विक्रम सम्वत 2079

विक्रम सम्वत 2079

विक्रम सम्वत 2079

में ग्रहों की संसद के सम्भावित परिणाम

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी दो अप्रैल से विक्रम सम्वत 2079 का आरम्भ होने जा रहा है और इस दिन से समस्त हिन्दू सम्प्रदाय में हर घर में माँ भगवती की पूजा अर्चना का नव दिवसीय उत्सव साम्वत्सरिक नवरात्र के रूप में आरम्भ हो जाएगा जो दस अप्रैल को भगवान श्री राम के जन्मदिवस रामनवमी तथा कन्या पूजन के साथ सम्पन्न होगा | कर्नाटक एवम् आन्ध्र में उगडी और महाराष्ट्र का गुड़ी पड़वा भी इसी दिन है | साथ ही चौदह अप्रैल को बैसाखी, पन्द्रह अप्रैल को मेष संक्रान्ति अर्थात सूर्य का मेष राशि में संक्रमण तथा तमिलनाडु में मनाया जाने वाला चैत्री विशु का पर्व और पोहिला बैसाख भी है | सर्वप्रथम सभी को उगडी, गुडी पर्व, बैसाखी, पोहिला बैसाख, चैत्री विशु और साम्वत्सरिक नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ…

यों पहली अप्रैल को प्रातः 11:54 के लगभग मिथुन लग्न, किन्स्तुघ्न करण और इन्द्र योग में प्रतिपदा तिथि का आरम्भ होने के कारण इसी समय से नव सम्वत्सर का भी आरम्भ हो जाएगा | इस समय सूर्य और चन्द्र दोनों मीन राशि और रेवती नक्षत्र पर समान अंशों पर होने के कारण शुभ योग बना रहे होंगे तथा साथ ही बुधादित्य योग भी होगा | किन्तु, क्योंकि उदयकाल में प्रतिपदा तिथि नहीं है इसलिए दो अप्रैल से ही सम्वत्सर का आरम्भ माना जाएगा |

कुछ मित्रों का आग्रह है कि इस वर्ष के ग्रहों की संसद के विषय में भी कुछ लिखें | यद्यपि यह बहुत विशद विषय है, तथापि जो समझ सके उसे संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं | जिस प्रकार किसी राष्ट्र के नियमन के लिए संसद की आवश्यकता होती है उसी प्रकार ग्रहों की भी अपनी एक संसद होती है जिसका कार्यकाल एक वर्ष के लिए होता है | जिसमें किसी ग्रह को राजा का पद प्राप्त होता है तो किसी को मन्त्री का और किसी ग्रह को अन्य कोई पद प्राप्त होता है | वर्ष के राजा का विचार उस वार से किया जाता है जिस वार से नव सम्वत्सर आरम्भ होता है |

इस वर्ष का आरम्भ शनिवार को हो रहा है अतः राजा शनि है तथा वित्त मन्त्रालय भी शनि के पास ही है | साथ ही वर्ष की प्रवेश कुण्डली में कालसर्प योग भी है | इस कारण से सम्भवतः वैश्विक स्तर पर उग्रता की स्थिति दृष्टिगत हो सकती है | जैसी कि अभी दीख भी रही है | व्यापारी वर्ग में भी कुछ असन्तोष परिलक्षित हो सकता है | किन्तु मन्त्री पद क्योंकि गुरुदेव को प्राप्त हो रहा है इसलिए इस समस्त उथल पुथल के चलते हुए भी सभी प्रकार के खाद्यान्नों और फसलों के उत्पादन में वृद्धि दृष्टिगत हो सकती है | सरकार अनेक लोक कल्याण के कार्य कर सकती है | साथ ही जन साधारण में धार्मिक आस्था में भी वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | सेनापति बुध और धान्येश शुक्र के मिश्रित प्रभाव होने की सम्भावना है |

पहली अप्रैल को प्रातः 11:54 के लगभग जब प्रतिपदा तिथि का आगमन हो रहा है उस समय मिथुन लग्न है, योगकारक दो ग्रह बुध और गुरु क्रमशः दशम और नवम भावों में विचरण कर रहे हैं, साथ ही कर्म स्थान में बुधादित्य योग भी बन रहा है | किन्तु षष्ठेश मंगल अपनी उच्च राशि मकर में राश्यधिपति शनि के साथ ही गोचर कर रहा है और शनि वर्ष का राजा ही है | दशम भाव, द्वितीय भाव तथा पञ्चम भाव पर शनि की दृष्टियाँ हैं | दूसरे भाव पर मंगल की दृष्टि भी है | वर्षारम्भ की कुण्डली में दो क्रूर ग्रहों की इस युति के कारण जिन राशियों पर साढ़ेसाती अथवा ढैया चल रही है अथवा शनि की दशा चल रही है और जन्म कुण्डली में शनि अशुभ स्थिति में है उन्हें विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है | सत्ताधारी दलों के शीर्ष नेतृत्व के लिए वर्ष चुनौती पूर्ण रह सकता है तथा राजनीतिक उथल पुथल में वृद्धि की सम्भावना भी है | किन्तु साथ ही जिन राशियों पर गुरु का प्रभाव अर्थात दृष्टियाँ हैं – यानी मिथुन, सिंह और तुला – अथवा जिनका गुरु जन्म कुण्डली में उच्च राशि में विराजमान है उनके लिए यह वर्ष अनुकूल सिद्ध हो सकता है | वर्ष प्रवेश की कुण्डली में नवम भाव में गुरु शुक्र की युति से सम्भावना की जा सकती है कि शिक्षा के क्षेत्र में तथा कलाकारों के लिए शुभ संकेत हो सकते हैं | कृषि के क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि की सम्भावना है | इसके अतिरिक्त तेरह अप्रैल से गुरु का गोचर स्वयं अपनी मीन राशि में होने जा रहा है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ कर्क, कन्या और वृश्चिक राशियों पर रहेंगी | विश्व में भारत के प्रभुत्व में भी वृद्धि होने की सम्भावना है | छठे भाव पर गुरु की दृष्टि होने से जन साधारण के लिए स्वास्थ्य लाभ की सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता |

शनि को न्याय का कारक माना जाता है जो व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल प्रदान करता है | दूसरी ओर देवगुरु बृहस्पति अपनी सकारात्मक तथा सात्विक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध हैं | इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जन साधारण में सात्विक विचारों में तथा धार्मिक आस्थाओं में वृद्धि के साथ ही न्याय प्रक्रिया में भी सुधार की सम्भावना की जा सकती है |

इस वर्ष दुर्गेश, मेघेश और फलेश बुध है – जिसके कारण आँधी तूफ़ान में वृद्धि की सम्भावना भी है | वित्त मन्त्रालय स्वयं शनि के पास है – टैक्स में वृद्धि तथा वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है | धान्येश शुक्र है और वनस्पति आदि का विभाग भगवान भास्कर के पास है | समुचित वर्षा के कारण धान्य में वृद्धि होने की सम्भावना भी की जा सकती है | भौतिक सुख सुविधाओं में भी वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है |

अन्त में कह सकते हैं कि कुछ विशेष अनुकूल यह वर्ष नहीं कहा जा सकता – मिश्रित फल ग्रहों की संसद तथा वर्ष में होने वाले गोचरों का जन साधारण को प्राप्त होगा | अतः, व्यक्ति यदि भाग्यवादी न बनकर अपने कर्तव्य कर्म को ही पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से करता रहे तो निश्चित रूप से व्यक्ति ग्रहों के दुष्प्रभावों को भी समाप्त करने में समर्थ हो सकता है | कर्मयोगी के समक्ष सारा ब्रह्माण्ड झुक जाता है | तो हम सभी अपने अपने कर्मों और उत्तरदायित्वों का निर्वाह करते हुए प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रहें यही कमाना है… माँ भगवती अपने नव रूपों में सभी की रक्षा करें… सभी का कल्याण करें और सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण हों… यही कामना है…