Dates of Sharadiya Navaratra

Dates of Sharadiya Navaratra

Dates of Sharadiya Navaratra  

वर्ष 2018 में शारदीय नवरात्रों की तिथियाँ

प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रह्मचारिणी,

तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् |

पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनी तथा

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ||

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता:,

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ||

इस वर्ष शारदीय नवरात्र आज से आरम्भ हो चुके हैं | आज आश्विन शुक्ल प्रतिपदा, चित्रा नक्षत्र, बालव करण और वैधृति योग में सभी ने घट स्थापना करके देवी के शैलपुत्री रूप की उपासना की | साथ ही द्वितीया का क्षय होने के कारण देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की भी उपासना की गई | प्रस्तुत हैं सारी तिथियाँ…

बुधवार 10 अक्टूबर आश्विन शुक्ल प्रतिपदा – देवी के शैलपुत्री रूप की उपासना

बुधवार 10 अक्टूबर आश्विन शुक्ल द्वितीया – देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासना

गुरुवार 11 अक्टूबर आश्विन शुक्ल तृतीया – देवी के चन्द्रघंटा रूप की उपासना

शुक्रवार 12 अक्टूबर आश्विन शुक्ल चतुर्थी – देवी के कूष्मांडा रूप की उपासना

शनिवार 13 अक्टूबर आश्विन शुक्ल पञ्चमी – देवी के स्कन्दमाता रूप की उपासना

रविवार 14 अक्टूबर आश्विन शुक्ल षष्ठी – देवी के कात्यायनी रूप की उपासना

सोमवार 15 अक्टूबर आश्विन शुक्ल षष्ठी / सप्तमी – षष्ठी प्रातः 08:04 तक, तत्पश्चात आश्विन शुक्ल सप्तमी – इस दिन प्रातः 08:04 तक देवी के कात्यायनी रूप की उपासना होगी | उसके बाद कालरात्रि की उपासना की जा सकती है |

मंगलवार 16 अक्टूबर आश्विन शुक्ल सप्तमी – देवी के कालरात्रि रूप की उपासना

बुधवार 17 अक्टूबर आश्विन शुक्ल अष्टमी – देवी के महागौरी रूप की उपासना

गुरूवार 18 अक्टूबर आश्विन शुक्ल नवमी / दशमी – देवी के सिद्धिदात्री रूप की उपासना *

शुक्रवार 19 अक्टूबर आश्विन शुक्ल दशमी – अपराजिता देवी की उपासना / विजया दशमी *

  • गुरूवार 18 अक्टूबर को अपराह्न तीन बजकर तीस मिनट पर दशमी तिथि का आगमन होगा जो अगले दिन सायंकाल पाँच बजकर 57 मिनट तक रहेगी | इस प्रकार अपनी सुविधा के अनुसार दोनों ही दिन अपराजिता देवी की उपासना की जा सकती है | विजया दशमी की पूजा में श्रवण नक्षत्र का भी विशेष महत्त्व माना जाता है | श्रवण नक्षत्र 18 अक्टूबर की अर्द्धरात्रि तक रहेगा | इसलिए जो लोग श्रवण नक्षत्र और दशमी तिथि को महत्त्व देते हुए तथा अपराह्न काल में विजयादशमी की पूजा करेंगे उनके लिए 18 अक्टूबर को अपराह्न काल में पूजा करना उचित रहेगा | किन्तु जो लोग प्रातःकाल पूजा करना चाहते हैं उनके लिए 19 अक्टूबर ही उचित रहेगा | Astrologers की ऐसी मान्यता है कि विजया दशमी एक ऐसा मुहूर्त होता है जिस दिन बिना मुहूर्त देखे भी कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है |