कार्तिक मास 2022 के व्रतोत्सव
कार्तिक मास – 10 अक्टूबर से 8 नवम्बर 2022 – के व्रतोत्सव
रविवार नौ अक्तूबर को शरद पूर्णिमा के साथ आश्विन मास समाप्त हो जाएगा और दस अक्तूबर से कृष्ण प्रतिपदा के साथ कार्तिक माह आरम्भ हो जाएगा | आश्विन मास में एक ओर दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का पर्व श्राद्ध पक्ष था तो वहीं दूसरी ओर आश्विन अमावस्या से पितृ गणों को उनके शाश्वत धाम के लिए विदा करके महालया के साथ समस्त हिन्दू समाज भगवती के नौ रूपों की पूजा अर्चना, विजया दशमी तथा शरद पूर्णिमा आदि पर्वों में तल्लीन रहा | कार्तिक मास भी बहुत सारे पर्वों के साथ आता है | मासारम्भ में ही होती है करक चतुर्थी, फिर अहोई अष्टमी, उसके बाद पाँच पर्वों की श्रृंखला दीपावली, देव प्रबोधिनी एकादशी, सूर्योपासना का पर्व छठ पूजा, तुलसी विवाह, बैकुण्ठ चतुर्दशी, देव दिवाली, कार्तिकी पूर्णिमा आदि अनेक पर्व इस माह में आते हैं |
सर्वप्रथम बात करते हैं कार्तिक मास के नाम की | इस मास का वैदिक नाम ऊर्जा है | जैसा कि पहले भी लिखते आए हैं कि जिस माह में जिस नक्षत्र का उदय होता है उसके आधार पर उस माह का नाम रखा जाता है | कार्तिक मास में ऊर्जावान कृत्तिका नक्षत्र प्रमुख होता है – अर्थात इस माह की शुक्ल चतुर्दशी/पूर्णिमा को चन्द्रमा कृत्तिका नक्षत्र पर होता है – इसलिए इसका नाम कार्तिक है | इस वर्ष नौ अक्तूबर को अर्द्धरात्र्योत्तर दो बजकर पच्चीस मिनट के लगभग कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा तिथि का आगमन होगा अतः दस अक्तूबर से कार्तिक मास आरम्भ होगा जो आठ नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ सम्पन्न हो जाएगा | इस मास का बहुत महत्त्व माना गया है | भगवान विष्णु अपनी निद्रा से इसी मास में जागते हैं | स्कन्द पुराण के अनुसार शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय अथवा स्कन्द कुमार ने इसी मास में तारकासुर का वध करके ब्रह्माण्ड को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी | ऐसी भी मान्यता है कि इस मास में भगवान विष्णु धरती पर जल में निवास करते हैं इसलिए पवित्र नदियों में स्नान, दान, उपासना, यज्ञादि का इस मास में विशेष महत्त्व माना गया है | मान्यता है कि इस मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है | दीपदान का भी इस मास में विशेष महत्त्व है – दीपावली और देव दीवाली इसका प्रमाण हैं |
इस वर्ष सोमवार दस अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा का सूर्योदय छह बजकर तीन मिनट पर कन्या लग्न, बालव करण और व्याघात योग में हो रहा है | लग्न में योगकारक बुध के साथ सूर्य और शुक्र विराजमान हैं तथा दूसरा योगकारक स्वराशिगत होकर चन्द्रमा के साथ मिलकर गजकेसरी योग बना रहा है जो एक अत्यन्त शुभ योग है | साथ ही शनि महाराज भी अपनी ही राशि में विचरण कर रहे हैं | अस्तु, कार्तिक मास में आने वाले सभी पर्वों की अग्रिम रूप से अनेकशः हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है इस माह में आने वाले व्रतोत्सवों की सूची…
गुरूवार 13 अक्टूबर – कार्तिक कृष्ण चतुर्थी – करक चतुर्थी – करवा चौथ व्रत – तिथि आरम्भ 12 अक्तूबर को अर्द्धरात्र्योत्तर 1:59 के लगभग / तिथि समाप्त 14 अक्तूबर अर्द्धरात्र्योत्तर 3:08 के लगभग / चन्द्र दर्शन दिल्ली रात्रि आठ बजकर नौ मिनट के लगभग / पूजा मुहूर्त मीन लग्न में सायं 4:37 से 6:02 तक / सरगी का मुहूर्त प्रातः 6:20 तक
सोमवार 17 अक्टूबर – कार्तिक कृष्ण अष्टमी – अहोई अष्टमी / राधा कुण्ड स्नान / तुला संक्रान्ति – सूर्य का तुला में संक्रमण रात्रि 7:23 के लगभग / अष्टमी तिथि आरम्भ प्रातः 9:29 पर / तिथि समाप्त 18 अक्तूबर प्रातः 11:57 पर / पूजा मुहूर्त सायं 5:50 से 7:05 तक / तारक दर्शन सायं छह बजकर तेरह मिनट से / चन्द्र दर्शन रात्रि 11:24 के लगभग
शुक्रवार 21 अक्टूबर – कार्तिक कृष्ण एकादशी / रमा एकादशी / गोवत्स द्वादशी
शनिवार 22 अक्टूबर – कार्तिक कृष्ण द्वादशी / धन्वन्तरी त्रयोदशी / धन तेरस पूजा मुहूर्त सायं 7:01 से रात्रि 8:57 तक (प्रदोष काल 5:45 से 8:11 तक), यम दीपक सायं 6:02 से 7:01 तक / प्रदोष व्रत
रविवार 23 अक्तूबर – कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी / काली चौदस मुहूर्त रात्रि 11:40 से अर्धरात्रि 12:31 / हनुमान पूजा
सोमवार 24 अक्तूबर – नरक चतुर्दशी – अभ्यंग स्नान मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व 5:06 से 6:27 तक – चर लग्न, लग्न में सूर्य-चन्द्र-बुध-मंगल योग, शकुनि करण और प्रीति योग / केदार गौरी व्रत / अमावस्या तिथ्यारम्भ सायं 5:28 से / दीपावली / वृषभ लग्न में लक्ष्मी पूजन मुहूर्त सायं 6:54 से रात्रि 8:49 तक – चतुष्पद करण, विषकुम्भ योग / प्रदोष काल 5:43 से 8:16 तक / अन्य शुभ मुहूर्त अपराह्न में 5:27 से 7:18 तक लाभ और अमृत मुहूर्त, रात्रि 10:30 से अर्द्ध रात्रि में 12:05 तक लाभ काल, अर्द्धरात्र्योत्तर 1:41 से 6:28 तक शुभ और अमृत काल / महा निशीथ काल 11:40 से 12:31 तक / सिंह काल अर्द्धरात्र्योत्तर 1:25 से 3:41 तक
मंगलवार 25 अक्तूबर – कार्तिक अमावस्या / दर्श अमावस्या
बुधवार 26 अक्तूबर – कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा/द्वितीया / गोवर्धन पूजा / अन्नकूट / यम द्वितीया / भाई दूज
गुरूवार 27 अक्तूबर – कार्तिक शुक्ल द्वितीया 26 अक्तूबर को मध्याह्न 2:42 से 27 अक्तूबर को दिन में 12:45 तक / भाई दूज
शनिवार 29 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल पञ्चमी / लाभ पञ्चमी
रविवार 30 अक्तूबर – कार्तिक शुक्ल षष्ठी / छठ पूजा
मंगलवार 1 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल अष्टमी / गोपाष्टमी
बुधवार 2 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल नवमी / अक्षय नवमी / पंचक आरम्भ मध्याह्न 2:17 पर
शुक्रवार 4 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल एकादशी / देव प्रबोधिनी एकादशी / भीष्म पंचक आरम्भ (प्रत्येक मास में शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भीष्म पंचक माने जाते हैं और इन्हें किसी भी कार्य के लिए शुभ माना जाता है | किन्तु यदि बीच में सामान्य पंचक आ जाएँ तो उनका विचार मानना आवश्यक हो जाता है |)
शनिवार 5 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल द्वादशी / तुलसी विवाह / प्रदोष व्रत
रविवार 6 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी / बैकुण्ठ चतुर्दशी / विश्वेश्वर व्रत / पंचक समाप्त अर्द्धरात्रि में 12:04 पर / इनके अतिरिक्त शुक्रवार 4 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी से सोमवार 7 नवम्बर कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा यानी देव दीवाली तक भीष्म पंचक
सोमवार 7 नवम्बर – कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी / देव दीवाली / मणिकर्णिका स्नान
मंगलवार 8 नवम्बर – कार्तिक पूर्णिमा / गंगा स्नान पूर्णिमा / पुष्कर स्नान / गुरु नानक जयन्ती / पूर्ण चन्द्र ग्रहण
अन्त में एक बार पुनः करक चतुर्थी, अहोई अष्टमी, पाँच पर्वों की श्रृंखला दीपावली, छठ पूजा, गुरु नानक जयन्ती तथा कार्तिक मास में आने वाले अन्य सभी पर्वों की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ…