Retrograde Mercury in Pisces

Retrograde Mercury in Pisces

वक्री बुध मीन राशि में

पाँच मार्च को 23:49 पर बुध वक्री हो चुका है | वक्री होता हुआ बुध 15 मार्च को प्रातः नौ बजे के लगभग कुम्भ में वापस लौट जाएगा | 28 मार्च से 19:30 के लगभग मार्गी होना आरम्भ होगा और 12 अप्रेल को प्रातः चार बजकर चौबीस मिनट के लगभग मीन में पहुँच जाएगा | जहाँ 3 मई को 17:03 तक विचरण करने के बाद अन्त में मेष राशि में प्रस्थान कर जाएगा | कल यानी आठ मार्च से इक्कीस मार्च तक बुध अस्त भी रहेगा | बुध के मीन राशि में गोचर के फल पूर्व में लिख चुके हैं | बुध ज्ञान विज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान, गणित, सांख्यिकी, व्यापार, आज की स्थिति में कम्प्यूटर विज्ञान इत्यादि का कारक माना जाता है | Astrologers की मान्यता है कि बुध यदि वक्री हो तो जीवन में नकारात्मक प्रभाव होते हैं | किन्तु हमारे विचार से गोचर में किसी भी ग्रह के वक्री होने से केवल नकारात्मक प्रभाव ही नहीं होने चाहियें | अपितु ग्रह के वक्री होने पर जो उसके प्रभाव हैं उनमें और अधिक वृद्धि हो जानी चाहिए – फिर चाहे वह नकारात्मक हों या सकारात्मक – क्योंकि वक्री होने पर गह के चेष्टाबल में वृद्धि हो जाती है |

बुध सूर्य के सबसे अधिक निकट है अतः बहुत शीघ्र ही वक्री हो जाता है, बहुत शीघ्र मार्गी हो जाता है, बहुत शीघ्र अतिगामी भी हो जाता है | वक्री होने पर बुध के दोनों ही प्रभाव हो सकते हैं – शुभ भी और अशुभ भी | शुभ ग्रहों के प्रभाव में आएगा या किसी शुभ भाव में जाएगा तो जातक की बुद्धि, वाणी, संचार क्षमता – Communication skills, निर्णायक क्षमता, लेखन, व्यापार इत्यादि में कौशल तथा प्रगति परिलक्षित होगा | अशुभ ग्रह के प्रभाव अथवा भाव में आएगा तो इसके विपरीत फल हो सकते हैं |

हाँ, यहाँ हम कह सकते हैं कि बुध क्योंकि अपनी नीच राशि में भ्रमण कर रहा है तो इस स्थिति में सम्भव है उतने अच्छे प्रभाव बुध के न परिलक्षित हों | तो आइये जानने का प्रयास करते हैं कि मीन राशि में बुध के वक्री होने पर जन साधारण के लिए क्या सम्भावित प्रभाव हो सकते हैं |

किन्तु ध्यान रहे, ये परिणाम सामान्य हैं | किसी कुण्डली के विस्तृत फलादेश के लिए केवल एक ही ग्रह के गोचर को नहीं देखा जाता अपितु किसी योग्य Astrologer द्वारा उस कुण्डली का विभिन्न सूत्रों के आधार पर विस्तृत अध्ययन आवश्यक है |

मेष : आपका तृतीयेश और षष्ठेश होकर बुध आपकी राशि से बारहवें भाव में वक्री हो रहा है | आपके लिए उत्साह तथा निर्णायक क्षमता में वृद्धि का समय प्रतीत होता है | जिसके कारण आप स्वयं ही अपने विरोधियों को परास्त करने में समर्थ हो सकेंगे तथा आपके कार्य समय पर और सुचारू रूप से सम्पन्न हो सकेंगे | साथ ही आपके जीवन में कोई ऐसा महत्त्वपूर्ण परिवर्तन भी हो सकता है जो आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है | कार्य में प्रगति तथा अर्थ लाभ की सम्भावना की जा सकती है |

वृषभ : आपके लिए द्वितीयेश और पंचमेश होकर आपके लाभ स्थान में बुध वक्री हो रहा है | एक ओर आपके लिए आय में प्रगति के संयोग प्रतीत होते हैं वहीं दूसरी ओर व्यक्तिगत सम्बन्धों में किसी प्रकार की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है | अपने स्वभाव और वाणी को नियन्त्रण में रखेंगे तो इन समस्याओं से बच सकते हैं |

मिथुन : आपके लिए आपका योगकारक होकर बुध आपके दशम भाव में वक्री हो रहा है | आपको पैतृक संपत्ति के लाभ होने की सम्भावना है | कार्य में प्रगति के साथ ही कार्यस्थल पर तथा परिवार में सहयोग और सौहार्द का वातावरण भी बना रह सकता है | पॉलिटिक्स से यदि आपका सम्बन्ध है तो आपके लिए विशेष रूप से यह गोचर अनुकूल फल देने वाला प्रतीत होता है |

कर्क : आपका तृतीयेश और द्वादशेश होकर बुध आपके आपके नवम भाव में वक्री हो रहा है | जो लोग हाथ के कारीगर हैं अथवा डॉक्टर वैद्य इत्यादि हैं या वैज्ञानिक हैं तो आपके लिए आपके कार्य में उन्नति तथा सफलता की सम्भावना की जा सकती है | किन्तु साथ ही भाई बहनों के साथ किसी प्रकार का मन मुटाव भी सम्भव है | इस अवधि में यात्राएँ आपके लिए सम्भव है अनुकूल न सिद्ध हों |

सिंह : आपके लिए आपका द्वितीयेश और लाभेश होकर बुध आपके अष्टम भाव में वक्री हो रहा है | यदि कहीं पैसा Invest किया हुआ है तो उसके माध्यम से आपको लाभ होना आरम्भ हो सकता है | किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति से सम्पर्क हूँ सकता है जो धीरे धीरे प्रगाढ़ मित्रता में परिवर्तित हो सकता है जिसके कारण आपको अपने कार्य में लाभ भी प्राप्त हो सकता है | सम्भव है आपको कुछ विरोध का आभास हो, किन्तु इसके कारण चिन्ता की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आप स्वयं ही अपने बुद्धिबल से इस विरोध को शान्त करने में सक्षम हो सकते हैं |

कन्या : आपके लिए आपका योगकारक होकर आपके सप्तम भाव में बुध वक्री हो रहा है | आपके व्यवसाय में प्रगति की सम्भावना की जा सकती है | किसी मित्र के माध्यम से आपको कुछ नवीन प्रोजेक्ट्स भी प्राप्त हो सकते हैं जिनके कारण आपको अर्थलाभ के साथ ही आपकी व्यस्तताएँ भी बढ़ सकती हैं | साथ ही आप प्रॉपर्टी से सम्बन्धित कुछ कार्यों का निबटारा भी इस अवधि में कर सकते हैं | अविवाहित हैं तो जीवन साथी की तलाश भी इस अवधि में पूर्ण हो सकती है |

तुला : आपका नवमेश और द्वादशेश होकर बुध आपकी राशि से छठे भाव में वक्री हो रहा है | एक ओर जहाँ आपके लिए मान सम्मान में वृद्धि के संकेत हैं, धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि के संकेत हैं, यात्राओं में वृद्धि के संकेत हैं, वहीं दूसरी ओर आपके मन में किसी प्रकार की निराशा और असुरक्षा की भावना भी बलवती हो सकती है | आवश्यकता है ध्यान का नियमित अभ्यास करने की | साथ यात्राओं के दौरान अपने Important Documents और सामान की सुरक्षा की भी आवश्यकता है | प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की सम्भावना की जा सकती है |

वृश्चिक : आपके लिए आपका अष्टमेश और एकादशेश होकर बुध आपके पंचम भाव में वक्री हो रहा है | यद्यपि कार्य की दृष्टि से तथा आर्थिक लाभ की दृष्टि से समय अनुकूल प्रतीत होता है, किन्तु स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है | शरीर में थकान, नींद में अभाव आदि का अनुभव इस अवधि में हो सकता है | अकस्मात् ही कहीं से अच्छा या बुरा कोई ऐसा समाचार भी प्राप्त हो सकता है जिसके कारण आपके जीवन की दिशा ही बदल सकती है |

धनु : आपके लिए योगकारक होकर बुध आपके चतुर्थ भाव में वक्री हो रहा है | आपके लिए कार्य की दृष्टि से यह समय अत्यन्त अनुकूल प्रतीत होता है | सहकर्मियों तथा जीवन साथी का सहयोग और समर्थन निरन्तर आपको प्राप्त होता रहेगा जिसके कारण आपके कार्य भी भली भाँती सम्पन्न होते रहेंगे | मान सम्मान में वृद्धि की भी सम्भावना है | किन्तु परिवार के मध्य से किसी प्रकार के विरोध अथवा तनाव की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता | ऐसी स्थिति में आवश्यकता है आप अपना स्वभाव में सकारात्मकता और शान्ति बनाए रखें |

मकर : आपका षष्ठेश और नवमेश होकर बुध आपके तीसरे भाव में वक्री हो रहा है | आपके लिए उत्साह में वृद्धि का समय प्रतीत होता है | धार्मिक कार्यों में आपकी रूचि में वृद्धि की सम्भावना है | इस अवधि में आप तीर्थयात्रा के लिए भी जा सकते हैं | किन्तु स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के कारण आपकी दिनचर्या में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है | डॉक्टर के दिशानिर्देशों का पालन अवश्य करें | भाई बहनों के साथ व्यर्थ के विवाद से बचने का प्रयास करें |

कुम्भ : आपके लिए आपका पंचमेश और अष्टमेश होकर बुध आपकी राशि से दूसरे भाव में वक्री हो रहा है | आप अपने बौद्धिक कौशल से कार्य में सफलता था धनार्जन करने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं | हाँ, अपनी वाणी और Temperament पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता है | आपका झुकाव धार्मिक, आध्यात्मिक तथा दार्शनिक गतिविधियों की ओर भी बढ़ सकता है | किन्तु यदि कहीं पैसा Invest करना चाहते हैं तो या तो बही कुछ समय के लिए इस विचार को स्थगित कर दें, अथवा बहुत सोच समझकर आगे बढ़ें | आँख में किसी प्रकार का इन्फेक्शन भी सम्भव है | विरोधियों की ओर से भी सावधान रहने की आवश्यकता है | किसी बुज़ुर्ग का स्वास्थ्य चिन्ता का विषय हो सकता है |

मीन : आपका योगकारक आपकी लग्न में ही वक्री हो रहा है | एक ओर कार्य की दृष्टि से आपके लिए यह समय अनुकूल प्रतीत होता है | आप इस अवधि में नया घर भुई खरीद सकते हैं | प्रॉपर्टी विषयक समस्याओं का निदान इस अवधि में सम्भव है | किन्तु साथ ही यह भी सम्भव है कि आप जल्दबाज़ी में कोई निर्णय ले सकते हैं जो आपके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है | अतः जो भी कार्य करें भली भाँति सोच समझकर करें | अविवाहित हैं तो इस अवधि में जीवन साथी की खोज भी पूर्ण हो सकती है |

अन्त में, ग्रहों के गोचर तथा उनके मार्गी, वक्री अथवा अतिगामी होने का क्रम तो अपने नियत समय पर चलता ही रहेगा | सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है…