मीन राशि में मार्गी गुरु

मीन राशि में मार्गी गुरु

मीन राशि में मार्गी गुरु

बुधवार तेरह अप्रैल को देवगुरु बृहस्पति अपनी स्वयं की राशि मीन में प्रविष्ट हुए थे | मीन राशि में विचरण करते हुए गुरुदेव 29 अप्रैल से उत्तर भाद्रपद और 24 फरवरी 2023 से रेवती नक्षत्र पर भ्रमण करते हुए अन्त में 22 अप्रैल को अपने मित्र ग्रह मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर पहुँच जाएँगे | इस बीच 29 जुलाई से 24 नवम्बर तक के लिए उत्तर भाद्रपद नक्षत्र पर ही भ्रमण करते हुए उत्तर भाद्रपद नक्षत्र पर ही गुरुदेव वक्री हो गए थे, जो गुरूवार 24 नवम्बर से पुनः मार्गी हो रहे हैं | मीन राशि गुरु की अपनी राशि होने के साथ ही अपनी दोनों राशियों मीन और धनु के लिए गुरु योगकारक भी हैं | साथ ही बुध की दोनों राशियों – मिथुन और कन्या के लिए भी गुरु योगकारक हैं | गुरुदेव अपनी स्वयं कि दोनों राशियों में से किसी एक राशि में हों अथवा अपनी उच्च राशि कर्क में हों तो हंस महापुरुष योग बनता है जो कुछ राशियों के लिए अत्यन्त अनुकूल होता है | मीन राशि में निवास करते हुए गुरु की दृष्टियाँ अपनी उच्च राशि कर्क पर, कन्या पर तथा वृश्चिक राशियों पर रहेंगी | इन्हीं समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जानने का प्रयास करते हैं कि गुरुदेव के मकर राशि में गोचर के क्या सम्भावित परिणाम हो सकते हैं…

किन्तु ध्यान रहे, किसी एक ही ग्रह के गोचर के आधार पर स्पष्ट फलादेश करना अनुचित होगा | उसके लिए व्यक्ति की कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक अध्ययन आवश्यक है |

मेष : आपके लिए भाग्येश और द्वादशेश होकर गुरु का गोचर आपके बारहवें भाव में ही चल रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके चतुर्थ भाव, छठे भाव तथा अष्टम भावों पर रहेंगी | वक्री गुरु कि स्थिति में यदि कुछ कार्य रुक गए हैं तो अब कार्य में प्रगति तथा प्रचुर अर्थ लाभ की सम्भावना की जा सकती है | मन सम्मान तथा पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग प्रतीत होते हैं | यदि विदेश जाने की योजना बना रहे हैं तो उनके लिए यह गोचर अनुकूल रहने की सम्भावना की जा सकती है | साथ ही जिन अधिकारी वर्ग के साथ पिछले कुछ समय में सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आई है उसका लाभ आपको इस समय अनुभव होगा | आय के नवीन स्रोत उपलब्ध होने की सम्भावना है – सोच समझकर आगे बढ़ेंगे तो बहुत समय तक व्यस्त रहते हुए अर्थलाभ कर सकते हैं | परिवार में मंगल कार्यों की धूम रहेगी तथा अतिथियों का आवागमन बढ़ेगा | किन्तु साथ ही खर्चों में वृद्धि की सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता | स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचर अनुकूल नहीं प्रतीत होता | अचानक ही स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसके कारण आपको अस्पताल में भरती होना पड़ सकता है और बहुत अधिक धन भी खर्च हो सकता है, अतः अपनी जीवन शैली में सुधार की आवश्यकता है | किसी कोर्ट केस में अनुकूल परिणाम आ सकता है | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि की सम्भावना है – किन्तु पोंगा पण्डितों से बचने की भी आवश्यकता है |

वृषभ : आपके लिए अष्टमेश और एकादशेश होकर गुरु का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव में ही चल रहा है, जहाँ से इनकी दृष्टियाँ आपके तृतीय भाव, पञ्चम भाव तथा सप्तम भाव पर रहेंगी | कार्य की दृष्टि से यह गोचर आपके लिए अनुकूल प्रतीत होता है | सम्भव है वक्री गुरु कि स्थिति में आपने कुछ प्रतिकूल परिणाम अनुभव किये हों, किन्तु अब आय के नवीन साधन आपके समक्ष प्रस्तुत हो सकते हैं | किसी घनिष्ठ मित्र के माध्यम से कोई ऐसा कार्य आपको प्राप्त हो सकता है जिसके कारण आप अधिक समय तक व्यस्त रह सकते हैं तथा अर्थ लाभ कर सकते हैं | अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपके सम्बन्धों में प्रगाढ़ता में वृद्धि के संकेत हैं – अवसर का लाभ उठाना आप पर निर्भर करता है | किन्तु आपको अपने आलस्य को त्यागने की आवश्यकता है | साथ ही अपने टेम्परामेंट को भी नियन्त्रित करने कि आवश्यकता है | विवाहित हैं तो आपके जीवन साथी के लिए भी यह समय कार्य में उन्नति का प्रतीत होता है | साथ ही दाम्पत्य जीवन में सम्बन्धों में माधुर्य बना रहने की सम्भावना भी की जा सकती है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में उचित जीवन साथी की प्राप्ति भी सम्भव है | धार्मिक तथा अध्यात्मिक कार्यों में भी आपकी रूचि में वृद्धि हो सकती है | आपके पिता तथा सन्तान के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | सन्तान की कामना है तो इस अवधि में यह कामना भी पूर्ण हो सकती है |

मिथुन : आपके सप्तम तथा दशम भावों का स्वामी होकर गुरु आपके लिए योगकारक हो जाता है तथा इसका गोचर आपके दशम भाव में चल रहा है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव तथा छठे भाव पर रहेंगी | हंस महापुरुष योग होने के कारण आपके लिए यह गोचर वक्री स्थिति में भी अनुकूल रहा होगा और अब भी अत्यन्त अनुकूल प्रतीत होता है | यदि आप किसी नौकरी में हैं तो उसमें पदोन्नति के साथ आय में वृद्धि की भी सम्भावना की जा सकती है | आपके अपना कार्य है तो उसमें भी लाभ की सम्भावना है | पार्टनरशिप में कार्य है तो उसमें भी उन्नति के अवसर प्रतीत होते हैं | साथ ही, यदि आप पार्टनरशिप में कोई नया कार्य आरम्भ करने जा रहे हैं तो उसके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | आपको इस अवधि में नवीन वाहन और घर का लाभ भी सम्भव है | प्रॉपर्टी की ख़रीद फ़रोख्त में लाभ की सम्भावना है | बुद्धिजीवियों को किसी प्रकार का पुरूस्कार भी इस अवधि में प्राप्त हो सकता है | स्पोर्ट्स से सम्बद्ध लोगों के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | परिवार में मंगल कार्यों की सम्भावना है जिसके कारण अतिथियों का आवागमन बना रहेगा | आपकी वाणी इस समय बहुत प्रभावशाली रहेगी जिसका लाभ आपको अपने कार्य में प्राप्त हो सकता है | किसी पुराने रोग से मुक्ति भी इस समय प्राप्त हो सकती है |

कर्क : आपके लिए आपके षष्ठेश तथा नवमेश गुरु का गोचर आपके नवम भाव में चल रहा है जहाँ से आपकी लग्न, तृतीय भाव तथा पञ्चम भाव पर इसकी दृष्टियाँ रहेंगी | आपके लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | भाग्योन्नति का समय प्रतीत होता है | इस अवधि में आप जो भी निर्णय लेंगे सोच समझ कर लेंगे तथा उनमें आपको सफलता भी प्राप्त होने की सम्भावना है | सम्भव है वक्री गुरु कि स्थिति में कार्यक्षेत्र में कुछ विरोध के स्वर मुखर हो गए हों, किन्तु अब सभी विरोध आप स्वयं ही समाप्त करने में सक्षम होंगे | मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना भी की जा सकती है | आय के नवीन स्रोत आपके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं जिनके कारण आप बहुत अधिक धनलाभ भी कर सकते हैं | आपका अपना कोई व्यवसाय है तो उसमें भी उन्नति की सम्भावना की जा सकती है | आप स्वयं अथवा आपकी सन्तान उच्च शिक्षा के लिए कहीं दूर भी जा सकती है | छात्रों के लिए यह समय अनुकूल प्रतीत होता है | विवाहित हैं तो दाम्पत्य जीवन में प्रगाढ़ता के संकेत हैं | सन्तान प्राप्ति के संकेत भी इस अवधि में प्रतीत होते हैं | आपकी सन्तान के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | अविवाहित हैं तो अनुकूल जीवन साथी की प्राप्ति की सम्भावना भी की जा सकती है | धार्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि में वृद्धि हो सकती है |

सिंह : आपके लिए आपका पंचमेश और अष्टमेश होकर गुरु का गोचर आपके अष्टम भाव में ही चल रहा है जहाँ से इसकी दृष्टि आपके व्यय भाव, धन भाव तथा चतुर्थ भाव पर रहेगी | तो इस स्थिति में आपको विशेष रूप से अपने तथा अपने पिता के स्वास्थ्य तथा खर्चों की ओर से सावधान रहने की विशेष रूप से आवश्यकता है | धनहानि की सम्भावना भी है | स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर अधिक धन खर्च हो सकता है अतः इस ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है | किन्तु अकस्मात् ही किसी ऐसे स्रोत से धनलाभ भी हो सकता है जहाँ कि आपने कल्पना भी नहीं की होगी | परिवार में किसी प्रकार तनाव यदि होता है तो उसे उसी समय दूर कर देना आपके हित में रहेगा | ड्राइविंग के समय सावधानी रखने की आवश्यकता है | यदि कहीं से लोन लेने की योजना है तो आपको सफलता तो प्राप्त हो सकती है, किन्तु अभी किसी भी प्रकार क़र्ज़ आपके हित में नहीं रहेगा | क्योंकि सम्भावना इस बात की है कि लोन लिया गया धन अनावश्यक रूप से खर्च हो जाएगा और आप उस क़र्ज़ को उतारने में भी सम्भव है सक्षम न रहें | अनावश्यक यात्राएँ भी करनी पड़ सकती हैं जो कष्टपूर्ण हो सकती हैं | हाँ यदि कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसमें अनुकूल परिणाम की अपेक्षा की जा सकती है | धार्मिक गतिविधियों में इस अवधि में रूचि बढ़ सकती है | आपकी सन्तान के लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | छात्रों के लिए तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे व्यक्तियों और स्पोर्ट्स से सम्बद्ध लोगों के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |

कन्या : आपके लिए चतुर्थेश और सप्तमेश होकर योगकारक गुरु का गोचर आपके सप्तम भाव में ही चल रहा है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके एकादश भाव, लग्न तथा तृतीय भावों पर रहेंगी | आपके लिए भी हंस महापुरुष योग होने के कारण यह गोचर अत्यधिक अनुकूल प्रतीत होता है | सम्भव है गुरु कि वक्री स्थिति में गुरुदेव उतना फल नहीं दे पाए हों, किन्तु निराश होने कि आवश्यकता नहीं है | कार्य क्षेत्र में उन्नति की सम्भावना है | अपना स्वयं का कार्य है अथवा पार्टनरशिप में कोई कार्य है तो उसमें भी उन्नति की सम्भावना की जा सकती है | नौकरी में हैं तो पदोन्नति के साथ ही आय में वृद्धि की भी सम्भावना है | कार्य के नवीन अवसर उपलब्ध हो सकते हैं जिनके कारण आप बहुत समय तक व्यस्त रहते हुए धनलाभ कर सकते हैं | कहीं पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है तो वह भी वापस मिलना आरम्भ हो सकता है | आपके भाई बहनों के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | यह समय आपके दाम्पत्य जीवन के लिए अत्यन्त उत्तम प्रतीत होता है | यदि अभी तक अविवाहित हैं तो इस अवधि में अनुकूल जीवन साथी की प्राप्ति भी सम्भव है | आपके जीवन साथी को भी कार्यक्षेत्र में कोई विशेष उपलब्धि तथा मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना प्रतीत होती है | किन्तु इस सबके लिए आप दोनों को ही परिश्रम अधिक करने की आवश्यकता होगी | स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |

तुला : गुरु आपके तृतीय तथा छठे भावों का अधिपति है तथा आपके छठे भाव में गोचर चल रहा है जहाँ से आपके दशम भाव, बारहवें भाव तथा दूसरे भाव पर इसकी दृष्टियाँ रहेंगी | कार्यक्षेत्र में किसी प्रकार का विरोध इस अवधि में सम्भव है | प्रॉपर्टी से सम्बन्धित कोई विवाद भी उत्पन्न हो सकता है | भाई बहनों के लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है किन्तु उनके साथ आपका किसी प्रकार का विवाद भी सम्भव है | यदि आपने कहीं पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है तो उस ओर से चिन्ता हो सकती है | दाम्पत्य जीवन भी प्रभावित होने की सम्भावना है | कार्य में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है | अकारण ही व्यर्थ में धन भी खर्च हो सकता है | विदेश यात्राओं के योग बन रहे हैं किन्तु यदि सोच समझकर कार्य नहीं किया तो धन अधिक खर्च हो सकता है | सोच समझकर कार्य करेंगे तो कार्य के नवीन प्रस्ताव भी आपके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं | किन्तु मन में किसी प्रकार की उदासी बने रहने की भी सम्भावना है | अपने तथा अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य की ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है | खान पान पर नियन्त्रण नहीं रखा और व्यायाम आदि की ओर ध्यान नहीं दिया तो मोटापे की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है | प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे छात्रों तथा स्पोर्ट्स से सम्बद्ध लोगों के लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |

वृश्चिक : आपके द्वितीय तथा पञ्चम भावों का अधिपति होकर गुरु का गोचर आपके पञ्चम भाव में चल रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके नवम भाव, एकादश भाव तथा लग्न पर रहेंगी | आपके लिए गोचर बहुत अनुकूल प्रतीत होता है | कार्य स्थल पर आपके द्वारा किये गए कार्यों की प्रशंसा होगी तथा आपको कोई पुरूस्कार आदि भी इस अवधि में प्राप्त हो सकता है | कार्य के नवीन अवसर आपको उपलब्ध हो सकते हैं जिनके कारण आप बहुत समय तक व्यस्त रह सकते हैं तथा धन लाभ कर सकते हैं | आर्थिक स्थिति में सुधार होने की सम्भावना है | यदि किसी प्रकार का क़र्ज़ इत्यादि लिया हुआ है तो वह भी इस अवधि में चुकता किया जा सकता है | नौकरी में हैं तो पदोन्नति की सम्भावना भी है और यदि स्वयं का व्यवसाय है तो उसमें भी प्रगति की सम्भावना है | आपकी वाणी इस अवधि में अत्यन्त प्रभावशाली बनी रहेगी जिसका लाभ आपको अपने कार्य में प्राप्त होगा | आपको अपनी सन्तान की ओर से भी कोई नितान्त शुभ समाचार प्राप्त होने की सम्भावना है | छात्रों के लिए भी यह समय अनुकूल प्रतीत होता है | दाम्पत्य जीवन में प्रगाढ़ता के साथ ही सन्तान का जन्म भी इस अवधि में सम्भव है, अथवा इस अवधि में आप सन्तान प्राप्ति के लिए प्रयास कर सकते हैं | अविवाहित हैं तो इस अवधि में अनुकूल जीवन साथी की उपलब्धि के भी योग प्रतीत होते हैं | परिवार में अन्य भी किसी सदस्य का विवाह का आयोजन सम्भव है जिसके कारण आनन्दोत्सव का वातावरण परिवार में बना रहेगा | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि की सम्भावना है | दूर पास की यात्राओं के भी योग प्रतीत होते हैं |

धनु : आपके लिए आपका राश्यधिपति तथा चतुर्थेश होकर गुरु आपके लिए योगकारक होकर हंस महापुरुष योग बनाता है तथा उसका गोचर आपके चतुर्थ भाव में ही चल रहा है, जहाँ से आपके अष्टम भाव, दशम भाव तथा बारहवें भावों पर इसकी दृष्टियाँ रहेंगी | वक्री गुरु की स्थिति में जिन समस्याओं का सामना आपको हुआ होगा वे अब समाप्त हो सकती हैं और आपके कार्य में प्रगति तथा आर्थिक स्थिति में दृढ़ता की सम्भावना की जा सकती है | जिन लोगों का व्यवसाय प्रॉपर्टी से सम्बन्धित है अथवा जिन लोगों ने प्रॉपर्टी में पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है उनके लिए यह समय अनुकूल प्रतीत होता है | यदि उचित दिशा में प्रयास किया गया तो उनका पैसा उन्हें वापस मिल सकता है | साथ ही जो लोग कम्प्यूटर अथवा मैनेजमेंट से सम्बन्धित किसी क्षेत्र में कार्यरत हैं अथवा बुद्धिजीवी हैं तो उनके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | किसी घनिष्ठ मित्र के माध्यम से कोई बहुत अच्छा प्रोजेक्ट आपको प्राप्त हो सकता है जिसके कारण बहुत सी आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है | कार्य क्षेत्र में आपके द्वारा किये गए कार्यों की प्रशंसा की जाएगी | नवीन आवास का लाभ भी आपको प्राप्त हो सकता है | अचानक ही किसी ऐसे स्थान से लाभ की सम्भावना है जहाँ की आपने कल्पना भी नहीं की होगी | किन्तु साथ ही अपने आँख कान खुले रखकर परिवार में ही अपने गुप्त शत्रुओं की ओर से भी सावधान रहने की आवश्यकता है | साथ ही अपनी माता जी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की विशेष रूप से आवश्यकता होगी | आपको अपने खान पान पर ध्यान देने की तथा नियमित व्यायाम की आवश्यकता है अन्यथा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर अधिक धन खर्च हो सकता है | धार्मिक गतिविधियों में रूचि बढ़ सकती है |

मकर : आपके लिए आपका तृतीयेश और द्वादशेश होकर गुरु का गोचर आपके तीसरे भाव में चल रहा है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके सप्तम भाव, नवम भाव तथा एकादश भावों पर रहेंगी | आपके लिए अनेक छोटी छोटी यात्राओं पर जाने के अवसर प्रतीत होते हैं | ये यात्राएँ आपके लिए आर्थिक दृष्टि तथा मान सम्मान की दृष्टि से अनुकूल सिद्ध हो सकती हैं किन्तु इसके लिए आपको परिश्रम अधिक करने की आवश्यकता होगी | साथी ही, यदि बजट बनाकर नहीं चलेंगे तो आय से अधिक खर्च भी हो सकते हैं | आप कहीं तीर्थ यात्रा के लिए भी जा सकते हैं | आपके भाई बहनों का साथ आपको इस अवधि में उपलब्ध रहेगा जो आपके कार्य में भी आपकी सहायता कर सकते हैं | किसी मित्र के माध्यम से प्रॉपर्टी से सम्बन्धित किसी विवाद को सुलझाने में भी सफलता प्राप्त हो सकती है | किसी बहुत बड़े सम्मान अथवा पुरूस्कार के प्राप्त होने की सम्भावना भी प्रतीत होती है | आपके जीवन साथी के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | जीवन साथी का सहयोग भी आपको प्राप्त रहेगा | दाम्पत्य जीवन में सम्बन्धों में माधुर्य बना रहने की सम्भावना है | यदि अभी तक अविवाहित हैं तो अनुकूल जीवन साथी की खोज भी इस अवधि में पूर्ण हो सकती है | आपको अपनी माता जी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है | यदि कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको स्वयं भी आलस्य का त्याग करना होगा और इसके लिए नियमित योग और ध्यान के अभ्यास तथा डॉक्टर्स के बताए विटामिन्स आदि समय पर लेते रहने की आवश्यकता है |

कुम्भ : आपकी राशि के लिए गुरु द्वितीयेश तथा एकादशेश होकर आपके दूसरे भाव में भ्रमण रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके छठे भाव, अष्टम भाव तथा दशम भावों पर रहेंगी | आपके लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | कार्य की दृष्टि से तथा आर्थिक दृष्टि से यह गोचर आपके लिए अनुकूल प्रतीत होता है | आपकी निर्णयात्मक क्षमता में वृद्धि के कारण आप स्वयं निर्णय लेकर ऐसे कार्य कर सकते हैं जिनसे आपको आर्थिक लाभ हो | यदि आपका स्वयं का व्यवसाय है तो कोई नवीन कार्य भी आप इस अवधि में आरम्भ कर सकते हैं | किन्तु यदि आप किसी नौकरी में हैं और उसे बदलना चाहते हैं तो उसके लिए अनुकूल नहीं प्रतीत होता | अच्छा यही रहेगा कि अभी जिस नौकरी में हैं उसी में पूर्ण मनोयोग से कार्य करें | आपके स्वभाव तथा प्रभावात्मक वाणी के कारण लोग आपसे सम्बन्ध बनाना पसन्द करेंगे जिसका लाभ आपको अपने व्यवसाय में प्राप्त हो सकता है | कार्यस्थल पर सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहने की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | अचानक ही कहीं से धनलाभ अथवा वसीयत के माध्यम से लाभ होने की सम्भावना भी की जा सकती है | किसी लीगल केस के माध्यम से भी आपको धन लाभ हो सकता है | किन्तु इस सबके साथ ही स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है | अपने खान पान को नियन्त्रित कीजिए और योग तथा व्यायाम आदि को नियमित कीजिए |

मीन : आपके लिए तो आपका राश्यधिपति और दशमेश होकर गुरु आपके लिए योगकारक होकर हंस महापुरुष योग बनाता है और इस समय आपकी राशि में ही मार्गी चाल चलने वाला है जहाँ से आपके पञ्चम भाव, सप्तम भाव तथा नवम भावों पर इसकी दृष्टि रहेगी | पिछले कुछ समय से चले आ रहे पारिवारिक तनाव से मुक्ति प्राप्त होने की सम्भावना की जा सकती है जिसके कारण आप बहुत से निर्णय लेने में स्वयं को सक्षम अनुभव करेंगे | पार्टनरशिप में यदि कोई व्यवसाय है तो उसमें प्रगति की सम्भावना है | कोई नवीन कार्य भी पार्टनरशिप में आरम्भ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | बहुत से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना है | समाज में तथा कार्यस्थल पर कोई महत्त्वपूर्ण पद भी आपको प्राप्त हो सकता है | सन्तान प्राप्ति के योग भी प्रतीत होते हैं | आपकी सन्तान तथा जीवन साथी के लिए भी यह गोचर शुभ प्रतीत होता है | विद्यार्थियों को अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त होने की सम्भावना है | दाम्पत्य जीवन में प्रेम में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में अनुकूल जीवन साथी की खोज भी पूर्ण हो सकती है | धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |

अन्त में, सदा की भाँति इतना अवश्य कहेंगे कि ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते रहते हैं – जो आपके अनुकूल भी हो सकते हैं और प्रतिकूल भी | उनसे घबराकर अथवा उनसे बहुत अधिक प्रोत्साहित होकर यदि हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे तो कुछ नहीं कर पाएँगे | सबसे प्रमुख होता है मनुष्य का कर्म जो प्रतिकूल ग्रहों को भी अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है… अतः हम सभी पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य कर्मों को करते हुए अपने लक्ष्य की दिशा में अग्रसर रहें यही कामना है…