Chaitra Oli Navapada Aaradhana

Chaitra Oli Navapada Aaradhana

Chaitra Oli Navapada Aaradhana

चैत्र ओली नवपद आराधना

कल यानी शुक्रवार 12 अप्रेल को चैत्र शुक्ल सप्तमी है | कल से ही जैन सम्प्रदाय के अनुयायी नवदिवसीय चैत्र ओली नवपद आराधना का आरम्भ करेंगे जो चैत्र शुक्ल पूर्णिमा यानी 19 तारीख तक चलेगी | नवदिवसीय होते हुए भी किसी तिथि की वृद्धि अथवा क्षय हो जाने कारण इन नौ दिनों में एक दिन कम अथवा अधिक भी हो सकता है | जैसे इस बार नौ दिन की उपासना न होकर आठ दिन ही यह पर्व चलेगा | समस्त जैन पर्व सूर्य और चन्द्रमा की स्थितियों के आधार पर निश्चित किये जाते हैं | सप्तमी तिथि का आरम्भ यद्यपि आज दोपहर दो बजकर तैतालीस मिनट के लगभग होगा, किन्तु उदया तिथि कल होने के कारण कल से ही नवपद आराधना आरम्भ होगी | नौ दिनों में अलग अलग पदों की आराधना की जाती है | जैन दर्शन के अनुसार अनुसार नवपद ओली आराधना आत्मकल्याण का सर्वोत्कृष्ट साधन है | वर्ष में दो बार मुख्य रूप से ओली नवपद आराधना की जाती है – चैत्र शुक्ल सप्तमी से आरम्भ करके चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तक, तथा आश्विन शुक्ल सप्तमी से आरम्भ करके आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तक |

प्रथम दिवस ॐ ह्री नमो अरिहंताणं के साथ श्री अरिहन्त पद की आराधना की जाती है | दूसरे दिन ॐ ह्रीं नमो सिद्धाणं के साथ श्री सिद्ध पद की आराधना,

चैत्र नवपद ओली
चैत्र नवपद ओली

तीसरे दिन ॐ ह्रीं नमो आयरियाणं के साथ श्री आचार्य पद की आराधना, चतुर्थ दिवस ॐ ह्रीं नमो उवज्झायाणं के साथ श्री उपाध्याय पद की आराधना, पञ्चम दिवस ॐ ह्री नमो लोए सव्वसाहूणं के साथ श्री साधु पद की आराधना, छठे दिन ॐ ह्रीं नमो दंसणस्स के साथ सम्यग् दर्शन पद की आराधना, सप्तम दिवस ॐ ह्रीं नमो नाणस्स के साथ सम्यग् ज्ञान पद की आराधना, अष्टम दिवस ॐ ह्रीं नमो चारित्तस्स के साथ सम्यग् चरित्र पद की आराधना तथा नवं यानी अन्तिम दिन ॐ ह्रीं नमो तवस्स के साथ सम्यग्तप पद की आराधना का विधान है | इस प्रकार णमोंकार मन्त्र के प्रत्येक पद के द्वारा समस्त अरिहन्त गणों, सिद्धों, आचार्यों, उपाध्याय गणों तथा समस्त साधुपदों की आराधना के मार्ग पर चलते हुए जैन दर्शन के प्रमुख अंगों – सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान तथा सम्यग्चरित्र का पालन करते हुए सम्यग्तप को साधने का प्रयास किया जाता है |

इस वर्ष आरम्भ के तीन दिन यानी सप्तमी, अष्टमी और नवमी को उन्हीं पदों की आराधना होगी जो कि ऊपर निर्दिष्ट हैं – अरिहन्त पद, सिद्ध पद और आचार्य पद | किन्तु एकादशी तिथि का क्षय है | अतः चतुर्थ पद यानी उपाध्याय पद और पञ्चम यानी साधु पद की आराधना एक ही दिन होगी – सोमवार 15 अप्रेल को | शेष चारों पदों की आराधना क्रमशः 16, 17, 18 और 19 अप्रेल को ही की जाएगी |

वास्तव में यदि देखा जाए तो सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चरित्र तथा सम्यग्तप का अनुसरण करके बहुत सी सामाजिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त हो सकती है तथा विश्वबन्धुत्व की भावना के विकास में सहायता प्राप्त हो सकती है…