Jupiter transit in Sagittarius
गुरु का धनु में गोचर
देवगुरु बृहस्पति की उपासना ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि, धर्म और अध्यात्म के साथ-साथ भाग्य वृद्धि, विवाह तथा सन्तान सुख की प्राप्ति के लिए की जाती है | किसी व्यक्ति की कुण्डली में गुरु पिता का कारक भी होता है और किसी कन्या की कुण्डली में पति के लिए भी गुरु को देखा जाता है | साथ ही माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति का गुरु बली हो तो वह व्यक्ति विद्वान् होता है तथा उसे अपने ज्ञान के ही कारण यश और धन की प्राप्ति होती है | इन्हें देवगुरु की उपाधि से विभूषित किया गया है अतः इन्हें “गुरु” भी सम्बोधित किया जाता है | ये शील और धर्म के अवतार माने जाते हैं | नवग्रहों के समूह का नायक माने जाने के कारण इन्हें गणपति और गणाधिपति नामों से भी सम्बोधित किया जाता है | धनु और मीन दो राशियों तथा पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्रों का स्वामित्व गुरु के पास है | कर्क इनकी उच्च राशि तथा मकर निम्न राशि है | सूर्य, चन्द्रमा और मंगल के साथ इनकी मित्रता है, बुध तथा शुक्र शत्रु ग्रह हैं और शनि के साथ ये तटस्थ भाव में रहते हैं | गुरुदेव एक राशि पर लगभग एक वर्ष तक भ्रमण करते हैं | वक्री और अस्त आदि होने की स्थिति में कभी कभी इस अवधि में कुछ घट बढ़ भी हो सकती है | इस वर्ष 29 मार्च 2019 को 20:07 के लगभग गुरु ने अपने मित्र ग्रह मंगल की वृश्चिक राशि से निकल कर अपनी स्वयं की मूल त्रिकोण राशि धनु और मूल नक्षत्र में प्रवेश किया था | इस बीच 10 अप्रेल 2019 को 22:05 के लगभग गुरु का वक्री होना आरम्भ किया था और वक्री होते हुए 23 अप्रेल की रात को पुनः वृश्चिक राशि में वापस आ गए थे | 11 अगस्त को 19:42 के लगभग गुरु मार्गी हो गए थे और इसी अवस्था में पाँच नवम्बर तक भ्रमण करते हुए अन्त में कार्तिक शुक्ल नवमी यानी पाँच नवम्बर को बालव करण और गण्ड योग में प्रातः सूर्योदय से पूर्व 05:17 के लगभग पुनः अपनी स्वयं की धनु राशि में प्रविष्ट हो जाएँगे |
धनु राशि में विचरण करते हुए 4 जनवरी 2020 को पूर्वाषाढ़ और आठ मार्च को उत्तराषाढ़ नक्षत्र पर भ्रमण करते हुए अन्त में 29 मार्च को 27:55 (30 मार्च को सूर्योदय से लगभग सवा दो घंटा पूर्व तीन बजकर पचपन मिनट) के लगभग शनि की मकर राशि में प्रस्थान कर जाएँगे जो गुरु की नीच राशि है | गुरु इस समय राहु-केतु के मध्य तथा अपने मित्र ग्रह शनि के साथ होंगे | 21 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक शुक्र, 26 दिसम्बर से तेरह जनवरी तक बुध तथा सोलह दिसम्बर से पन्द्रह जनवरी तक सूर्य का साथ भी गुरु को प्राप्त होगा |
धनु राशि में विचरण करते हुए गुरुदेव की दृष्टियाँ क्रमशः मेष, मिथुन तथा सिंह राशियों पर रहेंगी | मेष राशि के लिए गुरु भाग्येश तथा द्वादशेश है, मिथुन के लिए सप्तमेश और दशमेश होकर योगकारक तथा सिंह के लिए पंचमेश और अष्टमेश है | इन्हीं सब तथ्यों के आधार पर जानने का प्रयास करते हैं गुरु के धनु राशि में गोचर के विभिन्न राशियों के जातकों पर क्या सम्भावित प्रभाव हो सकते हैं…
किन्तु ध्यान रहे, ये परिणाम सामान्य हैं | किसी कुण्डली के विस्तृत फलादेश के लिए केवल एक ही ग्रह के गोचर को नहीं देखा जाता अपितु किसी योग्य Astrologer द्वारा उस कुण्डली का विभिन्न सूत्रों के आधार पर विस्तृत अध्ययन आवश्यक है |
मेष : आपका नवमेश और द्वादशेश होकर गुरु आपकी राशि से भाग्य स्थान में गोचर कर रहा है जहाँ से आपकी राशि, तृतीय भाव तथा पंचम स्थानों पर गुरु की दृष्टियाँ हैं | यह समय आपके कार्य में प्रगति का समय प्रतीत होता है | कोई ऐसा नवीन Contract आप इस अवधि में Sign कर सकते हैं जिसके कारण आप दीर्घकाल तक व्यस्त रहते हुए अर्थलाभ कर सकते हैं | कार्यक्षेत्र में तथा समाज में मान सम्मान के संकेत हैं | इस अवधि में आप अपने समस्त रुके हुए कार्य भी पूर्ण कर सकते हैं तथा आपकी आर्थिक स्थिति में भी दृढ़ता प्रतीत होती है, किन्तु आपको अपने खर्चों पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता होगी | परिवार में विवाह अथवा किसी शिशु के जन्म के कारण नए सदस्य का आगमन भी सम्भव है | कुछ मनोरंजक यात्राओं के अथवा तीर्थ यात्राओं के योग भी प्रतीत होते हैं | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में रुझान बढ़ सकता है | यदि आप किसी प्रकार की रहस्य विद्याओं के ज्ञाता हैं, कोई शोध कार्य कर रहे हैं, किसी प्रकार की Alternative Healing Therapy से सम्बन्ध रखते हैं तो आपके लिए यह गोचर विशेष रूप से अनुकूल प्रतीत होता है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में अनुकूल जीवन साथी की खोज भी पूर्ण हो सकती है | कोई प्रेम सम्बन्ध भी विवाह में परिणत हो सकता है | आपकी सन्तान के लिए भी यह गोचर अनुकूल फल देने वाला प्रतीत होता है | किन्तु स्वास्थ्य की ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है |
वृषभ : आपका अष्टमेश और एकादशेश होकर गुरु का गोचर आपकी राशि से अष्टम भाव में हो रहा है जहाँ से आपके बारहवें भाव, दूसरे भाव तथा चतुर्थ भावों पर गुरु की दृष्टियाँ हैं | पैसे के लेन देन में सावधानी बरतने की आवश्यकता है | आप यदि कहीं पैसा Invest करना चाहते हैं तो उसके लिए समय अभी अनुकूल नहीं प्रतीत होता | यदि किसी कारणवश करना भी पड़ जाए तो बहुत सोच विचार के बाद ही आगे बढें | अपना स्वयं का व्यवसाय है तो उसमें भी किसी प्रकार का व्यवधान भी सम्भव है | किसी से नई नई मित्रता हुई है तो उस पर विश्वास करना आपके हित में नहीं रहेगा | नौकरी में हैं तो बॉस से किसी प्रकार की बहस आपके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है | आपका किसी ऐसे स्थान पर ट्रांसफर भी हो सकता है जो आपके मन के अनुकूल न हो | पारिवारिक क्लेश से बचने की आवश्यकता है | किन्तु साथ ही किसी अप्रत्याशित स्थान अथवा माध्यम से आपके लिए अर्थलाभ की भी सम्भावना है | किसी ऐसे स्थान से भी आपके लिए नौकरी का प्रस्ताव आ सकता है जहाँ के विषय में आपने कल्पना भी नहीं की होगी अथवा आशा ही छोड़ दी होगी | पेट से सम्बन्धित कोई समस्या हो सकती है, अतः इस ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है |
मिथुन : गुरु आपका योगकारक ग्रह है और आपकी राशि से सप्तम भाव में विचरण कर रहा है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके लाभ स्थान, राशि तथा तीसरे भाव पर हैं | आपके लिए यह गोचर विशेष रूप से अनुकूल प्रतीत होता है | यदि आपका कार्य पार्टनरशिप में है तब तो आपके लिए यह गोचर विशेष रूप से अनुकूल प्रतीत होता है | कार्य के अनेक नवीन अवसर आपके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं – यदि आपने समझदारी से निर्णय लिया तो बहुत समय तक आप इन कार्यों में व्यस्त रहते हुए धनलाभ कर सकते हैं | कार्य में प्रगति के साथ ही अर्थ लाभ की भी सम्भावना की जा सकती है | आपको अपने भाई के माध्यम से भी अर्थलाभ की सम्भावना है | किन्तु आपको अपने Temperament को नियन्त्रण में रखने की आवश्यकता है | सामाजिक गतिविधियों तथा मान सम्मान में वृद्धि के साथ ही कार्यस्थल पर भी वातावरण अनुकूल बना रहेगा | परिवार में भी सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहने की सम्भावना है | अविवाहित हैं तो जीवन साथी की खोज भी इस अवधि में पूर्ण हो सकती है | विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन में माधुर्य बना रहेगा, किन्तु जीवन साथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की विशेष रूप से आवश्यकता है साथ ही सम्बन्धों में ईमानदारी भी रखने की आवश्यकता होगी | अन्यथा सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न होते देर नहीं लगेगी |
कर्क : आपके लिए गुरु षष्ठेश तथा भाग्येश है और आपके छठे भाव में ही गोचर कर रहा है जहाँ से आपके कर्म स्थान, बारहवें भाव तथा धन स्थानों पर उसकी दृष्टियाँ हैं | आपके लिए विरोधियों में वृद्धि की सम्भावना है | किन्तु आपके पराक्रम और निर्णायक क्षमता में वृद्धि का समय होने के कारण आप अपने विरोधियों को परास्त करने में भी सक्षम हो सकते हैं | किसी कोर्ट केस अथवा स्वास्थ्य के कारण मानसिक तनाव की भी सम्भावना है | स्वास्थ्य अथवा लीगल समस्याओं के कारण पैसा भी अधिक खर्च हो सकता है | कार्यस्थल पर सहकर्मियों के साथ किसी प्रकार की बहस से बचने का प्रयास करें | कार्य से सम्बन्धित दूर पास की यात्राओं के भी संकेत हैं, किन्तु सम्भव है इन यात्राओं में आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का भी सामना करना पड़ जाए | अपने साथ अथवा अपने घर या ऑफिस में कार्य कर रहे लोगों पर ध्यान रखने की भी आवश्यकता है | अन्धविश्वास हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है | यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं अथवा नौकरी की तलाश में हैं तो आपके लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |
सिंह : आपका पंचमेश और अष्टमेश होकर गुरु आपकी राशि से पंचम भाव में गोचर कर रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके भाग्य स्थान, लाभ स्थान तथा लग्न पर हैं | आपके लिए कार्य की दृष्टि से यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | यदि पहले से कुछ समस्याएँ कार्य अथवा परिवार से सम्बन्धित चल भी रही हैं तो उनके समाधान की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | सामाजिक गतिविधियों में वृद्धि के साथ ही नवीन सम्पर्क भी बनेंगे जिनके कारण आपको अपने कार्य में लाभ की सम्भावना भी की जा सकती है | आप अपनी बुद्धिमत्ता के कारण हर किसी के आकर्षण का केन्द्र बने रहेंगे अतः इस अवसर का लाभ उठाने में ही समझदारी है | ज्ञान में वृद्धि के साथ ही दार्शनिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में भी आपका रुझान बढ़ सकता है | सम्भव है आप बहुत दिनों से कोई नया घर अथवा वाहन खरीदने की योजना बना रहे हों, इस एक माह की अवधि में आप इस योजना को क्रियान्वित भी कर सकते हैं | परिवार में किसी शिशु के जन्म की भी सम्भावना है | आप अथवा आपकी सन्तान उच्च शिक्षा के लिए भी किसी अच्छे संस्थान में एडमीशन ले सकते हैं | आपका अधिकाँश समय सन्तान से सम्बन्धित कार्यों में व्यस्त रह सकता है | किन्तु सन्तान के साथ व्यर्थ की बहस अथवा उसके प्रति सन्देह के स्वभाव की आपको त्यागना होगा | अविवाहित हैं तो इस अवधि में आपका विवाह सम्बन्ध भी कहीं निश्चित हो सकता है |
कन्या : आपके लिए गुरु योगकारक ग्रह है तथा आपकी राशि से चतुर्थ भाव में गोचर कर रहा है तथा वहाँ से आपके अष्टम भाव, दशम भाव और बारहवें भावों पर इसकी दृष्टियाँ हैं | शनि तथा केतु-राहु के प्रभाव के कारण इस अवधि में आपको मिश्रित फल प्राप्त होने की सम्भावना है | एक ओर आप अपने लिए नया घर अथवा वाहन खरीद सकते हैं | कार्य का जहाँ तक प्रश्न है तो यदि आपने व्यावहारिक दृष्टिकोण अपना लिया तो आपको कुछ नवीन प्रोजेक्ट्स भी इस अवधि में प्राप्त हो सकते हैं जिनसे आपको बहुत समय तक अर्थलाभ भी होता रह सकता है | कार्य से सम्बन्धित अथवा केवल भ्रमण के लिए ही यात्राओं में वृद्धि की सम्भावना भी है | इन यात्राओं का उपयोग भी आप अपने कार्य के निमित्त कर सकते हैं | वहीं दूसरी ओर परिवार में – विशेष रूप से अपनी माता जी अथवा किसी बुज़ुर्ग महिला के कारण अथवा कार्य स्थल पर किसी प्रकार के विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है | अच्छा यही रहेगा कि जो लोग आपसे सहमत न हों या जिनसे आप सहमत न हों उनसे एक दूरी बनाकर रहें | विवाहित हैं तो जीवन साथी के प्रति ईमानदार बने रहेंगे तो दाम्पत्य जीवन में माधुर्य बना रहने की सम्भावना है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में जीवन साथी की खोज भी पूर्ण हो सकती है |
तुला : आपका तृतीयेश और षष्ठेश होकर गुरु का गोचर आपके तीसरे भाव में हो रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके सप्तम भाव, नवम भाव तथा लाभ स्थानों पर आ रही हैं | आपके लिए यह गोचर बहुत अधिक अनुकूल नहीं प्रतीत होता | छोटी छोटी यात्राओं की सम्भावना है | ये यात्राएँ आपके कष्टकारी भी सिद्ध हो सकती हैं | यदि आपका अपना व्यवसाय है तो उसमें किसी प्रकार का व्यवधान सम्भव है | आपका कोई मित्र अथवा भाई भी आपके लिए तनाव का कारण बन सकता है | इस अवधि में आप अपना निवास स्थान भी बदल सकते हैं अथवा नौकरी में हैं तो आपका ट्रांसफर भी सम्भव है | किन्तु जहाँ भी आप शिफ्ट करें सम्भव है वह स्थान आपके लिए अनुकूल न सिद्ध हो | छोटे भाई बहनों के साथ भी किसी प्रकार का विवाद सम्भव है | समय रहते यदि यह विवाद नहीं सुलझाया गया तो बात कोर्ट तक भी पहुँच सकती है | हाँ यदि आप किसी नौकरी की तलाश में हैं वह तलाश आपकी पूर्ण हो सकती है | यह नौकरी भी सम्भव है आपके मन के अनुकूल न मिले | लेकिन इस समय इस Job को Accept करना ही आपके लिए उचित रहेगा | कहीं पैसा Invest करना चाहते हैं तो उसके लिए समय अभी अनुकूल नहीं प्रतीत होता | Opposite Sex की ओर आपका झुकाव हो सकता है, लेकिन सोच समझकर ही आगे बढ़ना उचित रहेगा |
वृश्चिक : आपका द्वितीयेश और पंचमेश होकर गुरु का गोचर आपके दूसरे भाव में हो रहा है और वहाँ से आपके छठे भाव, अष्टम भाव तथा दशम भावों को देख रहा है | आपके लिए यह गोचर अत्यन्त भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | कार्य में प्रगति तथा आर्थिक स्थिति में दृढ़ता की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | कार्य की कुछ नवीन Opportunities इस अवधि में आपके समक्ष प्रस्तुत हो सकती हैं, इस अवधि में यदि आप उन्हें स्वीकार कर लेते हैं तो बहुत समय तक व्यस्त रहते हुए अर्थलाभ भी कर सकते हैं | कोई शोध कार्य कर रहे हैं तो वह भी पूर्ण होकर प्रकाशन के लिए जा सकता है | पॉलिटिक्स से यदि आपका सम्बन्ध है तो आपके लिए भी यह गोचर अत्यन्त अनुकूल प्रतीत होता है | परिवार में किसी मांगलिक कार्य के सम्पन्न होने की सम्भावना है, सम्भव है आपकी सन्तान का विवाह इस अवधि में सम्पन्न हो जाए | आपकी सन्तान का प्रदर्शन प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा रहने की सम्भावना है | यदि आप अविवाहित हैं तो इस अवधि में जीवन साथी की तलाश भी पूर्ण हो सकती है | विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन में भी माधुर्य बने रहने की सम्भावना है | किन्तु साथ ही आपको अपनी वाणी और Temperament को नियन्त्रण में रखने की आवश्यकता है | साथ ही स्वास्थ्य के प्रति भी सावधान रहने की आवश्यकता है – विशेष रूप से खान पान के सम्बन्ध में |
धनु : आपका राश्यधिपति और चतुर्थेश होकर गुरु आपके लिए योगकारक ग्रह है और आपकी राशि में ही गोचर कर रहा है तथा वहाँ से आपके पञ्चम भाव, सप्तम भाव और नवम भावों पर इसकी दृष्टियाँ हैं | आपके तथा आपके जीवन साथी के लिए आत्मविश्वास में वृद्धि तथा कार्य में प्रगति का समय प्रतीत होता है | आपका अपना व्यवसाय है तो उसमें उन्नति तथा नौकरी में हैं तो उसमें पदोन्नति के अवसर प्रतीत होते हैं | सामाजिक गतिविधियों तथा मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | कुछ नया कार्य भी आरम्भ कर सकते हैं | यह कार्य आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है | परिवार में आनन्द का वातावरण बना रहने की सम्भावना है | उच्च शिक्षा के लिए प्रयासरत हैं तो उसमें भी आशानुरूप सफलता की सम्भावना की जा सकती है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में आपका विवाह सम्बन्ध भी कहीं निश्चित हो सकता है | विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन में भी मधुरता बनी रहेगी | किन्तु, ध्यान रहे, आपके क्रोध में वृद्धि हो सकती है जो सम्बन्धों के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है – अतः इस ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है | पॉलिटिक्स से सम्बन्धित लोगों के लिए यह गोचर अत्यन्त भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | सन्तान के लिए यह गोचर भाग्यवर्धक प्रतीत होता है | सन्तान यदि विवाह योग्य है तो उसका विवाह भी इस अवधि में सम्भव है, किन्तु उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है |
मकर : आपका द्वादशेश और तृतीयेश होकर गुरु का गोचर आपके बारहवें भाव में हो रहा है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके चतुर्थ भाव, छठे भाव तथा अष्टम भावों पर हैं | आपके लिए यह गोचर कुछ अधिक अनुकूल नहीं प्रतीत होता | यदि आपका कार्य विदेश से सम्बन्ध रखता है तो विदेश यात्राओं में वृद्धि के साथ ही खर्च भी अधिक होने की सम्भावना है | साथ ही इन यात्राओं के दौरान स्वास्थ्य तथा चोरी आदि की ओर से भी सावधान रहने की आवश्यकता है | छोटे भाई बहनों के साथ विवाद के कारण भी धन का अपव्यय सम्भव है | अच्छा यही रहेगा इस समय अपने मन की शान्ति बनाए रखने के लिए बहुत सी अप्रिय बातों पर ध्यान ही न दें | प्रॉपर्टी से सम्बन्धित कोई ऐसा कोर्ट केस भी इस अवधि में खुल सकता है जो बहुत समय से आपको लगता है बन्द पड़ा था | साथ ही किसी पुरानी बीमारी के भी फिर से उभर आने की सम्भावना है | अच्छा यही रहेगा कि समय पर अपना पूरा चेकअप कराएं और डॉक्टर के दिशा निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन करें | परिवार में अकारण ही क्लेश की स्थिति उत्पन्न हो सकती है | यदि ऐसा होता है तो किसी बुज़ुर्ग व्यक्ति की मध्यस्थता से उस विवाद को समय पर सुलझाने का प्रयास करें अन्यथा विवाद लम्बा खिंच सकता है |
कुम्भ : आपके लिए द्वितीयेश और एकादशेश होकर गुरु का गोचर आपकी राशि से लाभ स्थान में होने जा रहा है और वहाँ से आपके तीसरे भाव, पञ्चम भाव तथा सप्तम भावों को देख रहा है | आपके लिए कार्य तथा आर्थिक लाभ की दृष्टि से यह गोचर अत्यन्त भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | व्यवसाय में उन्नति तथा आर्थिक स्थिति में दृढ़ता की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | नौकरी में हैं तो पदोन्नति की सम्भावना भी है | आपको अपने पिता, बड़े भाई तथा अधिकारी वर्ग का सहयोग प्राप्त रहेगा जिसके कारण आप अपने समस्त कार्य सुचारु रूप से करने में समर्थ हो सकेंगे | किन्तु इन लोगों के साथ व्यर्थ की बहस किसी विवाद को जन्म दे सकती है जो आपके हित में नहीं रहेगा | यदि कहीं पैसा Invest करना चाहते हैं तो उसके लिए यह समय अनुकूल प्रतीत होता है, किन्तु सम्बन्धित Documents का भली भाँति अध्ययन अवश्य कर लें | आपकी सन्तान के लिए भी यह गोचर भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | सन्तान का विवाह भी इस अवधि में सम्भव है | किन्तु इसके साथ ही आपको अपनी वाणी पर नियन्त्रण रखने की भी आवश्यकता है | जीवन साथी के प्रति ईमानदार रहेंगे तो दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी | अविवाहित हैं तो इस अवधि में विवाह की सम्भावना भी की जा सकती है | यदि कुछ समय से स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है तो इस अवधि में उसमें भी सुधार की सम्भावना की जा सकती है |
मीन : आपके लिए योगकारक गुरु का गोचर आपके कर्म स्थान में हो रहा है और वहाँ से आपके दूसरे भाव, चतुर्थ भाव तथा छठे भावों पर इसकी दृष्टियाँ हैं | निश्चित रूप से बड़ा भाग्यशाली समय प्रतीत होता है | इस अवधि में आपका अपना व्यवसाय है तो उसमें प्रगति के साथ ही अर्थलाभ की सम्भावना भी है | नौकरी में हैं तो उसमें सहकर्मियों का सहयोग आपको उपलब्ध रहेगा | कार्य क्षेत्र में यद्यपि कुछ विरोध के स्वर मुखर हो सकते हैं, किन्तु इस समय आपके उत्साह में वृद्धि के साथ ही आपकी निर्णायक क्षमता में भी स्पष्टता बनी हुई है जिसके कारण आप अपने बुद्धिबल से स्वयं ही उस विरोध को शान्त करने में समर्थ हो सकते हैं | आप नया घर खरीद कर उसमें शिफ्ट हो सकते हैं | किन्तु सम्बन्धित Documents का अच्छी तरह निरीक्षण अवश्य कर लें | साथ ही यदि कहीं पैसा Invest करना हो भली भाँति सोच समझकर ही आगे बढें | यदि आपका Temperament सही रहा तो घर परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रह सकता है | मित्रों तथा परिवारजनों के साथ आमोद प्रमोद में समय व्यतीत हो सकता है | परिवार में किसी का विवाह भी इस अवधि में सम्भव है | किसी पुराने रोग से मुक्ति की सम्भावना है, किन्तु साथ ही कोई अन्य नवीन समस्या भी स्वास्थ्य के सम्बन्ध में उत्पन्न हो सकती है | अपने खान पान पर नियन्त्रण तथा जीवन शैली में बदलाव आपके लिए अत्यन्त आवश्यक है |
अन्त में, ग्रहों के गोचर तथा उनके मार्गी, वक्री अथवा अतिगामी होने का क्रम तो अपने नियत समय पर चलता ही रहेगा | सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है…