Constellation – Nakshatras

Constellation – Nakshatras

Constellation – Nakshatras

शतभिषज

ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, दोनों फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्रों के विषय में हम बात कर चुके हैं | आज चर्चा शतभिषज नक्षत्र के विषय में |

“पंचक” के पाँच नक्षत्रों के समूह का दूसरा नक्षत्र तथा नक्षत्र मण्डल का चौबीसवाँ नक्षत्र है शतभिषज | इस नक्षत्र में सौ तारों का समावेश होता है इसलिए इसका नाम शतभिषज है | इसका एक नाम शत्तारक भी है – जिसका भी शाब्दिक अर्थ यही है – सौ तारों का

शतभिषज
शतभिषज

एक समूह | बहुत से Astrologers का मानना है कि इस नक्षत्र का सम्बन्ध रोग अथवा चिकित्सा से है | जो सत्य ही प्रतीत होता है | क्योंकि शत अर्थात सौ प्रकार की भिषज यानी औषधियाँ | सौ का अर्थ यहाँ सौ की गिनती से नहीं लिया जाना चाहिए अपितु अनेक प्रकार की औषधियों से लिया जाना चाहिए | विभेत्यस्मात् रोगः इति भिषजः – जिससे रोग डरें वह भिषज – अर्थात डॉक्टर वैद्य आदि | अन्य अर्थ हैं इलाज़ करना, भगवान् विष्णु, वरुण देव, समुद्र के देवता अथवा दक्षिण दिशा के स्वामी, आकाश, जल आदि | यह नक्षत्र जुलाई और अगस्त के मध्य श्रावण माह में पड़ता है | एक गोलाकार रिक्त स्थान इस नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है |

रिक्त गोल की विशेषताएँ होती हैं कि इस गोलाकार वृत्त की सीमाओं के भीतर इतना

शतभिषज
शतभिषज

स्थान होता है कि इसमें चाहे जितना भी समाया जा सकता है | किन्तु जो वस्तुएँ इसके भीतर समाई जाएँगी उन्हें भी यह वृत्त सीमित कर देता है | इसका अभिप्राय यही है कि इस नक्षत्र के जातकों में हर किसी को अपना बना लेने की सामर्थ्य होती है | साथ ही सीमाएँ सुरक्षा की भी द्योतक होती हैं | जिसका अर्थ हुआ कि इस नक्षत्र का जातक एक अधिकारी के रूप में सीमाओं का निर्धारण भी कर सकता है तथा रक्षा करने में समर्थ होता है – फिर चाहे वह रक्षा एक चिकित्सक के रूप में किसी रोग से हो अथवा एक सेनानी के रूप में किसी शत्रु से अथवा परिवार या समाज या राष्ट्र के प्रभावशाली मुखिया के रूप में अपने परिवार, समाज अथवा राष्ट्र की विपरीत परिस्थितियों में रक्षा का प्रश्न हो – इस नक्षत्र का जातक सदैव तत्पर रहता है |

वृत्त का अर्थ पूर्णता अथवा समाप्ति भी हो सकता है – क्योंकि एक वृत्त हर ओर से पूर्ण ही प्रतीत होता है | इस प्रकार यह भी माना जा सकता है कि इस नक्षत्र के जातकों में आत्मविश्वास के साथ ही पूर्णता अथवा सन्तुष्टि का भाव भी प्रबल रूप हो सकता है | साथ ही कार्य को समय पर पूर्ण करने में भी ऐसे जातक सक्षम हो सकते हैं | इसके अतिरिक्त वृत्त अपनी सीमाओं में रहता है – जिसका यह भी अर्थ निकाला जा सकता है कि इस नक्षत्र के जातक अन्तर्मुखी प्रवृत्ति के हो सकते हैं |

इस नक्षत्र में सौ तारे एक वृत्त के रूप में समाहित हैं जो इस बात का भी प्रतीक हैं कि इस नक्षत्र का जातक अपने मन के भीतर बहुत से ऐसे तथ्यों को अथवा रहस्यों को छिपा रखने में समर्थ होता है जिनके विषय में किसी को कुछ भी भान न हो | साथ ही इसका यह भी तात्पर्य है कि इस नक्षत्र का जातक बहुत सा ज्ञान अपने मस्तिष्क में समाए हुए है | बहुआयामी व्यक्तित्व का भी धनी ऐसा व्यक्ति हो सकता है |