Hariyali Teej
हरियाली तीज
सावन है मनभावन आया, जन जन को हर्षाता आया ।
अल्हड़ धरती के मन पिया मिलन की आस जगाता आया ।।
प्रियतम अम्बर दूल्हा बनकर मेघ बरात लिए हैं आते ।
मुदित हुए हैं मेघराज ता धिन मृदंग का ताल जमाया ।।
चपला दामिनि पायल छनन छनन छन छनकाती है आती ।
और पवन ने मतवाली तरु की डालों संग रास रचाया ।।
पुष्पित हरे भरे पेड़ों पर भँवरे गुन गुन गुन गुन गाते ।
और मोर ने पागल होकर कितना अद्भुत नृत्य दिखाया ।।
प्रकृति नटी जब बनी बावरी, कैसे मनवा धीर धाराए ।
गोरी ने भी सखियों को ले आसमान तक पेंग बढ़ाया ।।
सावन की मस्ती में जब सारी पृकृति ही मदमस्त हो जाती है वर्षा की रिमझिम बूँदों का मधुपान करके तो फिर मानव मन भला कैसे न झूम उठेगा… क्यों न उसका मन होगा हिंडोले पर बैठ ऊँची ऊँची पेंग बढ़ाने का… हम सब अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में ऊँची पेंग बढ़ाते आकाश छू लें… सभी को मधुस्रवा तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ…