Constellation – Nakshatras

Constellation – Nakshatras

Constellation – Nakshatras

दोनों भाद्रपद

ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, दोनों फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, श्रवण, धनिष्ठा तथा शतभिषज नक्षत्रों के विषय में हम बात कर चुके हैं | आज चर्चा दोनों भाद्रपद – पूर्वा भाद्रपद और उत्तर भाद्रपद नक्षत्रों के विषय में |

भाद्रपद माह | मूल शब्द है भद्र अर्थात शुभ, सौभाग्य, अनुकूल, प्रसन्नता प्रदान करने वाला | इस नक्षत्र को प्रौष्ठपद भी कहा जाता है – प्रौष्ठ शब्द एक प्रकार की मछली और बैल के लिए प्रयुक्त होता है | भाद्रपद नाम से दो नक्षत्र होते हैं – पूर्वभाद्रपद और उत्तर भाद्रपद और ये नक्षत्र मण्डल के 25वें तथा 26वें नक्षत्र हैं | इन दोनों नक्षत्रों में प्रत्येक में दो तारे होते हैं | इसका अन्य नाम है अजापद – जो कि रूद्र का एक नाम है | ये दोनों नक्षत्र अगस्त और सितम्बर के मध्य आते हैं | इस नक्षत्र को सभी नक्षत्रों में सबसे अधिक साहसी, नाटक करने वाला, रहस्यमय तथा हिंसक प्रवृत्ति का माना जाता है |

पूर्वभाद्रपद का शाब्दिक अर्थ है ऐसा भाग्यशाली व्यक्ति जो पहले प्रवेश करे |

पूर्वा भाद्रपद
पूर्वा भाद्रपद

Astrologers के अनुसार इस नक्षत्र के जातक भाग्यशाली होते हैं तथा सभी प्रकार की सुख सुविधाएँ उन्हें प्राप्त होती हैं | इस नक्षत्र का सम्बन्ध मृत्यु तथा निद्रा से भी जोड़ा जाता है | इस नक्षत्र के जातक कब हिंसक प्रवृत्ति के बन जाएँ इसके विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता | ये जातक एक पल में हिंसक बन जाते हैं और दूसरे पल बहुत शान्त और सौम्य भी बन जाते हैं | इसी कारण इस नक्षत्र से प्रभावित जातक दोहरे स्वभाव अथवा दोहरे मापदण्ड रखने वाले व्यक्ति भी हो सकते हैं |

उत्तर भाद्रपद का अर्थ है ऐसा भाग्यशाली व्यक्ति जो बाद में अपने चरण रखे अर्थात

उत्तर भाद्रपद
उत्तर भाद्रपद

बाद में आए | कुछ Astrologers कुण्डली मारे हुए सर्प को भी इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह मानते हैं, जो कुण्डलिनी शक्ति की जागृत अवस्था का सूचक भी माना जा सकता है | और सम्भवतः इसी कारण कुछ ज्योतिषी इस नक्षत्र को ऊर्जा के अप्रतिम स्रोत के रूप में भी मानते हैं | योग तथा अध्यात्म के क्षेत्र में कुण्डलिनी जागृत होना एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है जो मनुष्य की परमात्मतत्व से युति कराती है | इसी आधार पर मान्यता बनती है कि इस नक्षत्र के जातकों का रुझान अलौकिक शक्तियों के अध्ययन के प्रति भी हो सकता है |