Happiness and Sorrow

Happiness and Sorrow

Happiness and Sorrow

सुख और दुःख

जीवन में अनुभूत सुख अथवा दुःख अच्छे या बुरे जीवन का निर्धारण नहीं करते | क्योंकि जीवन सुख-दुख, आशा-निराशा, मान-अपमान, सफलता-असफलता, दिन-रात, जीवन-मृत्यु आदि का एक बड़ा उलझा हुआ सा लेकिन आकर्षक चित्र है | सुखी व्यक्ति वह नहीं है जो सदा “सुखी” रहता है, बल्कि सुखी व्यक्ति वह है जो दुःख में भी सुख का अनुभव करता है – जो जीवन के इन दोनों किनारों को भली भाँति समझता है | ऐसा करने से उसमें स्वीकार्यता (Acceptance) का भाव आ जाता है | हमारे पास क्या है या क्या नहीं है इस बात से हमारे सुख का निर्णय नहीं होता | यदि हम भीतर से सुखी हैं, तो भले ही सारा संसार हमें दुखी सिद्ध करने के प्रयास में जुट जाए, हम सुखी ही रहेंगे |

वास्तव में देखा जाए तो सुख और दुःख का न तो कोई अपना व्यक्तिगत अस्तित्व है और न ही कोई ठोस और सर्वमान्य आधार | क्योंकि कुछ परिस्थितियों में एक व्यक्ति सुखी रह सकता है तो वहीं दूसरा व्यक्ति दुःख का अनुभव कर सकता है | साथ ही इनकी निरंतरता तथा स्थायित्व भी नहीं होता | एक के आने पर दूसरा कहीं खो जाता है और तब हमें दूसरे का स्मरण भी नहीं रहता | साथ ही दोनों एक दूसरे के पूरक भी हैं | एक के बिना दूसरे के महत्त्व का भान हो ही नहीं सकता | है न कितनी विचित्र बात ? वस्तुतः अनुकूलताओं में सुखी और प्रतिकूलताओं में दुखी हो जाना हमारा स्वभाव बन जाता है |

अस्तु, अच्छा जीवन जीने का अर्थ है कि सुख हो या दुःख, हर्ष हो या विषाद, आशा हो या निराशा, हर स्थिति में चेहरे पर मुस्कान खिली रहे, खुलकर हँसी बिखरती रहे, और इस तथ्य को स्वीकार करके ईश्वर को धन्यवाद देते रहें कि हमारे पास वो सब कुछ है जिसकी हमें आवश्यकता है | जब हम नींद से जागते हैं तो पूरे चौबीस घंटे हमारे पास होते हैं हमारे अधूरे कार्यों को पूर्ण करने के लिए और जीवन को सुख और शान्ति से व्यतीत करने के लिए | हमारे पास पूरा समय होता है आत्मोन्नति के प्रयास के लिए | हमारे पास पूरा समय होता है किसी दुखी के जीवन में आशा, विश्वास, अपनेपन और प्रेम का प्रसार करने के लिए | यदि हमारे मन में हमारी सम्भावनाओं और योग्यताओं के प्रति विश्वास है और मन आशा तथा उत्साह से भरपूर है तो हम कठिन से कठिन समस्याओं का भी समाधान सरलता से खोज सकते हैं | यदि हमारे मन में प्रेम की भावना है तो जो कुछ भी हम सोचेंगे अथवा करेंगे वह सब सौन्दर्य और प्रसन्नता से भरपूर होगा… समस्त भारतीय संस्कृति और दर्शनों का यही तो सार है…

सुख दुःख दोनों जीवन साथी, एक दिया है एक है बाती |

किन्तु स्नेह के बिना व्यर्थ है दीप और दीपक की बाती ||

सुख जाता है दुःख को देकर, दुःख जाता है सुख को देकर |

सुख देकर जाने वाले से डरना क्यों और बचना क्यों ||