Meditation and it’s practices
ध्यान और इसका अभ्यास
ध्यान के लिए समय निकालना और उसकी नियमितता बनाए रखना
ध्यान के लिए समय निकालना
ध्यान का अभ्यास रात को अथवा दिन में किसी भी समय किया जा सकता है | किन्तु प्रातःकाल अथवा सायंकाल का समय ध्यान के लिए आदर्श समय होता है – क्योंकि इस समय का वातावरण ध्यान में सहायक होता है | आपके चारों ओर का संसार शान्त होता है और कोई आपके ध्यान में बाधा नहीं डाल सकता | सुबह सुबह और प्रातःकाल के समय आप तारो ताज़ा और अपेक्षाकृत अधिक चुस्त भी होते हैं | इसीलिए ऐसे ही समय ध्यान करना चाहिए | फिर भी आपकी दिनचर्या और आपके व्यक्तिगत उत्तरदायित्व आपके ध्यान के समय का निर्धारण करेंगे |
अगर आपके छोटे छोटे बच्चे हैं तो आपके लिए रात का समय उचित रहेगा जबकि बच्चे सोने के लिए चले जाएँगे | आरम्भ में आप पाँच से पन्द्रह मिनट तक की दो समयावधियाँ चुनिए जबकि आप दूसरों को कष्ट पहुँचाए बिना, दूसरों को असुविधा पहुँचाए बिना, अपने उत्तरदायित्वों की उपेक्षा किये बिना, बिना किसी शीघ्रता अथवा जल्दबाज़ी के और दूसरी बातों में स्वयं को व्यस्त रखे बिना ध्यान का अभ्यास कर सकें | इसके लिए अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करने का सबसे उपयुक्त समय होगा प्रातः जल्दी उठकर अथवा बिस्तर में जाने से ठीक पहले ध्यान करना |
कुछ लोग प्रातःकाल और कुछ सायंकाल स्वयं को प्राकृतिक रूप से ऊर्जावान और चेतन अनुभव करते हैं | यही समय आपके लिए ध्यान का उपयुक्त समय हो सकता है | फिर भी जैसा अभी ऊपर लिखा, आपकी दिनचर्या और आपके व्यक्तिगत उत्तरदायित्वों पर अधिक निर्भर करता है कि ध्यान के लिए कौन सा समय आपके लिए अधिक उपयुक्त और सुविधाजनक रहेगा |
समय की नियमितता को बनाए रखना :
यदि आप प्रतिदिन नियमित समय पर ध्यान का अभ्यास करेंगे तो निश्चित रूप से प्रगति ही होगी | इसको अपना स्वभाव बनाना और पूर्ण निष्ठा से उसका निर्वाह करना तथा अपनी दिनचर्या का पूर्व निर्धारित आवश्यक अंग बनाना ध्यान के अभ्यास में गहराई लाने के लिए सहायक होगा | यहाँ तक कि यदि आपकी दिनचर्या ऐसी है जो कि हर दिन बदलती रहती है तब भी ध्यान के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करके प्रतिदिन उसी समय पर अभ्यास करने का प्रयास कीजिए | इससे आपके आलस्य तथा विलम्ब से कार्य करने की आपकी प्रवृत्ति के कारण जो व्यवधान उपस्थित होते हैं उनमें भी कमी आएगी |
क्रमश:…………….