पितृ पक्ष श्राद्ध पर्व की तिथियाँ

पितृ पक्ष श्राद्ध पर्व की तिथियाँ

पितृ पक्ष श्राद्ध पर्व की तिथियाँ

भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी यानी 19 सितम्बर को क्षमावाणी के साथ जैन मतावलम्बियों के दशलाक्षण पर्व का समापन होगा | इसी दिन अनन्त चतुर्दशी का पावन पर्व भी है | इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बांधा जाता है | और फिर बीस सितम्बर को भाद्रपद अथवा प्रौष्ठपदी पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध होकर सोलह दिनों का श्राद्ध पक्ष आरम्भ हो जाएगा | यों तो आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से 15 दिन के पितृ पक्ष का आरम्भ माना जाता है | किन्तु जिनके प्रियजन पूर्णिमा को ब्रह्मलीन हुए हैं उनका श्राद्ध पक्ष आरम्भ होने से एक दिन पूर्व अर्थात भाद्रपद पूर्णिमा को करने का विधान है |

इस वर्ष श्राद्ध की तिथियाँ इस प्रकार रहेंगी…

सोमवार 20 सितम्बर – भाद्रपद पूर्णिमा – पूर्णिमा का श्राद्ध

मंगलवार 21 सितम्बर – आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि आरम्भ सूर्योदय से पूर्व 5:25 के लगभग / आश्विन मासारम्भ / श्राद्ध पक्षारम्भ / प्रतिपदा का श्राद्ध

बुधवार 22 सितम्बर – आश्विन कृष्ण द्वितीया तिथि आरम्भ सूर्योदय से पूर्व 5:53 के लगभग / द्वितीया का श्राद्ध

गुरूवार 23 सितम्बर – आश्विन कृष्ण तृतीया तिथि आरम्भ प्रातः 6:55 के लगभग / तृतीया का श्राद्ध

शुक्रवार 24 सितम्बर – आश्विन कृष्ण चतुर्थी तिथि आरम्भ 8:31 के लगभग / चतुर्थी का श्राद्ध

शनिवार 25 सितम्बर – आश्विन कृष्ण पञ्चमी तिथि आरम्भ प्रातः 10:37 के लगभग / पञ्चमी का श्राद्ध

रविवार 26 सितम्बर – आश्विन कृष्ण षष्ठी तिथि आरम्भ दिन में एक बजकर पाँच मिनट से 27 को दिन में 3:44 तक / षष्ठी का श्राद्ध दूसरे दिन

मंगलवार 28 सितम्बर – आश्विन कृष्ण सप्तमी / सप्तमी का श्राद्ध

बुधवार 29 सितम्बर – आश्विन कृष्ण अष्टमी / अष्टमी का श्राद्ध

गुरूवार 30 सितम्बर – आश्विन कृष्ण नवमी / नवमी का श्राद्ध

शुक्रवार 1 अक्तूबर – आश्विन कृष्ण दशमी / दशमी का श्राद्ध

शनिवार 2 अक्टूबर – आश्विन कृष्ण एकादशी / एकादशी का श्राद्ध

रविवार 3 अक्टूबर – आश्विन कृष्ण द्वादशी / द्वादशी का श्राद्ध

सोमवार 4 अक्टूबर – आश्विन कृष्ण त्रयोदशी / त्रयोदशी का श्राद्ध

मंगलवार 5 अक्टूबर – आश्विन कृष्ण चतुर्दशी / चतुर्दशी का श्राद्ध

बुधवार 6 अक्टूबर – आश्विन अमावस्या / पितृविसर्जनी अमावस्या / महालया

आज हम जो कुछ भी हैं उन्हीं अपने पूर्वजों के कारण हैं… हमारा अस्तित्व उन्हीं के कारण है… उनके उपकारों का कुछ मोल तो नहीं दिया जा सकता, किन्तु उनके प्रति श्रद्धा सुमन तो समर्पित किये ही जा सकते हैं… तो आइये श्रद्धापूर्वक अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए समर्पित करें उनके प्रति श्रद्धा-सुमन…