शुक्र का तुला राशि में गोचर
मंगलवार 18 अक्तूबर कार्तिक कृष्ण नवमी को तैतिल करण और साध्य योग में रात्रि 9:39 के लगभग समस्त सांसारिक सुख, समृद्धि, विवाह, परिवार सुख, कला, शिल्प, सौन्दर्य, बौद्धिकता, राजनीति तथा समाज में मान प्रतिष्ठा में वृद्धि आदि का कारक शुक्र चित्रा नक्षत्र में रहते हुए ही अपने मित्र ग्रह बुध की कन्या राशि से निकल कर अपनी स्वयं की राशि तुला में प्रविष्ट हो जाएगा | यहाँ विचरते हुए चौबीस अक्तूबर से स्वाति तथा तीन नवम्बर से विशाखा नक्षत्र पर भ्रमण करते हुए अन्त में ग्यारह नवम्बर को रात्रि आठ बजकर दस मिनट के लगभग वृश्चिक राशि में प्रस्थान कर जाएगा | तुला राशि में अपनी इस पूरी यात्रा की अवधि में शुक्र अस्त ही रहेगा | साथ ही, यद्यपि राहु-केतु के मध्य रहेगा किन्तु योगकारक शनि की दृष्टि भी उस पर रहेगी | शुक्र की दोनों राशियों तुला और वृषभ में परस्पर षडाष्टक भाव भी है – तुला से वृषभ अष्टम भाव तथा वृषभ से तुला छठा भाव बनती है | इन्हीं समस्त तथ्यों के आधार पर जानने का प्रयास करते हैं कि प्रत्येक राशि के लिए शुक्र के तुला राशि में गोचर के सम्भावित परिणाम क्या रह सकते हैं…
किन्तु ध्यान रहे, ये समस्त फल सामान्य हैं | व्यक्ति विशेष की कुण्डली का व्यापक अध्ययन करके ही किसी निश्चित परिणाम पर पहुँचा जा सकता है | अतः कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक अध्ययन कराने की आवश्यकता होती है |
मेष : शुक्र आपका द्वितीयेश और सप्तमेश होकर आपके सप्तम भाव में गोचर करने जा रहा है | आपके उत्साह और मनोबल में वृद्धि के साथ ही आपकी वाणी भी इस अवधि में प्रभावशाली रहेगी | साथ ही यदि आप कलाकार हैं या सौन्दर्य से सम्बन्धित किसी कार्य जैसे ब्यूटी पार्लर आदि का कार्य है तो आपके लिए यह गोचर विशेष रूप से भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | आय के नवीन स्रोत आपके तथा आपके जीवन साथी के समक्ष उपस्थित हो सकते हैं | यदि किसी के साथ Romantic Relationship में हैं तो वह सम्बन्ध भी विवाह में परिणत हो सकता है | विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन में मधुरता और अन्तरंगता के संकेत हैं | सुख सुविधाओं के साधनों में वृद्धि के योग हैं |
वृषभ : आपका राश्यधिपति तथा षष्ठेश होकर शुक्र आपके छठे भाव में गोचर कर रहा है | एक ओर आपके लिए उत्साह में वृद्धि के योग प्रतीत होते हैं तो वहीं दूसरी ओर आपके लिए यह गोचर चुनौतियों से भरा हुआ भी हो सकता है | उन मित्रों को पहचानकर उनसे दूर होने की आवश्यकता है जो आपसे प्रेम दिखाते हैं लेकिन मन में ईर्ष्या का भाव रखते हैं | पार्टनरशिप में कोई व्यवसाय है तो उसमें व्यवधान उत्पन्न हो सकता है | प्रेम सम्बन्धों और वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की दरार के संकेत हैं | किन्तु यदि आप कलाकार अथवा वक्ता हैं तो आपके कार्य की दृष्टि से अनुकूल समय प्रतीत होता है | किसी कोर्ट केस का निर्णय आपके पक्ष में आ सकता है |
मिथुन : आपका पंचमेश और द्वादशेश होकर शुक्र का गोचर आपकी राशि से पञ्चम भाव में हो रहा है | सन्तान के साथ यदि कुछ समय से किसी प्रकार की अनबन चल रही है तो उसके दूर होने की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | मान सम्मान में वृद्धि के संकेत हैं | नौकरी के लिए इन्टरव्यू दिया है तो उसमें भी सफलता की सम्भावना है | सन्तान के लिए भी यह गोचर समय अनुकूल प्रतीत होता है | आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन होने की सम्भावना है | आप अथवा आपकी सन्तान उच्च शिक्षा, नौकरी अथवा कला के प्रदर्शन के लिए विदेश यात्रा भी कर सकते हैं |
कर्क : आपका चतुर्थेश और एकादशेश होकर शुक्र का गोचर आपकी राशि से चतुर्थ भाव में हो रहा है | आपके लिए यह गोचर अत्यन्त अनुकूल प्रतीत होता है | आप कोई नया वाहन अथवा घर खरीदने की योजना बना सकते हैं | कार्य में उन्नति तथा आय में वृद्धि के संकेत हैं | किसी महिला मित्र के माध्यम से कोई नया कार्य भी आपको प्राप्त हो सकता है और इस कार्य में आप बहुत समय तक व्यस्त रहते हुए धनलाभ भी कर सकते हैं | परिवार में आनन्द का वातावरण रहेगा | किसी कन्या का विवाह भी इस अवधि में सम्भव है | नौकरी में पदोन्नति की सम्भावना है | मान सम्मान और पुरूस्कार आदि का लाभ भी हो सकता है | सुख सुविधाओं के साधनों में वृद्धि के संकेत हैं |
सिंह : आपका तृतीयेश और दशमेश होकर शुक्र का गोचर आपकी राशि से तीसरे भाव में हो रहा है | एक ओर जहाँ आपके छोटे भाई बहनों के लिए कार्य की दृष्टि से समय अनुकूल प्रतीत होता है वहीं दूसरी ओर उनके साथ आपका किसी बात पर मन मुटाव भी सम्भव है | यदि कोई छोटी बहन है तो उसका स्वास्थ्य भी चिन्ता का विषय हो सकता है | आपके लिए कार्य की दृष्टि से यह गोचर बहुत अनुकूल प्रतीत होता है | आपका कार्य कहीं विदेश से सम्बन्ध रखता है अथवा आप किसी प्रकार की Alternative Therapy से सम्बन्ध रखते हैं या दस्तकार अथवा कलाकार हैं तो आपके लिए यह गोचर भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | अर्थलाभ के साथ साथ मान सम्मान में वृद्धि के भी संकेत प्रतीत होते हैं |
कन्या : आपका द्वितीयेश और भाग्येश होकर शुक्र आपकी राशि से दूसरे भाव में गोचर कर रहा है जो अत्यन्त भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | आर्थिक रूप से स्थिति में दृढ़ता आने के साथ ही आपके लिए कार्य से सम्बन्धित लम्बी विदेश यात्राओं के योग भी प्रतीत होते हैं | नवीन प्रोजेक्ट्स इस अवधि में प्राप्त होते रह सकते हैं जिनके कारण आप बहुत समय तक व्यस्त रहकर अर्थ लाभ भी कर सकते हैं | आपकी वाणी तथा व्यक्तित्व का प्रभाव दूसरों पर पड़ेगा और जिसके कारण आपकी प्रशंसा भी होगी तथा आपको किसी प्रकार का पुरूस्कार आदि भी प्राप्त हो सकता है | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रुचि में वृद्धि हो सकती है | आप सपरिवार कहीं घूमने जाने की योजना भी बना सकते हैं |
तुला : लग्नेश और अष्टमेश होकर शुक्र आपकी लग्न में ही गोचर कर रहा है | स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचर अनुकूल नहीं प्रतीत होता | कुछ गुप्त विरोधी भी मुखर हो सकते हैं | आवश्यकता है उन्हें पहचान कर उनसे दूरी बनाकर चलने की | यों आपके उत्साह में वृद्धि का भी समय प्रतीत होता है | किसी वसीयत के माध्यम से आपको लाभ की सम्भावना की जा सकती है | आप इस अवधि में अपने शारीरिक सौन्दर्य को निखारने में अधिक व्यस्त रहेंगे | Romantically यदि कहीं Involve हैं तो उस सम्बन्ध में अन्तरंगता के संकेत प्रतीत होते हैं | विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन में भी माधुर्य तथा अन्तरंगता बने रहने के संकेत हैं |
वृश्चिक : आपके लिए आपका सप्तमेश और द्वादशेश होकर शुक्र का गोचर आपके बारहवें भाव में ही हो रहा है | आपके जीवन साथी को किसी कार्य के सिलसिले में विदेश यात्राएँ करनी पड़ सकती हैं | यदि आपका स्वयं का व्यवसाय पार्टनरशिप में है तो अपने बिजनेस पार्टनर के साथ कार्य के सिलसिले में यात्राएँ करनी पड़ सकती हैं | इन यात्राओं से एक ओर आपके कार्य में प्रगति की सम्भावना है वहीं दूसरी ओर इन यात्राओं में पैसा भी अधिक खर्च हो सकता है | साथ ही इन यात्राओं के कारण अपने तथा अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है | जीवन साथी अथवा बिज़नेस पार्टनर के साथ व्यर्थ की बहस से बचने का प्रयास करने की आवश्यकता है |
धनु : आपका षष्ठेश और एकादशेश आपकी राशि से लाभ स्थान में गोचर कर रहा है | उत्साह तथा कार्य में वृद्धि के साथ ही धनलाभ के भी संकेत हैं | यदि आपका कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसके अनुकूल दिशा में प्रगति की सम्भावना है | यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उसमें भी आपको सफलता प्राप्त हो सकती है | किन्तु साथ ही विरोधियों की ओर से भी सावधान रहने की आवश्यकता है | किसी बात पर भाई बहनों अथवा बॉस के साथ कोई विवाद भी उत्पन्न हो सकता है | अपने आचरण से थोड़ा Diplomatic होने की आवश्यकता है | स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |
मकर : आपका योगकारक आपकी राशि से दशम भाव में गोचर कर रहा है | आपके कार्य में हर प्रकार से लाभ के संकेत हैं | नौकरी में हैं तो पदोन्नति के साथ स्थानान्तरण के भी संकेत हैं | आपका अपना व्यवसाय है तो उसमें भी प्रगति की सम्भावना है | कलाकारों को किसी प्रकार का पुरूस्कार आदि भी प्राप्त हो सकता है | सहकर्मियों का सहयोग आपको प्राप्त रहेगा जिसके कारण आपके कार्य समय पर पूर्ण होते रहेंगे | आपकी सन्तान के लिए भी यह गोचर भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | सामाजिक गतिविधियों में वृद्धि के साथ ही मान प्रतिष्ठा में वृद्धि के भी संकेत हैं |
कुम्भ : आपका योगकारक शुक्र आपकी राशि से नवम भाव में गोचर कर रहा है | आपके लिए यह गोचर अत्यन्त भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | एक ओर परिवार में सौहार्द का वातावरण बना रहेगा वहीं दूसरी ओर आपके कार्य में भी प्रगति की सम्भावना की जा सकती है | आप इस अवधि में नया घर अथवा वाहन भी खरीद सकते हैं | अथवा जिस घर में आप रहते हैं उसे ही Renovate और Decorate करा सकते हैं | परिवार में माँगलिक कार्यों की भी सम्भावना है | कार्य से सम्बन्धित लम्बी विदेश यात्राओं के भी योग बन रहे हैं | इन यात्राओं में आपको सफलता प्राप्त हो सकती है | साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रुचि बढ़ सकती है |
मीन : आपके लिए तृतीयेश और अष्टमेश होकर शुक्र का गोचर आपके अष्टम भाव में ही हो रहा है | छोटे भाई बहनों के कारण जीवन साथी के साथ किसी प्रकार का विवाद सम्भव है | अन्य किसी प्रकार से भी गुप्त विरोधियों की ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है | आप स्वयं भी इस दौरान ऐसा कोई कार्य न करें जिसके कारण आपकी मान प्रतिष्ठा को किसी प्रकार की हानि होने की सम्भावना हो | कार्यक्षेत्र में आपको कठिन परिश्रम करना पड़ सकता है | यदि आप महिला हैं तो आपको विशेष रूप से स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है | साथ ही छोटे भाई बहनों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है |
अन्त में, ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते ही रहते हैं – यह एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसका प्रभाव मानव सहित समस्त प्रकृति पर पड़ता है | वास्तव में सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है…