करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ
नमस्कार ! आज सभी महिलाएँ करक चतुर्थी – जिसे हम करवाचौथ भी कहते हैं आम भाषा में – उसका व्रत रख रही हैं – विवाहित महिलाएँ अपने पति तथा सन्तान के सुख सौभाग्य की कामना से तथा कुछ परिवारों में अविवाहित कन्याएँ अनुकूल पति की कामना से | सबसे पहले सभी को सुख सौभाग्य की कामना से किये गए करवाचौथ व्रत की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ… करवाचौथ का व्रत जैसा कि सभी जानते हैं, प्रातः सूर्योदय से पूर्व सरगी के साथ आरम्भ किया जाता है… जिसमें परिवार की बुज़ुर्ग अथवा सम्माननीय महिलाएँ सरगी का सामान – जिसमें फल मिठाई दक्षिणा आदि होता है… व्रत रखने वाली महिला को देती हैं और वह कुछ फल मिष्टान्न आदि सूर्योदय से पूर्व ग्रहण कर लेती है… जो आज प्रातः आप सभी ने कर भी लिया होगा… उसके बाद फिर सारा दिन निर्जल निराहार रहकर उपवास करती है… और रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारायण करती हैं… यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि सरगी में अन्न से बना कोई भोजन नहीं ग्रहण किया जाता है… इसका कारण सम्भवतः यह रहा होगा कि अन्नमालस्यस्य कारणम् – अर्थात अन्न आलस्य का कारण होता है और यदि आलस्य रहेगा शरीर में तो मन भी प्रमादयुक्त रहेगा और दिन भर में न तो कोई कार्य समुचित विधि से संपन्न हो पाएगा और न ही किसी प्रकार की पूजा ध्यान आदि के लिए सामर्थ्य रहेगी… साथ ही, प्राचीन काल में बहुत छोटी आयु कन्याओं का विवाह कर दिया जाता था तो माता पिता सोचते थे कि कैसे पूरा दिन भूखी प्यासी रह पाएगी… इसलिए भी कन्याओं को फल खिलाकर सरगी की प्रथा प्रचलित थी… ताकि फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्त्व उसे सारा दिन ऊर्जावान बनाए रखें… जो बाद में रूढ़ होकर व्रत का एक आवश्यक अंग ही बन गई… तो, सरगी अवश्य लीजिये, लेकिन अन्न का बना कोई पदार्थ ग्रहण न करें तो ही उचित रहेगा…
इसी प्रकार निर्जल और निराहार व्रत रखने का भी एक नियम है… जो महिलाएँ कहीं घर से बाहर जाकर कार्य करती हैं उन्हें निर्जल और निराहार उपवास रखने की आवश्यकता नहीं है… इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं के लिए, बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं के लिए अथवा किसी प्रकार के रोग से ग्रस्त होने की स्थिति में भी निर्जल निराहार व्रत रखने की आवश्यकता नहीं है… ऐसी महिलाएँ अपनी आवश्यकता के अनुसार दिन में फल इत्यादि का सेवन कर सकती हैं…
करवाचौथ एक आँचलिक पर्व है और पूजा के समय शिव परिवार की पूजा अर्चना के पश्चात व्रत की कहानी सुनने की भी प्रथा है अपने अपने परिवार की मान्यताओं के अनुसार… और तत्पश्चात दुग्ध अथवा जल से पूर्ण करक यानी करवे में कुछ दक्षिणा डालकर परिवार की बुज़ुर्ग महिलाओं अथवा अन्य किसी भी सम्माननीय महिला को दान किया जाता है… जैसा कि पिछले लेख में भी लिखा था, करवाचौथ की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है अतः पूजा का मुहूर्त आज सायं 5:43 से सात बजे तक है… दिल्ली में चन्द्र दर्शन रात्रि आठ बजकर सात मिनट के लगभग होने की सम्भावना है… इस वर्ष चन्द्रोदय के समय चन्द्रमा भी अपनी उच्च राशि में रोहिणी नक्षत्र पर विचरण करेगा – जो एक अत्यन्त शुभ संयोग है…
इस अवसर पर कही जाने वाली कथाएँ वास्तव में लोक कथाएँ हैं और इन सभी में एक विशेष दुर्घटना का चित्र खींचकर एक बात पर विशेष रूप से बल दिया गया है कि जिस दिन व्यक्ति नियम संयम और धैर्य का पालन करना छोड़ देगा उसी दिन से उसके कार्यों में बाधा पड़नी आरम्भ हो जाएगी… नियमों का धैर्य के साथ पालन करते हुए यदि कार्यरत रहे तो समय अनुकूल बना रह सकता है… वैसे भी यदि व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो “सौभाग्य” शब्द से तात्पर्य केवल “अखण्ड सुहाग” से ही नहीं है… सौभाग्य का अर्थ है अच्छा भाग्य. .. जो प्राप्त है अच्छे तथा पूर्ण संकल्प से किये गए कर्मों से… अतः हम सभी नियम संयम की डोर को मज़बूती से थामे हुए सोच विचार कर हर कार्य करते हुए आगे बढ़ते रहें, इसी कामना के साथ एक बार पुनः सभी महिलाओं को करवाचौथ की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ… कात्यायनी…