ज्येष्ठ मास के व्रतोत्सव
ज्येष्ठ मास – 17 मई से 14 जून – के व्रतोत्सव
अक्षय तृतीया, परशुराम जयन्ती तथा बुद्ध पूर्णिमा के लिए प्रसिद्ध वैशाख मास 16 मई को वैशाख पूर्णिमा – जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है – के साथ समाप्त हो जाएगा और 17 मई से ज्येष्ठ मास का आरम्भ हो जाएगा | 16 मई को प्रातः 9:45 के लगभग कर्क लग्न, बालव करण और परिघ योग में प्रतिपदा तिथि आरम्भ होगी | 17 मई को 5:29 पर सूर्योदय है अतः मासारम्भ का पुण्यकाल इसी समय से माना जाएगा…
ज्येष्ठ का वैदिक नाम है शुक्र और इसके अन्तर्गत ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र आते हैं | इसमें भी ज्येष्ठ नक्षत्र का शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा को उदय होने के कारण इसका नाम ज्येष्ठ हुआ | साथ ही इस मास में दिन की अवधि अधिक होती है और रात्रि की अवधि कम होती है इस कारण भी इसे ज्येष्ठ मास कहा जाता है | इस मास में भगवान विष्णु की उपासना का बहुत महत्त्व माना जाता है | साथ ही यह मास जल के महत्त्व को भी प्रदर्शित करता है – गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी के व्रत इसी तथ्य के प्रतीक हैं – जब गंगा मैया की पूजा अर्चना की जाती है और जल का त्याग किया जाता है ताकि जल का संरक्षण हो सके | आजकल जिस गति से जल का स्तर नीचे जा रहा है उसे देखते हुए इस प्रकार के उपवासों का महत्त्व और भी अधिक बढ़ जाता है | नौतपा भी इस मास में तपते हैं – जिनके लिए माना जाता है कि यदि नौतपा पूर्ण रूप से तप जाएँ तो वर्षा अच्छी होती है जो कृषि के लिए अत्यन्त आवश्यक है | साथ ही शरीर में भी जल का अभाव अनुभव होने लगता है इसलिए इस मास में वैद्य भी शीतल पेय पदार्थों के सेवन तथा अधिक तले भुने भोजन से दूरी बनाने की सलाह देते हैं | वास्तव में यह मास जल तथा जलागमों के संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाता है | क्योंकि इस मास में भगवान भास्कर अपने पूरे प्रताप में होते हैं इसीलिए इस मास में जल का दान, पंखे का दान, घड़ो मटकों आदि का दान तथा ऋतुफलों जैसे खरबूजा तरबूज आदि का दान दिया जाता है | बहुत से लोग प्याऊ भी लगवाते हैं | पशु पक्षियों के लिए दाना पानी रखना अत्यन्त पुण्य का कार्य माना जाता है | देखा जाए तो जल और प्रकृति की सुरक्षा के लिए समर्पित यह मास होता है | क्या ही अच्छा हो यदि हम ज्येष्ठ मास की प्रतीक्षा न करें और पूरे वर्ष अपने पर्यावरण और जलाशयों की सुरक्षा पर ध्यान देते रहें…
अस्तु, इस मास में आने वाले सभी पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मास के प्रमुख व्रतोत्सवों की सूची…
मंगलवार 17 मई – ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा / ज्येष्ठ मास का आरम्भ / नारद जयन्ती
रविवार 22 मई – ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी / पंचक आरम्भ प्रातः 11:13 पर / रोग पंचक
बुधवार 25 मई – ज्येष्ठ कृष्ण दशमी / सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश दिन में 2:52
पर / नौतपा आरम्भ – 2 जून तक
गुरूवार 26 मई – ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी / अपरा एकादशी / पंचक समाप्त अर्द्ध
रात्रि में 12:39 पर
शुक्रवार 27 मई – ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी / प्रदोष व्रत
सोमवार 30 मई – ज्येष्ठ अमावस्या / अन्वाधान / दर्श अमावस्या / शनि जयन्ती / वट सावित्री अमावस्या
गुरूवार 9 जून – ज्येष्ठ शुक्ल नवमी / दशमी / गंगा दशहरा
शुक्रवार 10 जून – ज्येष्ठ शुक्ल दशमी / निर्जला एकादशी स्मार्त
शनिवार 11 जून – ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी / निर्जला एकादशी वैष्णव / गायत्री जयन्ती
रविवार 12 जून – ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी / प्रदोष व्रत
मंगलवार 14 जून – ज्येष्ठ पूर्णिमा / वट पूर्णिमा व्रत
नौतपा का ताप इतना प्रचण्ड रहे कि वर्ष भर अनुकूल वर्षा प्राप्त हो ताकि फसलें लहलहाती रहें और अन्न से सबके भण्डार भरे रहें इसी भावना के साथ ज्येष्ठ मास में आने वाले सभी पर्व सभी के लिए मंगलमय हों…