मार्गी गुरु का कुम्भ में गोचर
नवम्बर मास में बुध और सूर्य के साथ ही एक अन्य बहुत महत्त्वपूर्ण ग्रह का राशि परिवर्तन होने जा रहा है – मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया यानी शनिवार 20 नवम्बर 2021 को रात्रि ग्यारह बजकर तीस मिनट के लगभग तैतिल करण और शिव योग में देवगुरु बृहस्पति अपनी नीच की मकर राशि से निकल कर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे | गुरुदेव एक राशि में एक वर्ष तक विचरण करते हैं, किन्तु वक्री होने की प्रक्रिया में कभी वापस पिछली राशि में चले जाते हैं तो कभी वापस उसी राशि में गोचर कर जाते हैं | इस वर्ष भी ऐसा ही हुआ था | 5 अप्रैल 2021 को गुरु ने कुम्भ राशि में प्रवेश किया था, जहाँ भ्रमण करते हुए 21 जून से वक्री होना आरम्भ हुए थे और चौदह सितम्बर को दिन में दो बजकर बीस मिनट के लगभग अपनी नीच की मकर राशि में चले गए थे | उसके बाद 18 अक्तूबर को प्रातः ग्यारह बजे के लगभग मार्गी होना आरम्भ किया था और मार्गी चाल चलते हुए अब 20 नवम्बर को पुनः अपनी नीच की मकर राशि से निकल कर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे |
गुरु और शनि के परस्पर सम्बन्धों की यदि बात करें तो न तो दोनों में मित्रता है न ही शत्रुता – दोनों परस्पर सम ग्रह हैं | गुरु की राशि धनु से कुम्भ राशि तृतीय भाव तथा मीन से बारहवाँ भाव बनती है | जबकि कुम्भ राशि के लिए गुरु द्वितीयेश और एकादशेश बन जाता है | कुम्भ राशि से गुरु की दृष्टियाँ मिथुन, सिंह तथा तुला राशियों पर रहेंगी | इनमें मिथुन राश्यधिपति बुध तथा तुला राशि के अधिपति शुक्र गुरु के लिए शत्रु ग्रह हैं | अतः इन राशियों के जातकों को विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता होगी | गुरुदेव इस समय धनिष्ठा नक्षत्र पर विराजमान हैं | यहाँ से दो जनवरी 2022 से शतभिषज नक्षत्र तथा दो मार्च से पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र पर भ्रमण करते हुए तेरह अप्रैल को अपनी स्वयं की मीन राशि में प्रविष्ट हो जाएँगे | पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का आधिपत्य भी गुरु को प्राप्त है | इसी बीच 19 फरवरी को प्रातः दस बजकर नौ मिनट से 20 मार्च तक गुरु अस्त भी रहेंगे और 20 मार्च को प्रातः 8:29 पर पुनः उदय होंगे | इन्हीं समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जानने का प्रयास करते हैं कि गुरुदेव के मकर राशि में गोचर के क्या सम्भावित परिणाम हो सकते हैं…
किन्तु ध्यान रहे, किसी एक ही ग्रह के गोचर के आधार पर स्पष्ट फलादेश करना अनुचित होगा | उसके लिए योग्य Astrologer द्वारा व्यक्ति की कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक अध्ययन आवश्यक है |
मेष : आपका नवमेश और द्वादशेश होकर गुरु का कुम्भ राशि में गोचर – अर्थात पाँच अप्रैल से चौदह सितम्बर तक का समय – आपके लिए आर्थिक रूप से अनुकूल रहा होगा | किन्तु उसके बा वक्री होकर जब तक मकर राशि में रहा तब तक – अर्थात चौदह सितम्बर से बीस नवम्बर तक – इस अवधि में आपके लिए समस्याओं का समय रहा होगा – विशेष रूप से कार्य की दृष्टि से | क्योंकि इस समय शनि भी गुरु के साथ ही चल रहा था अतः आपकी बुद्धि भी भ्रमित रही होगी | किन्तु गुरुदेव अब मार्गी होकर पुनः कुम्भ राशि में आपके एकादश भाव में प्रविष्ट होने जा रहे हैं जहाँ से इनकी दृष्टियाँ आपके तृतीय भाव, सप्तम भाव तथा नवम भाव पर रहेंगी | यह गोचर आपके लिए अनुकूल प्रतीत होता है | कार्य की दृष्टि से आय के नवीन साधन आपके समक्ष प्रस्तुत हो सकते हैं | किसी घनिष्ठ मित्र के माध्यम से कोई ऐसा कार्य आपको प्राप्त हो सकता है जिसके कारण आप अधिक समय तक व्यस्त रह सकते हैं तथा अर्थ लाभ कर सकते हैं | किन्तु आपको अपने आलस्य को त्यागने की आवश्यकता है | विवाहित हैं तो आपके जीवन साथी के लिए भी यह समय कार्य में उन्नति का प्रतीत होता है | साथ ही दाम्पत्य जीवन में सम्बन्धों में माधुर्य बना रहने की सम्भावना भी की जा सकती है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में उचित जीवन साथी की प्राप्ति भी सम्भव है | धार्मिक तथा अध्यात्मिक कार्यों में भी आपकी रूचि में वृद्धि हो सकती है | आपके पिता तथा सन्तान के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | सन्तान की कामना है तो इस अवधि में यह कामना भी पूर्ण हो सकती है |
वृषभ : आपके लिए गुरु आपके अष्टम तथा एकादश भाव का स्वामी है तथा आपके दशम भाव कुम्भ राशि से इसकी दृष्टियाँ द्वितीय, चतुर्थ तथा छठे भावों पर रहेंगी | वक्री गुरु शनि के साथ आपके नवम भाव को प्रभावित कर रहा था | शनि आपके लिए योगकारक भी है | इस अवधि में एक ओर जहाँ आपके पारिवारिक जीवन में प्रसन्नता तथा आनन्द का वातावरण बना रहा होगा वहीं आपको भ्रमण के अवसर भी उपलब्ध हुए होंगे | यद्यपि कोरोना ने भ्रमण पर तो इस अवधि में रोक ही लगा दी थी | विवाहित हैं तो सन्तान सुख भी इस अवधि में प्राप्त हुआ होगा | किन्तु साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं ने भी प्रभावित किया होगा | अभी मार्गी गुरु का गोचर आपके दशम भाव में होने जा रहा है | घर परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रहने के साथ ही कार्य के क्षेत्र में भी प्रगति की सम्भावना की जा सकती है | किन्तु इसके लिए आलस्य का त्याग करके परिश्रम अधिक करने की आवश्यकता होगी | कार्यक्षेत्र में परिवर्तन की सम्भावना भी है | किन्तु स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है अन्यथा अचानक ही स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसके कारण बहुत अधिक धन खर्च हो सकता है और आपका सारा बजट गड़बड़ा सकता है | अतः अधिक चिकनाई और मिर्च मसालों वाले भोजन को त्याग कर अपना खान पान सन्तुलित करें तथा व्यायाम आदि पर विशेष रूप से ध्यान दें | डॉक्टर्स के बताए विटामिन्स आदि समय पर लेते रहें | यदि आपने अपनी जीवन शैली में सुधार कर लिया तो गुरु का यह गोचर आपके लिए अत्यन्त अनुकूल सिद्ध हो सकता है |
मिथुन : गुरु यद्यपि आपके सप्तम तथा दशम भावों का स्वामी होकर आपके लिए योगकारक है, किन्तु अभी तक वक्री तथा नीच का होकर आपके अष्टम भाव में अष्टमेश के साथ ही गोचर कर रहा था | जहाँ से आपके बारहवें भाव के साथ साथ द्वितीय तथा चतुर्थ भावों को भी प्रभावित कर रहा था | इस अवधि में आपको अनेक प्रकार की आर्थिक तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ा होगा | किन्तु अब मार्गी होकर पुनः आपके भाग्य स्थान में प्रवेश कर रहा है जहाँ से आपकी लग्न, तृतीय भाव तथा पञ्चम भाव पर इसकी दृष्टियाँ रहेंगी | आपके लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | भाग्योन्नति का समय प्रतीत होता है | इस अवधि में आप जो भी निर्णय लेंगे सोच समझ कर लेंगे तथा उनमें आपको सफलता भी प्राप्त होने की सम्भावना है | कार्यक्षेत्र में उन्नति तथा कार्य स्थल पर सौहार्द बने रहने के संकेत हैं | मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना भी की जा सकती है | आय के नवीन स्रोत आपके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं जिनके कारण आप बहुत अधिक धनलाभ भी कर सकते हैं | आपका अपना कोई व्यवसाय है अथवा पार्टनरशिप में कोई व्यवसाय है तो उसमें भी उन्नति की सम्भावना की जा सकती है | यदि पार्टनरशिप में कोई नवीन व्यवसाय आरम्भ करने की योजना है तो वह भी इस अवधि में पूर्ण हो सकती है | आप स्वयं अथवा आपकी सन्तान उच्च शिक्षा के लिए कहीं दूर भी जा सकती है | छात्रों के लिए यह समय अनुकूल प्रतीत होता है | विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन में प्रगाढ़ता के संकेत हैं | सन्तान प्राप्ति के संकेत भी इस अवधि में प्रतीत होते हैं | अविवाहित हैं तो अनुकूल जीवन साथी की प्राप्ति की सम्भावना भी की जा सकती है | धार्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि में वृद्धि हो सकती है |
कर्क : आपके लिए गुरु आपके छठे तथा नवम भाव का स्वामी है | जब तक गुरु वक्री होकर आपके सप्तम भाव मकर में विचरण करता रहा तब तक आपने कार्यक्षेत्र में सफलता का अनुभव किया होगा | मकर में गोचर करते हुए गुरु की दृष्टि आपके एकादश भाव, लग्न तथा तृतीय भाव पर बनी हुई थी जिसके कारण अर्थ प्राप्ति के भी अच्छे योग बन रहे थे | घर परिवार में मान सम्मान में वृद्धि का अनुभव किया होगा | किन्तु साथ ही दाम्पत्य जीवन में अनेक उतार चढ़ावों का अनुभव भी किया होगा | अब गुरु मार्गी हो चुका है और आपके अष्टम भाव में गोचर करने जा रहा है जहाँ से इसकी दृष्टि आपके व्यय भाव, धन भाव तथा चतुर्थ भाव पर रहेगी | तो इस स्थिति में आपको विशेष रूप से अपने तथा अपने पिता के स्वास्थ्य तथा खर्चों की ओर से सावधान रहने की विशेष रूप से आवश्यकता है | धनहानि की सम्भावना भी है | स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर अधिक धन खर्च हो सकता है अतः इस ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है | परिवार में किसी प्रकार तनाव यदि होता है तो उसे उसी समय दूर कर देना आपके हित में रहेगा | ड्राइविंग के समय सावधानी रखने की आवश्यकता है | यदि कहीं से लोन लेने की योजना है तो आपको सफलता तो प्राप्त हो सकती है, किन्तु अभी किसी भी प्रकार क़र्ज़ आपके हित में नहीं रहेगा | क्योंकि सम्भावना इस बात की है कि लोन लिया गया धन अनावश्यक रूप से खर्च हो जाएगा और आप उस क़र्ज़ को उतारने में भी सम्भव है सक्षम न रहें | अनावश्यक यात्राएँ भी करनी पड़ सकती हैं जो कष्टपूर्ण हो सकती हैं | हाँ यदि कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसमें अनुकूल परिणाम की अपेक्षा की जा सकती है | धार्मिक गतिविधियों में इस अवधि में रूचि बढ़ सकती है | छात्रों के लिए तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे व्यक्तियों और स्पोर्ट्स से सम्बद्ध लोगों के लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |
सिंह : आपके लिए गुरु अष्टम और पञ्चम भाव का स्वामी होकर अभी तक वक्री हुआ आपके छठे भाव में गोचर कर रहा था जहाँ से आपके दशम भाव, बारहवें भाव तथा दूसरे भाव पर इसकी दृष्टियाँ थीं | यद्यपि गुरु यहाँ नीच का था लेकिन इस अवधि में येन केन प्रकारेण आपको अर्थलाभ हुआ होगा और आप अपने क़र्ज़ उतार पाए होंगे | सम्भव है कोई कोर्ट का निर्णय भी आपके पक्ष में हुआ हो जिसके कारण भी अर्थ लाभ हो सकता है | किन्तु स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर धन भी अधिक खर्च हुआ होगा | अब गुरु मार्गी होकर आपके सप्तम भाव में गोचर करने जा रहा है | यहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके एकादश भाव, लग्न तथा तृतीय भावों पर रहेंगी | यह समय आपके दाम्पत्य जीवन के लिए अत्यन्त उत्तम प्रतीत होता है | यदि अभी तक अविवाहित हैं तो इस अवध में अनुकूल जीवन साथी की प्राप्ति भी सम्भव है | आर्थिक क्षेत्र में नवीन सम्भावनाएँ प्रतीत होती हैं | आपके जीवन साथी को भी कार्यक्षेत्र में कोई विशेष उपलब्धि तथा मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना प्रतीत होती है | किन्तु इस सबके लिए आप दोनों को ही परिश्रम अधिक करने की आवश्यकता होगी | जीवन साथी का सहयोग निरन्तर प्राप्त होता रहेगा | भाई बहनों के साथ किसी प्रकार का मन मुटाव सम्भव है – किन्तु यदि आपने समय पर समस्याओं को सुलझा लिया तो आपके हित में रहेगा | स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय अनुकूल प्रतीत होता है |
कन्या : आपके लिए आपका चतुर्थेश तथा सप्तमेश होकर गुरु योगकारक बनता है जो अभी आपके पञ्चम भाव में भ्रमण कर रहा था जहाँ से आपके नवम भाव, एकादश भाव तथा आपकी लग्न पर गुरु की दृष्टियाँ थीं | माना नीच का चल रहा था, किन्तु इस अवधि में आपने सन्तान से सम्बन्धित जहाँ एक ओर कुछ शुभ समाचार अवश्य प्राप्त किये होंगे वहीं उसके स्वास्थ्य के विषय में अत्यधिक चिन्ता भी रही होगी | विद्यार्थियों के लिए यह समय लगभग अनुकूल ही था – आरम्भ में सम्भव है कुछ बाधाओं का अनुभव किया हो, लेकिन अन्त में सफलता ही प्राप्त की होगी | आपकी आय में तथा मान सम्मान में वृद्धि की भी सम्भावना है | अब मार्गी गुरु आपके छठे भाव में गोचर करने जा रहा है जहाँ से आपके दशम भाव, बारहवें भाव तथा दूसरे भाव पर इसकी दृष्टियाँ रहेंगी | कार्यक्षेत्र में किसी प्रकार का विरोध इस अवधि में सम्भव है | प्रॉपर्टी से सम्बन्धित कोई विवाद भी उत्पन्न हो सकता है | यदि आपने कहीं पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है तो उस ओर से चिन्ता हो सकती है | दाम्पत्य जीवन भी प्रभावित होने की सम्भावना है | कार्य में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है | अकारण ही व्यर्थ में धन भी खर्च हो सकता है | विदेश यात्राओं के योग बन रहे हैं किन्तु यदि सोच समझकर कार्य नहीं किया तो धन अधिक खर्च हो सकता है | सोच समझकर कार्य करेंगे तो कार्य के नवीन प्रस्ताव भी आपके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं | किन्तु मन में किसी प्रकार की उदासी बने रहने की भी सम्भावना है | अपने तथा अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य की ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है | खान पान पर नियन्त्रण नहीं रखा और व्यायाम आदि की ओर ध्यान नहीं दिया तो मोटापे की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है | प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे छात्रों तथा स्पोर्ट्स से सम्बद्ध लोगों के लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |
तुला : गुरु आपके तृतीय तथा छठे भावों का अधिपति है जो अभी तक आपके चतुर्थ भाव में भ्रमण कर रहा था जहाँ से आपके अष्टम भाव, दशम भाव तथा बारहवें भाव पर इसकी दृष्टियाँ चल रही थीं | यहाँ आकर गुरु नीच का हो गया था, लेकिन यहाँ का अधिपति शनि आपके लिए योगकारक है अतः आप पर उतना अधिक प्रतिकूल प्रभाव सम्भव है न हुआ हो | प्रयास करने पर प्रॉपर्टी से सम्बन्धित किसी विवाद में आपको सफलता प्राप्त हुई होगी | जो लोग कहीं विदेश में निवास करते हैं सम्भव है अपने घरों को वापस लौट आए हों | माता जी के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में चिन्ताएँ अवश्य रही होंगी | अब आपके पञ्चम भाव में गुरु का गोचर होने जा रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके नवम भाव, एकादश भाव तथा लग्न पर रहेंगी | सन्तान की ओर से कोई नितान्त शुभ समाचार प्राप्त होने की सम्भावना है | आर्थिक स्थिति में सुधार होने की सम्भावना है | यदि किसी प्रकार का क़र्ज़ इत्यादि लिया हुआ है तो वह भी इस अवधि में चुकता किया जा सकता है | छात्रों के लिए भी यह समय अनुकूल प्रतीत होता है | दाम्पत्य जीवन में प्रगाढ़ता के साथ ही सन्तान का जन्म भी इस अवधि में सम्भव है, अथवा इस अवधि में आप सन्तान प्राप्ति के लिए प्रयास कर सकते हैं | अविवाहित हैं तो इस अवधि में अनुकूल जीवन साथी की उपलब्धि के भी योग प्रतीत होते हैं | परिवार में अन्य भी किसी सदस्य का विवाह का आयोजन सम्भव है जिसके कारण आनन्दोत्सव का वातावरण परिवार में बना रहेगा |
वृश्चिक : गुरु आपके द्वितीय तथा पञ्चम भावों का अधिपति होकर वक्री स्थिति में आपके तृतीय भाव में अपनी नीच राशि में राश्यधिपति के साथ भ्रमण कर रहा था जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके सप्तम भाव, नवम भाव तथा एकादश भावों पर थीं | इस अवधि में आपको सन्तान की ओर से शुभ समाचार प्राप्त हुए होंगे | कुछ सफल यात्राएँ भी आपने की होंगी | भाई बहनों की समस्याओं से जूझना पड़ा होगा | साथ ही आर्थिक स्थिति भी पहले की अपेक्षा सुदृढ़ हुई होगी | कुछ लोगों के प्रेम सम्बन्ध भी विवाह में परिणत हुए होंगे | अब जबकि गुरु वापस आपके चतुर्थ भाव में आने वाला है तो वहाँ से आपके अष्टम भाव, दशम भाव तथा बारहवें भावों पर इसकी दृष्टियाँ रहेंगी | जिन लोगों का व्यवसाय प्रॉपर्टी से सम्बन्धित है उनके लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | साथ ही जो लोग कम्प्यूटर अथवा मैनेजमेंट से सम्बन्धित किसी क्षेत्र में कार्यरत हैं उनके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | किन्तु अपनी माता जी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की विशेष रूप से आवश्यकता होगी | साथ ही परिवार में व्यर्थ के क्लेश की स्थिति से बचने का उपाय भी करना होगा | आपकी सन्तान के लिए यह गोचर अधिक अनुकूल नहीं प्रतीत होता | अभी कोई नवीन कार्य आपकी सन्तान के लिए उचित नहीं रहेगा | हाँ यदि उसे देश से कहीं बाहर जाकर कार्य करना हो तो उसके लिए अनुकूलता हो सकती है | आपको अपने खान पान पर ध्यान देने की तथा नियमित व्यायाम की आवश्यकता है अन्यथा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर अधिक धन खर्च हो सकता है | धार्मिक गतिविधियों में रूचि बढ़ सकती है | किसी घनिष्ठ मित्र के माध्यम से कोई बहुत अच्छा प्रोजेक्ट आपको प्राप्त हो सकता है जिसके कारण बहुत सी आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है |
धनु : अभी तक आपका राश्यधिपति तथा चतुर्थेश होने के कारण योगकारक गुरु आपके द्वितीय भाव में वक्री होकर अपनी नीच की राशि में राश्यधिपति के साथ भ्रमण कर रहा था, जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके छठे भाव, अष्टम भाव तथा दशम भावों पर थीं | जिसके कारण परिवार में कुछ तनाव का अनुभव आपने किया होगा | आप अपने परिवारजनों के प्रति सहानुभूति का भाव रखते हैं किन्तु आपके परिवार के लोग अपने स्वार्थ के कारण आपके प्रति ईर्ष्या का भाव रखते हैं जिसके कारण इस अवधि में आपको मानसिक सन्ताप का अनुभव भी हुआ होगा | इसका एक कारण यह भी है कि आपकी साढ़ेसाती का अन्तिम चक्र भी साथ साथ चल रहा है | किन्तु अपनी सकारात्मक सोच के कारण आप इन सभी विपरीत परिस्थितियों से बाहर आने की क्षमता भी रखते हैं | कार्यक्षेत्र में मान सम्मान में वृद्धि के संकेत इस अवधि में हैं | अब मार्गी हुआ गुरु आपके तीसरे भाव में आने वाला है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके सप्तम भाव, नवम भाव तथा एकादश भावों पर रहेंगी | आपके लिए अनेक छोटी छोटी यात्राओं पर जाने के अवसर प्रतीत होते हैं | ये यात्राएँ आपके लिए आर्थिक दृष्टि तथा मान सम्मान की दृष्टि से अनुकूल सिद्ध हो सकती हैं | आप कहीं तीर्थ यात्रा के लिए भी जा सकते हैं | आपके भाई बहनों का साथ आपको इस अवधि में उपलब्ध रहेगा जो आपके कार्य में भी आपकी सहायता कर सकते हैं | किसी मित्र के माध्यम से प्रॉपर्टी से सम्बन्धित किसी विवाद को सुलझाने में भी सफलता प्राप्त हो सकती है | किसी बहुत बड़े सम्मान अथवा पुरूस्कार के प्राप्त होने की सम्भावना भी प्रतीत होती है | आपके जीवन साथी के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | जीवन साथी का सहयोग भी आपको प्राप्त रहेगा | दाम्पत्य जीवन में सम्बन्धों में माधुर्य बना रहने की सम्भावना है | यदि अभी तक अविवाहित हैं तो अनुकूल जीवन साथी की खोज भी इस अवधि में पूर्ण हो सकती है | आपको अपनी माता जी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है | यदि कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको स्वयं भी आलस्य का त्याग करना होगा और इसके लिए नियमित योग और ध्यान के अभ्यास तथा डॉक्टर्स के बताए विटामिन्स आदि समय पर लेते रहने की आवश्यकता है |
मकर : गुरु आपकी राशि के लिए तृतीयेश और द्वादशेश है तथा वक्री चाल से नीच का होकर आपकी राशि में ही राश्यधिपति के साथ भ्रमण कर रहा था | यहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके पञ्चम भाव, सप्तम भाव तथा नवम भावों पर थीं | साथ ही साढ़ेसाती का दूसरा चरण भी चल रहा है | आरम्भ में आपको अपने भाई बहनों के साथ कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा होगा, किन्तु बाद में उनके प्रति आपके प्रेमपूर्ण भाव के कारण उनका सहयोग भी आपको प्राप्त हुआ होगा | परिवार में किसी बच्चे के जन्म के कारण अथवा किसी सदस्य के विवाह के कारण आनन्द का वातावरण बना रहा होगा | व्यापारी वर्ग को विदेश से अर्थलाभ होने की सम्भावना है | धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि की भी सम्भावना है | किन्तु आपकी निर्णय लेने की क्षमता में कमी आई होती और मतिभ्रम की सी स्थिति सम्भव है रही हो | अब मार्गी गुरु आपके दूसरे भाव में प्रस्थान करने जा रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके छठे भाव, अष्टम भाव तथा दशम भावों पर रहेंगी | आपके लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | आपकी निर्णयात्मक क्षमता में वृद्धि के कारण आप स्वयं निर्णय लेकर ऐसे कार्य कर सकते हैं जिनसे आपको आर्थिक लाभ हो | आपके स्वभाव तथा प्रभावात्मक वाणी के कारण लोग आपसे सम्बन्ध बनाना पसन्द करेंगे जिसका लाभ आपको अपने व्यवसाय में प्राप्त हो सकता है | कार्यस्थल पर सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहने की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | अचानक ही कहीं से धनलाभ अथवा वसीयत के माध्यम से लाभ होने की सम्भावना भी की जा सकती है | किन्तु इस सबके साथ ही स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है | अपने खान पान को नियन्त्रित कीजिए और योग तथा व्यायाम आदि को नियमित कीजिए |
कुम्भ : आपकी राशि के लिए गुरु द्वितीयेश तथा एकादशेश होकर वक्री चाल से आपके बारहवें भाव में अपनी नीच की राशि में गोचर कर रहा था जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके चतुर्थ भाव, छठे भाव तथा अष्टम भावों पर चल रही थीं | जिसके कारण सम्भव है आपने कुछ आर्थिक तंगी का तथा अनावश्यक खर्चों का अनुभव भी किया होगा | स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर भी बहुत धन खर्च होने की सम्भावना है | सम्भव है किसी गम्भीर स्वास्थ्य समस्या से अभी भी जूझ रहे हों | परिवार में भी कुछ क्लेश रहने की सम्भावना है | शत्रु वर्ग में वृद्धि, मतिभ्रम आदि की सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता | अब मार्गी होकर आपकी राशि में ही प्रवेश करने जा रहा है जहाँ से आपके पञ्चम भाव, सप्तम भाव तथा नवम भावों को देखेगा | पारिवारिक तनाव से मुक्ति प्राप्त होने की सम्भावना की जा सकती है जिसके कारण आप बहुत से निर्णय लेने में स्वयं को सक्षम अनुभव करेंगे | पार्टनरशिप में यदि कोई व्यवसाय है तो उसमें प्रगति की सम्भावना है | कोई नवीन कार्य भी पार्टनरशिप में आरम्भ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | बहुत से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना है | सन्तान प्राप्ति के योग भी प्रतीत होते हैं | आपकी सन्तान तथा जीवन साथी के लिए भी यह गोचर शुभ प्रतीत होता है | विद्यार्थियों को अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त होने की सम्भावना है | दाम्पत्य जीवन में प्रेम में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में अनुकूल जीवन साथी की खोज भी पूर्ण हो सकती है | धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है |
मीन : आपका योगकारक गुरु अभी तक वक्री होकर आपके एकादश भाव में गोचर कर रहा था जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके तृतीय भाव, पञ्चम भाव तथा सप्तम भावों पर थीं | यद्यपि नीच राशि में था, किन्तु एक तो गुरु और वह भी योगकारक – तो उसके शुभ प्रभावों की अनदेखी नहीं की जा सकती | आपको अपने हर प्रयास में निश्चित रूप से सफलता का अनुभव हुआ होगा | अर्थलाभ के नवीन द्वार आपके लिए खुल जाने की सम्भावना है | अधिकारी वर्ग के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित होने की भी सम्भावना है | किसी प्रेम सम्बन्ध के विवाह में परिणत होने की भी सम्भावना है | सन्तान प्राप्ति के योग भी प्रतीत होते हैं | अभी जब मार्गी होकर गुरु आपके बारहवें भाव में प्रस्थान करने वाला है तो वहां से उसकी दृष्टियाँ आपके चतुर्थ भाव, छठे भाव तथा अष्टम भावों पर रहेंगी | यदि आपका कार्य विदेश से सम्बन्धित है तो आपके लिए कार्य में प्रगति तथा प्रचुर अर्थ लाभ की सम्भावना की जा सकती है | यदि विदेश जाने की योजना बना रहे हैं तो उनके लिए यह गोचर अनुकूल रहने की सम्भावना की जा सकती है | साथ ही जिन अधिकारी वर्ग के साथ पिछले कुछ समय में सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आई है उसका लाभ आपको इस समय अनुभव होगा | परिवार में मंगल कार्यों की धूम रहेगी तथा अतिथियों का आवागमन बढ़ेगा | किन्तु साथ ही खर्चों में वृद्धि की सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता | स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचर अनुकूल नहीं प्रतीत होता | अचानक ही स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसके कारण आपको अस्पताल में भारती होना पड़ सकता है और बहुत अधिक धन भी खर्च हो सकता है | साथ ही कार्यस्थल पर विरोध के स्वर भी मुखर हो सकते हैं | किन्तु फिर भी अधिकारी वर्ग के हस्तक्षेप से इस विरोध को शान्त करने में भी समर्थ हो सकते हैं | इस समस्त उथल पुथल के बाद भी विदेशी सम्बन्धों के माध्यम से आप अर्थ लाभ करने में समर्थ हो सकते हैं | किसी कोर्ट केस में निराश होने की भी सम्भावना है | यदि कोई लीगल केस करना चाहते हैं तो अभी उसके लिए समय उपयुक्त नहीं है |
अन्त में, इतना अवश्य कहेंगे कि ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते रहते हैं – जो आपके अनुकूल भी हो सकते हैं और प्रतिकूल भी | उनसे घबराकर अथवा उनसे बहुत अधिक प्रोत्साहित होकर यदि हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे तो कुछ नहीं कर पाएँगे | सबसे प्रमुख होता है मनुष्य का कर्म जो प्रतिकूल ग्रहों को भी अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है… अतः हम सभी सावधानीपूर्वक अपने कर्तव्य कर्मों को करते हुए अपने लक्ष्य की दिशा में अग्रसर रहें यही कामना है…