कार्तिक मास के व्रतोत्सव
कार्तिक मास – 21 अक्टूबर से 19 नवम्बर 2021 – के व्रतोत्सव
बुधवार 20 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा के साथ आश्विन मास समाप्त हो जाएगा और 21 अक्तूबर से कृष्ण प्रतिपदा के साथ कार्तिक माह आरम्भ हो जाएगा | आश्विन मास में समस्त हिन्दू समाज भगवती के नौ रूपों की पूजा अर्चना, विजया दशमी तथा शरद पूर्णिमा आदि पर्वों में तल्लीन रहा | कार्तिक मास भी बहुत सारे पर्वों के साथ आता है | मासारम्भ में ही होती है करक चतुर्थी, फिर अहोई अष्टमी, उसके बाद पाँच पर्वों की श्रृंखला दीपावली, देव प्रबोधिनी एकादशी, सूर्योपासना का पर्व छठ पूजा, तुलसी विवाह, बैकुण्ठ चतुर्दशी, देव दिवाली, कार्तिकी पूर्णिमा आदि अनेक पर्व इस माह में आते हैं | तो सर्वप्रथम बात करते हैं कार्तिक मास के नाम की | इस मास का वैदिक नाम ऊर्जा है | जैसा कि पहले भी लिखते आए हैं कि जिस माह में जिस नक्षत्र का उदय होता है उसके आधार पर उस माह का नाम रखा जाता है | कार्तिक मास में ऊर्जावान कृत्तिका नक्षत्र प्रमुख होता है – अर्थात इस माह की शुक्ल चतुर्दशी/पूर्णिमा को चन्द्रमा कृत्तिका नक्षत्र पर होता है – इसलिए इसका नाम कार्तिक है | इस वर्ष 18 नवम्बर को दिन में बारह बजे केक लगभग पूर्णिमा तिथि का आगमन हो रहा है और अर्द्धरात्र्योत्तर डेढ़ बजे के लगभग चन्द्रमा कृत्तिका नक्षत्र पर पहुँच जाएगा | इस मास का बहुत महत्त्व माना गया है | भगवान विष्णु अपनी निद्रा से इसी मास में जागते हैं | स्कन्द पुराण के अनुसार शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय अथवा स्कन्द कुमार ने इसी मास में तारकासुर का वध करके ब्रह्माण्ड को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी | ऐसी भी मान्यता है कि इस मास में भगवान विष्णु धरती पर जल में निवास करते हैं इसलिए पवित्र नदियों में स्नान, दान, उपासना, यज्ञादि का इस मास में विशेष महत्त्व माना गया है | मान्यता है कि इस मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है | दीपदान का भी इस मास में विशेष महत्त्व है – दीपावली और देव दीवाली इसका प्रमाण हैं |
इस वर्ष मंगलवार 20 अक्टूबर को रात्रि आठ बजकर सत्ताईस मिनट के लगभग बालव करण और हर्षण योग में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा तिथि के आरम्भ के साथ ही कार्तिक मास आरम्भ हो जाएगा जो शनिवार 19 नवम्बर तक रहेगा | अस्तु, कार्तिक मास में आने वाले सभी पर्वों की अग्रिम रूप से अनेकशः हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है इस माह में आने वाले व्रतोत्सवों की सूची…
रविवार 24 अक्टूबर – कार्तिक कृष्ण चतुर्थी – करक चतुर्थी – करवा चौथ व्रत – तिथि आरम्भ सूर्योदय से पूर्व 3:01 के लगभग / तिथि समाप्त 25 अक्तूबर सूर्योदय से पूर्व 5:43 के लगभग / चन्द्र दर्शन दिल्ली रात्रि आठ बजकर सात मिनट के लगभग / पूजा मुहूर्त सायं 5:43 से सात बजे तक / सरगी का मुहूर्त प्रातः 6:27 तक
गुरूवार 28 अक्टूबर – कार्तिक कृष्ण अष्टमी – अहोई अष्टमी / राधा कुण्ड स्नान – अष्टमी तिथि आरम्भ दिन में 12:49 के लगभग / पूजा मुहूर्त सायं 5:39 से 6:56 तक / तारक दर्शन सायं छह बजकर तीन मिनट से / चन्द्र दर्शन रात्रि 11:29 पर
सोमवार 1 नवम्बर – कार्तिक कृष्ण एकादशी / रमा एकादशी / गोवत्स द्वादशी
मंगलवार 2 नवम्बर – कार्तिक कृष्ण द्वादशी / धन्वन्तरी त्रयोदशी / धन तेरस पूजा मुहूर्त सायं 6:17 से रात्रि 8:11 तक (प्रदोष काल 5:35 से 8:11 तक), यम दीपक सायं 5:35 से 6:53 तक / प्रदोष व्रत
बुधवार 3 नवम्बर – कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी / काली चौदस मुहूर्त रात्रि 11:39 से अर्धरात्रि 12:31 / हनुमान पूजा
गुरूवार 4 नवम्बर – कार्तिक अमावस्या / नरक चतुर्दशी – अभ्यंग स्नान मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व 5:40 से 6:03 तक – चर लग्न, लग्न में सूर्य-चन्द्र-बुध-मंगल योग, शकुनि करण और प्रीति योग / केदार गौरी व्रत / दीपावली / लक्ष्मी पूजन मुहूर्त सायं 6:10 से रात्रि 8:04 तक – वृषभ लग्न, नाग करण, आयुष्मान योग, सूर्य और चन्द्र दोनों स्वाति नक्षत्र पर
शुक्रवार 5 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा / गोवर्धन पूजा / अन्नकूट
शनिवार 6 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल द्वितीया / भाई दूज
मंगलवार 9 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल पञ्चमी / लाभ पञ्चमी
बुधवार 10 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल षष्ठी / छठ पूजा
गुरूवार 11 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल अष्टमी / गोपाष्टमी
शुक्रवार 12 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल नवमी / अक्षय नवमी / पंचक आरम्भ (11 नवम्बर को अर्धरात्र्योत्तर दो बजकर पावन मिनट से 16 नवम्बर को रात्रि आठ बजकर तेरह मिनट तक)
रविवार 14 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल एकादशी / देव प्रबोधिनी एकादशी स्मार्त / भीष्म पंचक आरम्भ (प्रत्येक मास में शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भीष्म पंचक माने जाते हैं और इन्हें किसी भी कार्य के लिए शुभ माना जाता है | किन्तु यदि बीच में सामान्य पंचक आ जाएँ तो उनका विचार मानना आवश्यक हो जाता है |)
सोमवार 15 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल द्वादशी / देव प्रबोधिनी एकादशी वैष्णव / तुलसी विवाह
मंगलवार 16 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल द्वादशी / प्रदोष व्रत / सूर्य का वृश्चिक में संक्रमण दिन में एक बजकर तीन मिनट के लगभग / वृश्चिक संक्रान्ति
बुधवार 17 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी / बैकुण्ठ चतुर्दशी
गुरूवार 18 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी / देव दीवाली / मणिकर्णिका स्नान
शुक्रवार 19 नवम्बर – कार्तिक पूर्णिमा / गंगा स्नान पूर्णिमा / पुष्कर स्नान / गुरु नानक जयन्ती
अन्त में एक बार पुनः करक चतुर्थी, अहोई अष्टमी, पाँच पर्वों की श्रृंखला दीपावली, छठ पूजा तथा कार्तिक मास में आने वाले सभी पर्वों की अग्रिम रूप से अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ…