Constellation – Nakshatras

Constellation – Nakshatras

ConstellationNakshatras

नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:-

ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछ लिख चुके हैं | अब हम चर्चा कर रहे हैं कि Astrologers के अनुसार किस प्रकार हिन्दी महीनों का विभाजन नक्षत्रों के आधार पर हुआ तथा उन हिन्दी महीनों के वैदिक नाम क्या हैं | इस क्रम में चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह के विषय में पूर्व में लिख चुके हैं, आज मृगशिर और पौष माह…

मृगशिर : इस माह में मृगशिर और आर्द्रा नक्षत्र आते हैं, किन्तु इस माह की पूर्णिमा

मृगशिर
मृगशिर

मृगशिर नक्षत्र से युक्त होती है इसलिए इस माह का नाम मृगशिर पड़ा | इसका वैदिक नाम है “सह” जिसका शाब्दिक अर्थ होता है एक साथ (Together)- एक साथ रहना – एक साथ चलना – इस शब्द को एकता का प्रतीक भी माना जा सकता है | इसके अतिरिक्त वर्तमान के लिए तथा किसी को भेंट इत्यादि देने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है | स्वस्थ रहना, सहन करना, सन्तुष्ट रहना, प्रसन्न रहना और प्रसन्न करना, स्थाई, कष्ट प्राप्त करना, धैर्य रखना, शक्ति, साहस, किसी के द्वारा अनुगमन किया जाना, विजय प्राप्त करना आदि अर्थों में भी साहित्यकार इस शब्द का प्रयोग करते रहे हैं | भगवान् शिव का एक नाम मृगशिर भी है | नवम्बर और दिसम्बर की कड़ाके की ठण्ड इसी माह में पड़ती है इस प्रकार धैर्य तथा सहनशीलता आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग उपयुक्त ही प्रतीत होता है | श्रीमद्भागवत में स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् समस्त महिनों में मार्गशीर्ष मेरा ही स्वरूप है मासानां मार्गशीर्षोऽहम् ऋतूनां कुसुमाकरः” – श्रीमद्भगवद्गीता 10/35

पौष : इस माह में पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्रों का उदय होता है, किन्तु इस महा की

पौष
पौष

पूर्णिमा को पुष्य नक्षत्र होने के कारण इसका नाम पौष पड़ा | इसका वैदिक नाम है “सहस्य” – क्योंकि यह माह सह माह के बाद आता है | सहस्य का एक अर्थ वर्षा ऋतु भी होता है और इसी कारण से सर्दियों की वर्षा की ऋतु भी इस माह को कहा जाता है | “सह” माह के समान ही इस शब्द के भी अर्थ सहनशीलता, शक्ति, तेज, विजय आदि होते हैं | साथ ही जल के लिए भी इस शब्द का प्रयोग किया जाता है |

मान्यता है कि भग नाम के सूर्य की इस माह में उपासना करने से समस्त प्रकार के सौभाग्य की प्राप्ति होती है | इस माह में हेमन्त ऋतु होने के कारण ठण्ड का प्रकोप भी अधिक होता है, सम्भवतः इसीलिए इस माह में सूर्योपासना पर बल दिया जाता रहा है | इसी कारण से इस माह में रात को स्थान स्थान पर जन साधारण आग जलाकर हाथ सेंकते दिखाई दे जाते हैं |