हनुमान जयन्ती

हनुमान जयन्ती

हनुमान जयन्ती

कल चैत्र पूर्णिमा है – विघ्नहर्ता मंगल कर्ता हनुमान जी – जिन्हें अन्जनापुत्र होने के कारण आंजनेय भी कहा जाता है – जो लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करने के लिए संजीवनी बूटी का पूरा पर्वत ही उठाकर ले आए थे – जिनकी महिमा का कोई पार नहीं – की जयन्ती है – जिसे पूरा हिन्दू समाज भक्ति भाव से मनाता है | आज अर्द्धरात्र्योत्तर दो बजकर छब्बीस मिनट के लगभग विष्टि (भद्रा) करण और व्याघात योग में पूर्णिमा तिथि का आगमन होगा जो कल अर्द्ध रात्रि में बारह बजकर पच्चीस मिनट तक रहेगी | इस प्रकार उदया तिथि होने के कारण कल ही हनुमान जयन्ती मनाई जाएगी | पूर्णिमा के सम्पन्न होने के साथ ही चैत्र मास समाप्त होकर वैशाख आरम्भ हो जाएगा | मान्यता है की हनुमान जी का जन्म सूर्योदय काल में हुआ था… अतः सूर्योदय काल में 5:55 से ही पूजा का शुभ मुहूर्त आरम्भ हो जाएगा तो दिन भर रहेगा | अस्तु, सर्वप्रथम सभी को श्री रामदूत हनुमान जी की जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ… इस भावना के साथ कि जिस प्रकार पग पग पर भगवान श्री राम के मार्ग की बाधाएँ उन्होंने दूर कीं… जिस प्रकार लक्ष्मण को पुनर्जीवन प्राप्त करने में सहायक हुए… उसी प्रकार आज भी समस्त संसार को कष्टों से मुक्त होने में सहायता करें…

हनुमान जी को वानर का रूप माना जाता है | किन्तु यदि व्यावहारिक दृष्टि से देखें तो वानर एक जनजाति उस समय थी जिन्होंने भगवान श्री राम की सहायता की | हनुमान जयन्ती का भी यदि देखें तो भिन्न भिन्न प्रान्तों में उनकी मान्यताओं और कैलेण्डर के अनुसार अलग अलग तिथियों समय पर हनुमान जयन्ती मनाते हैं | जैसे आन्ध्र और तेलंगाना में चैत्र पूर्णिमा से आरम्भ होकर वैशाख कृष्ण दशमी तक 41 दिनों तक हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है और वैशाख कृष्ण दशमी को इसका समापन किया जाता है | तमिलनाडु में मार्गशीर्ष अमावस्या को “हनुमथ जयन्ती” आती है | कर्नाटक में इसे “हनुमान व्रतं” नाम से मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है |

श्री राम कथा पर सर्वाधिक प्रामाणिक ग्रन्थ वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को सायंकाल के समय मेष लग्न में हुआ था | उस समय स्वाति नक्षत्र था अर्थात चन्द्रमा स्वाति नक्षत्र में था और सूर्य तुला लग्न में में | माना जाता है कि अग्नि तत्व मेष लग्न तथा सूर्य के तुला में होने कारण ही उनमें कष्टों को भस्म कर देने की सामर्थ्य थी | उन्होंने ही श्री गोस्वामी तुलसीदास जी को श्री राम कथा सुनाई थी | चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म महोत्सव मनाए जाने के पीछे एक अन्य कथा भी उपलब्ध होती है कि उन्होंने एक बार सूर्य को गेंद समझकर निगल लिया था | उस समय इन्द्र ने अपने वज्र से उन पर प्रहार किया जो उनकी थोड़ी पर जाकर लगा और वे अचेत हो गए | इन्द्र के इस व्यवहार से कुपित होकर हनुमान जी के पिता पवनदेव ने वायु का प्रवाह अवरुद्ध कर दिया | जब हनुमान जी की चेतना लौटी तब देवताओं की प्रार्थना पर पवनदेव ने पुनः वायु का प्रवाह आरम्भ किया | जिस दिन हनुमान जी चेतन हुए उस दिन चैत्र शुक्ल पूर्णिमा थी और इसी तिथि को उनका पुनर्जन्म मानकर हनुमान जयन्ती मनाई जाने लगी | कथाएँ और किम्वदन्तियाँ तथा मान्यताएँ जितनी भी हों… हनुमान जी सदा कष्टों का हरण करते हैं… और इसी निमित्त से इस अवसर प्रस्तुत है श्री हनुमान स्तुति अर्थ सहित…

बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगता |

अजाड्यं वाक्पटुत्वं च हनूमत्स्मरणाद्भवेत् ||

हनुमान जी का स्मरण करने से हमारी बुद्धि, बल, यश, धैर्य, निर्भयता, आरोग्य, विवेक और वाक्पटुता में वृद्धि हो |

मनोजवं मारुततुल्यवेगम्, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् |

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये ||

हम उन वायुपुत्र श्री हनुमान के शरणागत हैं जिनकी गति का वेग मन तथा मरुत के समान है, जो जितेन्द्रिय हैं, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, वानरों की सेना के सेनापति हैं तथा भगवान् श्री राम के दूत हैं |

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||

अत्यन्त बलशाली, स्वर्ण पर्वत के समान शरीर से युक्त, राक्षसों के काल, ज्ञानियों में अग्रगण्य, समस्त गुणों के भण्डार, समस्त वानर कुल के स्वामी तथा रघुपति के प्रिय भक्त वायुपुत्र हनुमान को हम नमन करते हैं |

हनुमानद्द्रजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबलः, रामेष्टः फाल्गुनसखः पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम: |

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः, लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ||

एवं द्वादशनामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः,

स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्‌ |

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्‌ ||

हनुमान, अंजनिपुत्र, वायुपुत्र, महाबली, रामप्रिय, अर्जुन (फाल्गुन) के मित्र, पिंगाक्ष – भूरे नेत्र वाले, अमित विक्रम अर्थात महान प्रतापी, उदधिक्रमण: – समुद्र को लाँघने वाले, सीता जी के शोक को नष्ट करने वाले, लक्ष्मण को जीवन दान देने वाले तथा रावण के घमण्ड को चूर्ण करने वाले – ये कपीन्द्र के बारह नाम हैं | रात्रि को शयन करने से पूर्व, प्रातः निद्रा से जागने पर तथा यात्रा आदि के समय जो व्यक्ति हनुमान जी के इन बारह नामों का पाठ करता है उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता तथा विजय प्राप्त होती है |

आज जबकि हर ओर वैश्विक स्तर पर एक अराजकता का – युद्ध का – वातावरण बना हुआ है… हमारी यही कामना है की बजरंगबली सबकी रक्षा करें… इसी भावना के साथ सभी को श्री हनुमान जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ…