Constellation – Nakshatras
27 नक्षत्रों की नक्षत्र पुरुष के शरीर से उत्पत्ति और निवास
तथा उनके रंग, गुण, वर्ण और लिंग
भारतीय वैदिक ज्योतिषी विष्णु पुराण की उस मान्यता का अनुमोदन करते हैं जिसके अनुसार नक्षत्रों की उत्पत्ति नक्षत्र पुरुष अर्थात काल पुरुष से हुई है | नक्षत्र पुरुष को स्वयं भगवान् विष्णु का अवतार माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि क्योंकि सभी 27 नक्षत्र भगवान विष्णु के शरीर के किसी न किसी अंग से उत्पन्न हुए हैं इसलिए भगवान विष्णु ने नक्षत्रों को स्वयं ही अपने शरीर में निवास करने की आज्ञा भी दे दी थी | साथ ही प्रत्येक नक्षत्र का एक विशेष रंग होता है, एक विशेष गुण होता है, प्रत्येक नक्षत्र की एक जाति अथवा वर्ण होता है तथा प्रत्येक नक्षत्र पुरुष, स्त्री अथवा नपुंसक लिंगों में से किसी एक लिंग का भी होता है | जो निम्नवत है:
अश्विनी : इस नक्षत्र का रंग रक्त के समान लाल होता है | इसका निवास नक्षत्र पुरुष की सीधी जाँघ में होता है | गुण इसका तमस है | पुरुष प्रकृति का यह नक्षत्र वैश्य वर्ग के अन्तर्गत आता है |
भरणी : इसका रंग भी रक्त के समान लाल माना गया है तथा इसका निवास नक्षत्र पुरुष के सर में माना गया है | रजस गुणसम्पन्न यह नक्षत्र स्त्री प्रकृति का चाण्डाल वर्ग का नक्षत्र माना जाता है |
कृत्तिका : श्वेत वर्ण के इस नक्षत्र का भी गुण रजस ही होता है तथा इसका निवास नक्षत्र पुरुष की पीठ में माना गया है | ब्राह्मण वर्ग का यह नक्षत्र स्त्री प्रकृति का माना जाता है |
रोहिणी : इस नक्षत्र का निवास बायीं जँघा में माना गया है | वर्ण इसका भी श्वेत ही होता है | रजस गुण वाला यह नक्षत्र वैश्य वर्ग के अन्तर्गत माना जाता है तथा इसे स्त्री प्रकृति का माना जाता है |
मृगशिर : इसका निवास नक्षत्र पुरुष के नेत्रों में मन गया है तथा इसका रंग धुँधला सफ़ेद यानी Gray माना जाता है | तमस गुण वाला यह नक्षत्र नपुंसक प्रकृति का सेवक वर्ग के अन्तर्गत आता है |
आर्द्रा : इस नक्षत्र का निवास नक्षत्र पुरुष के बालों में माना जाता है | हरितवर्णी यह नक्षत्र भी तामस गुण का होता है तथा स्त्री प्रकृति का यह नक्षत्र चाण्डाल वर्ग के अन्तर्गत आता है |
पुनर्वसु : इसका निवास काल पुरुष की अँगुलियों में माना जाता है तथा इसका रंग सीसे यानी Lead के जैसा माना जाता है | सात्विक गुणसम्पन्न यह नक्षत्र वैश्य वर्ग का पुरुष प्रकृति का नक्षत्र माना जाता है |
पुष्य : इस नक्षत्र का निवास नक्षत्र पुरुष के मुख में माना जाता है | श्याम वर्ण का यह नक्षत्र तमस गुण से युक्त पुरुष प्रकृति का तथा क्षत्रिय वर्ग के अन्तर्गत आता है |
आश्लेषा : नक्षत्र पुरुष के नाखूनों में निवास करने वाले इस नक्षत्र का भी श्यामवर्ण ही माना जाता है | सात्विक गुणसम्पन्न स्त्री प्रकृति का यह नक्षत्र चाण्डाल वर्ग के अन्तर्गत आता है |
मघा : नक्षत्र पुरुष की नासिका में इसका निवास माना जाता है तथा इसका रंग दूधिया माना जाता है | तमस वृत्ति का यह नक्षत्र स्त्री प्रकृति का माना जाता है तथा यह वैश्य वर्ण के अन्तर्गत आता है |
पूर्वा फाल्गुनी : इसका निवास नक्षत्र पुरुष के निम्नांगों यानी Anus में माना जाता है | हल्के भूरे रंग का यह नक्षत्र रजस गुण से युक्त स्त्री प्रकृति का माना जाता है तथा ब्राह्मण वर्ग में आता है |
उत्तर फाल्गुनी : इसका निवास भी नक्षत्र पुरुष के निम्नांगों में ही माना जाता है | गहरा भूरा इसका रंग माना जाता है | रजस गुण वाला यह नक्षत्र स्त्री प्रकृति का क्षत्रिय वर्ग का नक्षत्र माना जाता है |
हस्त : नाम के अनुरूप ही इसका वास नक्षत्र पुरुष के दोनों हाथों में माना जाता है | हरितवर्णी यह नक्षत्र रजस गुण से युक्त पुरुष प्रकृति का वैश्य नक्षत्र माना जाता है |
चित्रा : नक्षत्र पुरुष के मस्तक में इसका वास माना जाता है | चमकीला नीला रंग इसका माना जाता है | तमस गुण वाला यह नक्षत्र स्त्री प्रकृति का होता है तथा सेवक वर्ग के अन्तर्गत माना जाता है |
स्वाति : इसका वास नक्षत्र पुरुष के दाँतों में माना जाता है तथा यह तमोगुण प्रधान चमकीले नीले रंग का नक्षत्र होता है | स्त्री प्रकृति का यह नक्षत्र चाण्डाल वर्ग में आता है |
विशाखा : सुनहरे वर्ण वाले इस नक्षत्र का वास नक्षत्र पुरुष की दोनों भुजाओं में होता है | सात्विक गुणसम्पन्न स्त्री प्रकृति यह नक्षत्र चाण्डाल वर्ग में आता है |
अनुराधा : नक्षत्र पुरुष के वक्ष में निवास करने वाले तमोगुणी इस नक्षत्र का लाली लिए हुए भूरा रंग होता है | पुरुष प्रकृति यह नक्षत्र वैश्य वर्ग में आता है |
ज्येष्ठा : दूधिया रंग वाले इस नक्षत्र का वास नक्षत्र पुरुष की गर्दन में माना गया है | सात्विक गुणसम्पन्न यह नक्षत्र स्त्री ओरकृति का माना जाता है तथा सेवक वर्ग के अन्तर्गत आता है |
मूल : भूरे-पीले रंग का यह नक्षत्र काल पुरुष के पैरों में निवास करता है | तमोगुण से युक्त यह नक्षत्र नपुंसक वृत्ति का माना जाता है तथा चाण्डाल वर्ग में आता है |
पूर्वाषाढ़ :काले रंग के इस नक्षत्र का निवास स्थान नक्षत्र पुरुष के उरुभाग को माना गया है | रजस गुण युक्त तथा स्त्री प्रकृति का यह नक्षत्र ब्राहमण वर्ग में आता है |
उत्तराषाढ़ : इसक अवर्ण भी काला होता है तथा इसका भी निवास स्थान नक्षत्र पुरुष के उरुभाग में माना जाता है | रजोगुण युक्त स्त्री प्रकृति यह नक्षत्र क्षत्रिय वर्ग में माना जाता है |
श्रवण : हलके नीले रंग के इस नक्षत्र का वास नाम के अनुरूप ही नक्षत्र पुरुष के दोनों कानों में माना गया है | रजोगुण प्रधान यह नक्षत्र पुरुष प्रकृति का है तथा चाण्डाल वर्ग में आता है |
धनिष्ठा : स्लेटी रंग के इस बक्षात्र का निवास स्थान काल पुरुष की कमर को माना जाता है | तमोगुण युक्त यह नक्षत्र स्त्री प्रकृति का है तथा सेवक वर्ग में आता है |
शतभिषज : नीर जैसा यह नक्षत्र नकला पुरुष के होठों में निवास करता है | यह तमोगुण से युक्त माना जाता है | नपुंसक वृत्ति का यह नक्षत्र चाण्डाल वर्ग के अन्तर्गत आता है |
पूर्वा भाद्रपद : इस नक्षत्र का वर्ण है स्लेटी तथा यह नक्षत्र पुरुष के वक्षस्थल में निवास करता है | सात्विकगुणसम्पन्न यह नक्षत्र पुरुष प्रकृति का ब्राह्मण वर्ग का नक्षत्र माना जाता है |
उत्तर भाद्रपद : इसका वर्ण बैंगनी माना गया है तथा इसका निवास स्थान कल पुरुष का वक्षस्थल माना जाता है | तमोगुण युक्त यह नक्षत्र पुरुष प्रकृति का क्षत्रिय वर्ग का नक्षत्र माना जाता है |
रेवती : इस नक्षत्र का रंग होता है भूरा तथा यह नक्षत्र पुरुष की कोख में निवास करता है | सात्विक गुण सम्पन्न स्त्री प्रकृति का यह नक्षत्र वैश्य वर्ग में आता है |
अन्त में पुनः यही कहेंगे कि किसी जातक के गुण स्वभाव आदि का ज्योतिषीय आधार पर निर्णय करते समय केवल इन्हीं तथ्यों के आधार पर निर्णय करेंगे तो अर्थ का अनर्थ भी हो सकता है | इसके लिए आवश्यकता है किसी योग्य और अनुभवी Astrologer द्वारा जन्म कुण्डली का गहन अध्ययन कराया जाए |