Meditation and it’s practices
ध्यान और इसका अभ्यास
ध्यान के अभ्यास पर वार्ता करते हुए ध्यान के अभ्यास में भोजन की भूमिका पर हम चर्चा कर रहे हैं | इसी क्रम में आगे…
भोजन भली भाँति चबाकर करना चाहिये | अच्छा होगा यदि भोजन धीरे धीरे और स्वाद का अनुभव करते हुए ग्रहण किया जाए | पाचनतंत्र को और अधिक उत्तम बनाने के लिए भोजन में तरल पदार्थों की मात्रा अधिक होनी चाहिए | ताज़े फल और सलाद भी आपके भोजन का आवश्यक अंग होने चाहियें | भूख से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके कारण बहुत सी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं | भोजन के बाद मुँह और दाँतों की सफाई करें और पाचनतंत्र को विश्राम दें | दो भोजन के बीच में कुछ नाश्ता आदि न लें | वास्तव में भोजन ध्यान के अभ्यास, सम्भोग तथा नींद से कम से कम चार घंटे पूर्व कर लेना चाहिए | अर्थात ध्यान के अभ्यास और भोजन में, सम्भोग और भोजन में अथवा निद्रा और भोजन में कम से कम चार घंटे का अंतराल रखेंगे तो आपके लिए श्रेष्ठ रहेगा | भोजन के तुरन्त सोने के लिए चले जाना स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं होता |
पाचन क्रिया और भोजन के प्रति आपके शरीर की प्रतिक्रिया का आपके ध्यान एक अभ्यास पर व्यापक प्रभाव पड़ता है | क्योंकि भोजन करने के तीन चार घंटे बाद तक ध्यान का अभ्यास नहीं किया जा सकता इसीलिए प्रातः जल्दी उठकर ध्यान का अभ्यास करना सबसे अधिक उपयुक्त रहेगा | उस समय आपका शरीर पिछले दिन के भोजन को पचा चुका होता है और हल्का तथा चुस्त अनुभव कर रहा होता है | शाम को यदि आपने देर से भोजन किया है अथवा भरपेट भारी भोजन किया है तो आपको देर रात तक प्रतीक्षा करनी होगी इस बात के लिए कि आपका भोजन पच जाए और तब आप ध्यान का अभ्यास आरम्भ करके ध्यान केन्द्रित कर सकें |
क्रमशः…