Sankranti 2019 and Makar Sankranti
संक्रान्ति 2019 और मकर संक्रान्ति
ॐ घृणि: सूर्य आदित्य नम: ॐ
आज रात्रि सात बजकर पावन मिनट के लगभग भगवान भास्कर गुरुदेव की धनु राशि से निकल कर महाराज शनि की मकर राशि में गमन करेंगे और इसके साथ ही उत्तर दिशा की ओर उनका प्रस्थान आरम्भ हो जाएगा | और कल यानी 15 जनवरी को मकर संक्रान्ति यानी सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का पर्व मनाया जाएगा | Astrologers के अनुसार पुण्यकाल सूर्योदय प्रातः सात बजकर पन्द्रह मिनट से आरम्भ होकर सायं पाँच बजकर पैतालीस मिनट यानी सूर्यास्त तक रहेगा | मकर संक्रान्ति से ही प्रयागराज में अर्द्धकुम्भ का मेला भी आरम्भ होने जा रहा है | संक्रान्ति शब्द का अर्थ है संक्रमण करना – प्रस्थान करना | इस प्रकार किसी भी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि पर गोचर अथवा संक्रमण संक्रान्ति ही होता है | किन्तु सूर्य का संक्रमण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है | नवग्रहों में सूर्य को राजा माना जाता है तथा सप्ताह के दिन रविवार का स्वामी रवि अर्थात सूर्य को ही माना जाता है | सूर्य का शाब्दिक अर्थ है सबका प्रेरक, सबको प्रकाश देने वाला, सबका प्रवर्तक होने के कारण सबका कल्याण करने वाला | यजुर्वेद में सूर्य को “चक्षो सूर्योSजायत” कहकर सूर्य को ईश्वर का नेत्र माना गया है | सूर्य केवल स्थूल प्रकाश का ही संचार नहीं करता, अपितु सूक्ष्म अदृश्य चेतना का भी संचार करता है | यही कारण है कि सूर्योदय के साथ ही समस्त जड़ चेतन जगत में चेतनात्मक हलचल बढ़ जाती है | इसीलिए ऋग्वेद में आदित्यमण्डल के मध्य में स्थित सूर्य को सबका प्रेरक, अन्तर्यामी तथा परमात्मस्वरूप माना गया है – सूर्यो आत्मा जगतस्य…”
वेद उपनिषद आदि में सूर्य के महत्त्व के सम्बन्ध में अनेकों उक्तियाँ उपलब्ध होती हैं | जैसे सूर्योपनिषद का एक मन्त्र है “आदित्यात् ज्योतिर्जायते | आदित्याद्देवा जायन्ते | आदित्याद्वेदा जायन्ते | असावादित्यो ब्रह्म |” अर्थात आदित्य से प्रकाश उत्पन्न होता है, आदित्य से ही समस्त देवता उत्पन्न हुए हैं, आदित्य ही वेदों का भी कारक है और इस प्रकार आदित्य ही ब्रह्म है | अथर्ववेद के अनुसार “संध्यानो देवः सविता साविशदमृतानि |” अर्थात् सविता देव में अमृत तत्वों का भण्डार निहित है | तथा “तेजोमयोSमृतमयः पुरुषः |” अर्थात् यह परम पुरुष सविता तेज का भण्डार और अमृतमय है | इत्यादि इत्यादि…
छान्दोग्योपनिषद् में सूर्य को प्रणव माना गया है | ब्रह्मवैवर्तपुराण में सूर्य को परमात्मा कहा गया है | गायत्री मन्त्र में तो है ही भगवान् सविता की महिमा का वर्णन – सूर्य का एक नाम सविता भी है – सविता सर्वस्य प्रसविता – सबकी सृष्टि करने वाला – यही त्रिदेव के रूप में जगत की रचना, पालन तथा संहार का कारण है | आत्मा का कारक, प्राणों का कारक, जीवनी शक्ति का – ऊर्जा का कारक सूर्य ही माना जाता है | यही कारण है कि सूर्य की संक्रान्ति का सबसे अधिक महत्त्व माना जाता है | सूर्योपासना से न केवल ऊर्जा, प्रकाश, आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य आदि की उपलब्धि होती है बल्कि एक साधक के लिए साधना का मार्ग भी प्रशस्त होता है |
सूर्य को एक राशि से दूसरी राशि पर जाने में पूरा एक वर्ष का समय लगता है – और यही अवधि सौर मास कहलाती है | वर्ष भर में कुल बारह संक्रान्तियाँ होती हैं | आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, उडीसा, पंजाब और गुजरात
में संक्रान्ति के दिन ही मास का आरम्भ होता है | जबकि बंगाल और असम में संक्रान्ति के दिन महीने का अन्त माना जाता है | यों तो सूर्य की प्रत्येक संक्रान्ति महत्त्वपूर्ण होती है, किन्तु मेष, कर्क, धनु और मकर की संक्रान्तियाँ विशेष महत्त्व की मानी जाती हैं | इनमें भी मकर और कर्क की संक्रान्तियाँ विशिष्ट महत्त्व रखती हैं – क्योंकि इन दोनों ही संक्रान्तियों में ऋतु परिवर्तन होता है | कर्क की संक्रान्ति से सूर्य का दक्षिण की ओर गमन आरम्भ माना जाता है जिसे दक्षिणायन कहा जाता है और मकर संक्रान्ति से सूर्य का उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान आरम्भ हो जाता है – जिसे उत्तरायण कहा जाता है | मकर संक्रान्ति से शीत का प्रकोप धीरे धीरे कम होना आरम्भ हो जाता है और जन साधारण तथा समूची प्रकृति सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर उल्लसित हो नृत्य करना आरम्भ कर देती है | पृथिवी को सूर्य का प्रकाश अधिक मात्रा में मिलना आरम्भ हो जाता है जिसके कारण दिन की अवधि भी बढ़ जाती है और शीत के कारण आलस्य को प्राप्त हुई समूची प्रकृति पुनः कर्मरत हो जाती है | इसलिए इस पर्व को अन्धकार से प्रकाश की ओर गमन करने का पर्व तथा प्रगति का पर्व भी कहा जाता है |
अस्तु, सभी को मकर संक्रान्ति, पोंगल, लोहड़ी तथा माघ बिहू की शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है वर्ष 2019 के लिए बारह संक्रान्तियों की सूची…
मंगलवार, 15 जनवरी मकर संक्रान्ति सूर्य का मकर राशि में गोचर
बुधवार, 13 फरवरी कुम्भ संक्रान्ति सूर्य का कुम्भ राशि में गोचर
शुक्रवार, 15 मार्च मीन संक्रान्ति सूर्य का मीन राशि में गोचर
रविवार, 14 अप्रेल मेष संक्रान्ति सूर्य का मेष राशि में गोचर
बुधवार, 15 मई वृषभ संक्रान्ति सूर्य का वृषभ राशि में गोचर
शनिवार, 15 जून मिथुन संक्रान्ति सूर्य का मिथुन राशि में गोचर
मंगलवार, 16 जुलाई कर्क संक्रान्ति सूर्य का कर्क राशि में गोचर
शनिवार, 17 अगस्त सिंह संक्रान्ति सूर्य का सिंह राशि में गोचर
मंगलवार, 17 सितम्बर कन्या संक्रान्ति सूर्य का कन्या राशि में गोचर
शुक्रवार, 18 अक्टूबर तुला संक्रान्ति सूर्य का तुला राशि में गोचर
रविवार, 17 नवम्बर वृश्चिक संक्रान्ति सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर
सोमवार, 16 दिसम्बर धनु संक्रान्ति सूर्य का धनु राशि में गोचर
भगवान भास्कर का प्रत्येक राशि में संक्रमण समस्त चराचर प्रकृति को ऊर्जा प्रदान करते हुए जन साधारण के जीवन को ज्ञान, सुख-समृद्धि, उल्लास तथा स्नेह की ऊर्जा से परिपूर्ण करे…