Constellation – Nakshatras
विशाखा नक्षत्र
नक्षत्रों के विषय में बात आरम्भ की थी लेकिन बीच में कोई पर्व आदि आ जाने से वार्ता मध्य में छूट जाती है | अब पुनः नक्षत्रों की वार्ता को ही और आगे बढाते हैं | ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, दोनों फाल्गुनी, हस्त, चित्रा और स्वाति नक्षत्रों के विषय में हम बात कर चुके हैं | आज चर्चा करते हैं विशाखा नक्षत्र के नाम और उसके अर्थ के विषय में |
विशिष्टा शाखा प्रकारों यस्य इति विशाखा – एक ऐसा वृक्ष जिसकी अनेक प्रकार की अद्भुत शाखाएँ – Branches – हों | नक्षत्र मण्डल के इस सोलहवें नक्षत्र में दो तारे होते हैं | माना जाता है कि भगवान् शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म भी इसी नक्षत्र में हुआ था और इसीलिए कार्तिकेय को विशाख भी कहा जाता है | यह नक्षत्र वैशाख माह में आता है जो अप्रेल और मई के मध्य पड़ता है | इस नक्षत्र के अन्य नाम और भाव हैं – राधा, शक्राग्नि, इन्द्राग्नि इत्यादि | किसी को प्रसन्न करने के अर्थ में, अनुकूलता प्राप्त करने के अर्थ में, उप्बलाब्धि के लिए, किसी कार्य की तैयारी के लिए, किसी के कल्याण के लिए, दयालुता, सम्पन्नता, सन्तुष्टि आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग होता है | इसके अतिरिक्त किसी वस्तु को नष्ट करने के लिए भी इस शब्द का प्रयोग किया जाता है |
भारतीय वैदिक ज्योतिष ग्रन्थों के अनुसार जिन जातकों का जन्म विशाखा नक्षत्र में होता है उनके समक्ष सदा ही दो विकल्प खुले रहते हैं | एक विकल्प उचित होता है दूसरा अनुचित | उचित अनुचित का चयन उसकी स्वयं की बुद्धि पर निर्भर करता है | प्रायः विवाह आदि माँगलिक कार्यों के लिए सजाया जाने वाला तोरण (द्वार) इस नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है | इसीलिए ऐसी भी मान्यता है कि जिस प्रकार मांगलिक कार्यों के इन तोरणों की सज्जा मांगलिक आयोजन करने वाले व्यक्ति की आर्थिक सामर्थ्य तथा उसकी कलाप्रियता का प्रदर्शन और अन्य अनेक प्रकार की उपलब्धियों के प्रदर्शन के लिए होती है उसी प्रकार इस नक्षत्र के जातक भी प्रदर्शन में विशवास रखते हैं | उन्हें यदि थोड़ी सी भी कोई उपलब्धि हो जाए तो वे अन्य जातकों की बड़ी से बड़ी उपलब्धियों की भी अपेक्षा बहुत बढ़ चढ़ कर उसका प्रदर्शन करते हैं | किन्तु यह प्रदर्शन उनकी प्रसन्नता का प्रदर्शन होता है, अपने अहं के प्रदर्शन के लिए वे ऐसा नहीं करते | इस प्रकार विशाखा शब्द का प्रयोग प्रसन्नता, उपलब्धि, सौन्दर्य तथा किसी भी नवीन आरम्भ के प्रदर्शन के अर्थ में भी किया जाता है |