आषाढ़ गुप्त नवरात्र
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 30 जून से आषाढ़ी गुप्त नवरात्रों का भी आरम्भ हो रहा है | देश के लगभग सभी प्रान्तों में वर्ष में दो बार माँ भगवती की उपासना के लिए नौ दिनों तक नवरात्रों का आयोजन किया जाता है – एक चैत्र माह में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल नवमी तक – जिन्हें वासन्तिक अथवा साम्वत्सरिक नवरात्र कहा जाता है | दूसरे शरद ऋतु में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से आश्विन शुक्ल नवमी तक चलते हैं – जिन्हें शारदीय नवरात्र कहा जाता है | किन्तु इनके अतिरिक्त भी वर्ष में दो बार नवरात्रों का आयोजन किया जाता है – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से आषाढ़ शुक्ल नवमी तक तथा माघ शुक्ल प्रतिपदा से माघ शुक्ल नवमी तक | इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है – आषाढ़ी गुप्त नवरात्र और माघ गुप्त नवरात्र | इन नवरात्रों में भी साम्वत्सरिक और शारदीय नवरात्रों की ही भाँति माँ भगवती के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है | गुप्त नवरात्र क्या होते हैं और इनका क्या महत्त्व है इस विषय में विस्तार से हम माघ मास के गुप्त नवरात्रों के अवसर पर लिख चुके हैं अतः यहाँ उसी की पुनरावृत्ति नहीं करेंगे… यहाँ प्रस्तुत है इस वर्ष के आषाढ़ी नवरात्रों का पञ्चांग…
गुप्त नवरात्रों का तान्त्रिक उपासकों के लिए विशेष महत्त्व है | तान्त्रिक लोग इन दिनों विशेष सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए शुक्ल दशमी तक दश महाविद्याओं की गुप्त रूप से उपासना करते हैं इसीलिए इन्हें “गुप्त नवरात्र” कहा जाता है, और सम्भवतः इसीलिए इस समय पूजा अर्चना की इतनी धूम और चहल पहल नहीं होती | इन विशेष सिद्धियों को प्राप्त करने के क्रम में वे दश महाविद्याओं की उपासना करते हैं | इनके अनुसार शक्ति के इन दश रूपों में एक सत्य समाहित है – महाविद्या – महान ज्ञान – जिसके अन्तर्गत माँ भगवती के दश लौकिक व्यक्तित्वों की व्याख्या होती है | साथ ही एक बात और, देवी के सौम्य रूपों की उपासना करने वाले गृहस्थी जन भी गुप्त नवरात्रों में माँ भगवती के दश रूपों की पूजा अर्चना कर सकते हैं | दश महाविद्याओं के रूप में शक्ति के ये दश व्यक्तित्व हैं :-
काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी |
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा ||
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका |
एता दश महाविद्या: सिद्धविद्या: प्रकीर्तिता ||
काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला ये दश महाविद्याएँ साधक को सिद्धि प्रदान करने वाली कही गई हैं |
इस वर्ष बुधवार 29 जून को प्रातः 08:22 पर कर्क लग्न, किन्स्तुघ्न करण और वृद्धि योग में आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा का आरम्भ होगा जो गुरूवार 30 जून को प्रातः 10:49 तक रहेगी | तीस जून को सूर्योदय 05:26 पर द्विस्वभाव मिथुन लग्न है, अतः इसी समय से घट स्थापना का मुहूर्त आरम्भ होगा जो मिथुन लग्न की समाप्ति 06:43 तक रहेगा | जो लोग इस अवधि में घट स्थापना नहीं कर पाएँगे वे अभिजित मुहूर्त में 11:57 से 12:53 के मध्य घट स्थापना का कार्य आरम्भ कर सकते हैं | इस दिन गुरूवार को चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र में होकर सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहा है, साह ही लग्न में चन्द्रादित्य योग तथा शुक्र, शनि, गुरु और मंगल स्वराशिगत होकर बहुत शुभ योग बना रहे हैं | प्रस्तुत हैं आषाढ़ी गुप्त नवरात्रों की तिथियाँ…
गुरूवार 30 जून – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा – प्रथम नवरात्र / महाविद्या काली / शैलपुत्री स्वरूप की उपासना
शुक्रवार 01 जुलाई – आषाढ़ द्वितीया – द्वितीय नवरात्र / महाविद्या तारा / ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना
शनिवार 02 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल तृतीया – तृतीय नवरात्र / महाविद्या षोडशी / चन्द्रघंटा स्वरूप की उपासना
रविवार 03 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी – चतुर्थ नवरात्र / महाविद्या भुवनेश्वरी / कूष्माण्डा देवी की उपासना
सोमवार 04 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल पञ्चमी – पञ्चम नवरात्र / महाविद्या त्रिपुरभैरवी / स्कन्दमाता स्वरूप की उपासना
मंगलवार 05 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल षष्ठी – षष्ठं नवरात्र / महाविद्या छिन्नमस्ता / कात्यायनी स्वरूप की उपासना
बुधवार 06 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल सप्तमी – सप्तम नवरात्र / महाविद्या धूमावती / कालरात्रि स्वरूप की उपासना
गुरूवार 07 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल अष्टमी – अष्टम नवरात्र / महाविद्या बगलामुखी / महागौरी देवी की उपासना
शुक्रवार 08 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल नवमी – नवम नवरात्र / महाविद्या मातंगी / सिद्धिदात्री स्वरूप की उपासना
शनिवार 09 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल दशमी – दशम नवरात्र / महाविद्या कमला / अपराजिता स्वरूप की उपासना / विसर्जन
भगवती के दश स्वरूप तथा दश महाविद्याएँ सभी का कल्याण करते हुए सभी की मनोकामना पूर्ण करें…