Ganesha Chaturthi
गणेश चतुर्थी
आज भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि है – विघ्न विनाशक गणपति की उपासना का पर्व | सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ..
लगभग समूचे देश में विघ्नहर्ता सुखकर्ता भगवान् गणेश की उपासना का पर्व गणेश चतुर्थी अथवा गणपति चतुर्थी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | मान्यता है कि इसी दिन भगवान् भगवान् शंकर ने अपने पुत्र गणेश के शरीर पर हाथी का सिर लगाया था और माता पार्वती अपने पुत्र को इसी रूप में पाकर अत्यन्त प्रसन्न हो गई थीं | इस दिन स्थान स्थान पर गणपति की प्रतिमाओं की स्थापना करके नौ दिनों तक उनकी पूजा अर्चना की जाती है और दसवें दिन पूर्ण श्रद्धा भक्ति भाव से उन प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है |
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पत्थर चतुर्थी अथवा पत्थर चौथ के नाम से भी जानी जाती है | इसीलिए गणपति की पूजा अर्चना के समय भी इस दिन चन्द्र दर्शन से बचने की सलाह दी जाती है | माना जाता है कि इस दिन यदि चन्द्रमा का दर्शन कर लिया तो उस व्यक्ति को झूठे कलंक का सामना करना पड़ता है | इसीलिए इसे कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है | ऐसा भी माना जाता है कि भगवान् गणेश ने चन्द्रमा को श्राप दिया था कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को जो व्यक्ति चन्द्रमा के दर्शन करेगा उसे झूठे कलंक का सामना करना पड़ेगा | और ऐसा भी माना जाता है कि एक बार भगवान् शंकर ने और एक बार भगवान् श्री कृष्ण ने भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को भूल से चन्द्रमा के दर्शन कर लिए थे तो उन्हें भी मिथ्या कलंक का सामना करना पड़ा था |
इन समस्त कथाओं का यद्यपि कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, किन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि आस्था विज्ञान पर भारी होती है और आस्थापूर्वक की गई उपासना से वास्तव में मनुष्य में इतनी सामर्थ्य आ जाती है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में वह मूर्ण मनोयोग से तत्पर हो जाता है | यही कारण है कि समस्त ज्योतिषी Astrologer भी जब किसी समस्या के निदान के लिए कोई उपाय बताते हैं तो आस्थापूर्वक मन्त्रजाप की सलाह अवश्य देते हैं | अस्तु! ऋद्धि सिद्धि दाता गणपति के प्रति आस्थापूर्वक नमन करते हुए प्रस्तुत हैं गणपतेरेकविंशतिनामस्तोत्रम् और मंगलम्…
गणपतेरेकविंशतिनामस्तोत्रम्
ॐ सुमुखाय नमः ॐ गणाधीशाय नमः ॐ उमा पुत्राय नमः
ॐ गजमुखाय नमः ॐ लम्बोदराय नमः ॐ हर सूनवे नमः
ॐ शूर्पकर्णाय नमः ॐ वक्रतुण्डाय नमः ॐ गुहाग्रजाय नमः
ॐ एकदन्ताय नमः ॐ हेरम्बराय नमः ॐ चतुर्होत्रै नमः
ॐ सर्वेश्वराय नमः ॐ विकटाय नमः ॐ हेमतुण्डाय नमः
ॐ विनायकाय नमः ॐ कपिलाय नमः ॐ वटवे नमः
ॐ भाल चन्द्राय नमः ॐ सुराग्रजाय नमः ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
मंगलम्
स जयति सिन्धुरवदनो देवो यत्पादपंकजस्मरणम् |
वासरमणिरिव तमसां राशीन्नाशयति विघ्नानाम् ||
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः |
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशी: विनायकः ||
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः |
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि ||
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा |
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ||
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् |
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये ||
व्यासं वसिष्ठनप्तारं शक्तेः पौत्रमकल्मषम् |
पराशरात्मजं वन्दे शुकतातं तपोनिधिम् ||
व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे |
नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नमः ||
अचतुर्वदनो ब्रह्मा द्विबाहुरपरो हरिः |
अभाललोचनः शम्भुर्भगवान् बादरायणः ||
सभी का जीवन मंगलमय रहे और सभी आस्थापूर्वक लक्ष्यप्राप्ति की दिशा में अग्रसर रहें, इसी कामना के साथ सभी को गणेश चतुर्थी की एक बार पुनः हार्दिक शुभकामनाएँ…