शब्द का प्रयोग होता है | दक्ष प्रजापति की पुत्री का नाम भी रोहिणी है, जिसका विवाह चन्द्रमा के साथ हुआ था और जो चन्द्रमा की सबसे अधिक प्रिय पत्नी है – “उपरागान्ते शशिनः समुपागता रोहिणी योगम्” |

रोहिणी
रोहिणी

इसके अतिरिक्त भगवान् श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम की माता तथा महाराज वसुदेव की एक पत्नी का नाम भी रोहिणी था | प्रथम बार रजस्वला हुई युवा कन्या को भी रोहिणी कहा जाता है “नववर्षा च रोहिणी” | सम्भव है इसीलिए रोहिणी नक्षत्र की वर्षा को भी उत्तम माना जाता है | संगीत में एक विशेष श्रुति अथवा मूर्च्छना को भी रोहिणी नाम दिया गया है | आकाश में जो बिजली चकती है उसे भी रोहिणी कहा जाता है | समस्त दुष्कर्मों को नियन्त्रित करने के लिए हाथ में लगाम लिए प्रजेश नामक देवता का भी एक नाम रोहिणी है | इसे प्राजापत्य – वह शक्ति जो रचना करती है – भी कहा जाता है |

बुध को चन्द्र और रोहिणी की सन्तान माना जाता है | माना जाता है कि रोहिणी वास्तव में देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा थीं | चन्द्रमा तारा पर आसक्त थे इसलिए उसका अपहरण करके अपने साथ ले गए | जब बृहस्पति को इस बात का पता चला तो उन्होंने चन्द्रमा से अपनी पत्नी वापस माँगी लेकिन चन्द्रमा ने मना कर दिया | जिसके परिणामस्वरूप दोनों में युद्ध हुआ | इस युद्ध में चन्द्रमा विजयी हुए और उन्होंने तारा अर्थात रोहिणी के साथ रहना आरम्भ कर दिया | कुछ समय बाद दोनों के एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसे बुध नाम दिया गया जो चन्द्रमा का उत्तराधिकारी घोषित हुआ |

इस नक्षत्र में पाँच तारे एक गाड़ी के आकार में होते हैं और यह अक्टूबर तथा नवम्बर के मध्य पड़ता है | इस नक्षत्र के अन्य नाम हैं धातृ – रचना करने वाला अथवा धारण करने वाला, द्रुहिन् – द्रोह करना, वृद्धि…