Nava Durga – Eighth day of Navraatri
नवदुर्गा – अष्टम नवरात्र – देवी के महागौरी रूप की उपासना
आज दोपहर एक बजकर चौबीस मिनट से कल प्रातः ग्यारह बजकर बयालीस मिनट तक अष्टमी तिथि है और उसके बाद नवमी तिथि आ जाएगी | इस प्रकार कल सूर्योदय काल में अष्टमी तिथि होने के कारण कल ही माँ भगवती के महागौरी रूप की उपासना के साथ अष्टम नवरात्र की पूजा होगी | यद्यपि कल कुछ लोग नवमी की पूजा भी करेंगे | किन्तु Astrologers और वैदिक पञ्चांग के अनुसार नियमतः नवमी तिथि रविवार यानी 14 अप्रेल को ही मानी जाएगी – क्योंकि रविवार को ही सूर्योदय काल में नवमी तिथि है | किन्तु कुछ लोग देर से पूजा करते हैं, अतः जो लोग पौने बारह बजे के लगभग कन्या करना चाहते हैं वे कल भी नवमी की पूजा कर सकते हैं |
या श्री: स्वयं सुकृतीनाम् भवनेषु अलक्ष्मी:,
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि: |
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा,
तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ||
देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता है कि महान तपस्या करके इन्होने अत्यन्त गौरवर्ण प्राप्त किया था | ऐसी मान्यता है कि दक्ष के यज्ञ में सती के आत्मदाह के बाद जब पार्वती के रूप में उन्होंने जन्म लिया तब नारद के कहे अनुसार उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप किया जिसके कारण पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया | तब शिव ने पार्वती को गंगाजल से स्नान कराया जिसके कारण इनका वर्ण अत्यन्त गौर हो गया और इन्हें महागौरी कहा जाने लगा |
इस रूप में भी चार हाथ हैं और माना जाता है इस रूप में ये एक बैल अथवा श्वेत

हाथी पर सवार रहती हैं | इनके वस्त्राभूषण श्वेत हैं और ये वृषभ पर सवार हैं – श्वेतरूपधरा देवी ईश्वरी वृषवाहना – श्वेत वस्त्राभूषण धारण करने के कारण भी इन्हें महागौरी भी कहा जाता है और श्वेताम्बरी भी कहा जाता है | इनके दो हाथों में त्रिशूल और डमरू हैं तथा दो हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हैं | यह देवी अत्यन्त सात्विक रूप है | वृषभ पर सवार होने के कारण इनका एक नाम वृषारूढ़ा भी है | अत्यन्त गौर वर्ण होने के कारण इनकी उपमा कुन्दपुष्प तथा चन्द्रमा से भी दी जाती है |
माँ गौरी की उपासना का मन्त्र है:
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचि: |
महागौरी शुभं दधान्महादेवप्रमोददा ||
इसके अतिरिक्त “श्रीं क्लीं ह्रीं वरदायै नमः” इस बीज मन्त्र के जाप के साथ भी देवी के इस रूप की उपासना की जा सकती है |
इसके अतिरिक्त कात्यायनी देवी की ही भाँति महागौरी की उपासना भी विवाह की बाधाओं को दूर करके योग्य जीवन साथी के चुनाव में सहायता करती है | महागौरी की उपासना से व्यक्ति को मिलन विकारों से मुक्ति प्राप्त होती है | माना जाता है कि सीता जी ने भी भगवान् राम को वर रूप में प्राप्त करने के लिए महागौरी की उपासना की थी |
जो Astrologers नवदुर्गा को नवग्रहों के साथ सम्बद्ध करते हैं उनका मानना है कि राहु के दुष्प्रभाव के शमन के लिए महागौरी की उपासना की जाए तो उत्तम फल प्राप्त होगा |
महागौरी के रूप में माँ भगवती सभी का कल्याण करें और सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें…