Deepawali
पाँच पर्वों की श्रृंखला दीपावली
प्रकाश पर्व दीपावली समूचे भारतवर्ष में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है | शारदीय नवरात्र आरम्भ होते ही दीपावली की भी तैयारियाँ जोर शोर से आरम्भ हो जाती हैं | इस पर्व को इतना अधिक महत्त्व यों ही नहीं दिया गया है | वास्तव में पाँच पर्वों की एक श्रृंखला है दीपावली का पर्व – और ये पाँच पर्व हैं: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज | इस वर्ष बुधवार 7 नवम्बर को दीपमालिका प्रज्वलित करने के साथ ही लक्ष्मी पूजन भी होगा | इसके दो दिन पूर्व और दो दिन बाद तक ये पाँचों पर्व हो जाते हैं |
मुहूर्त का यदि विचार करें तो कल यानी सोमवार पाँच नवम्बर को त्रयोदशी तिथि है –
इस श्रृंखला की प्रथम कड़ी धन त्रयोदशी – जिसे धनतेरस कहा जाता है – मनाई जाएगी | जिसे आयुर्वेद के जनक देवताओं के वैद्य महर्षि धन्वन्तरी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है | और जैसा कि इसके नाम से ही विदित है – इस दिन स्वर्णाभूषण तथा घर दुकान आदि के लिए नया सामान लाने की प्रथा है, तथा सायंकाल नियम-संयम के देवता यम के लिए दीप प्रज्वलित किये जाते हैं |
मंगलवार को नरक चतुर्दशी, इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है | इसके विषय में कई पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ प्रचलित हैं | जिनमें सबसे प्रसिद्ध तो यही है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके उसके बन्दीगृह से सोलह हज़ार एक सौ कन्याओं को मुक्त कराके उन्हें सम्मान प्रदान किया था | इसी उपलक्ष्य में दीपमालिका भी प्रकाशित की जाती है | एक कथा कुछ इस प्रकार भी है कि यमदूत असमय ही पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा रन्तिदेव को लेने पहुँच गए | कारण पूछने पर यमदूतों ने बताया कि एक बार अनजाने में एक ब्राहमण उनके द्वार से भूखा लौट गया था | अनजाने में किये गए इस पापकर्म के कारण ही उनको असमय ही नरक जाना पड़ रहा है | राजा रन्तिदेव ने यमदूतों से एक वर्ष का समय माँगा और उस एक वर्ष में घोर तप करके कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को पारायण के रूप में ब्रह्मभोज कराके अपने पाप से मुक्ति प्राप्त की | माना जाता है कि तभी से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है |
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर यमराज के लिए तर्पण किया जाता है और सायंकाल दीप प्रज्वलित किये जाते हैं | माना जाता है कि विधि विधान से पूजा करने वालों को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और अन्त में वे स्वर्ग के अधिकारी होते हैं | बंगाल में इस दिन काली पूजा की जाती है |
बुधवार 7 नवम्बर को तीसरी कड़ी मुख्य पर्व – लक्ष्मी पूजन, चतुर्थ कड़ी गुरूवार 8 नवम्बर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट – जिसका भगवान श्री कृष्ण ने किया था | और पंचम तथा अन्तिम कड़ी है भाई दूज – यम द्वितीया | इस प्रकार भाई दूज के साथ पाँच पर्वों की इस श्रृंखला दीपावली का समापन होता है |
कथाएँ जितनी भी हों, इतना तो निश्चित है कि दीपावली प्रकाश का उल्लासमय पर्व है और उसके पहले आने वाले धनतेरस और नरक चतुर्दशी से आरम्भ होकर इसके बाद आने वाले गोवर्धन पूजा और भाई दूज तक इस पर्व का उलास छाया रहता है…
सभी के जीवन से अज्ञान, दुर्भाग्य इत्यादि का अन्धकार दूर होकर सभी का जीवन ज्ञान, सौभाग्य, सुख, सम्पत्ति के आलोक से आलोकित हो इसी कामना के साथ सभी को धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज की पाँच पर्वों की श्रृंखला दीपमालिकोत्सव की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ…