संक्रान्तियाँ 2023
ॐ घृणि: सूर्य आदित्य नम: ॐ
इस वर्ष माघ कृष्ण अष्टमी यानी शनिवार चौदह जनवरी को रात्रि 8:45 के लगभग भगवान भास्कर गुरुदेव की धनु राशि से निकल कर महाराज शनि की मकर राशि में गमन करेंगे और इसके साथ उत्तर दिशा की ओर उनका प्रस्थान आरम्भ हो जाएगा | क्योंकि रात्रि में यह संक्रमण हो रहा है अतः संक्रान्ति का पुण्य काल पन्द्रह जनवरी को होगा |
संक्रान्ति शब्द का अर्थ है संक्रमण करना – प्रस्थान करना | इस प्रकार किसी भी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि पर संक्रमण अथवा संक्रमण संक्रान्ति ही होता है | किन्तु सूर्य का संक्रमण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है | नवग्रहों में सूर्य को राजा माना जाता है तथा सप्ताह के दिन रविवार का स्वामी रवि अर्थात सूर्य को ही माना जाता है | सूर्य का शाब्दिक अर्थ है सबका प्रेरक, सबको प्रकाश देने वाला, सबका प्रवर्तक होने के कारण सबका कल्याण करने वाला | यजुर्वेद में सूर्य को “चक्षो सूर्योSजायत” कहकर सूर्य को ईश्वर का नेत्र माना गया है | सूर्य केवल स्थूल प्रकाश का ही संचार नहीं करता, अपितु सूक्ष्म अदृश्य चेतना का भी संचार करता है | यही कारण है कि सूर्योदय के साथ ही समस्त जड़ चेतन जगत में चेतनात्मक हलचल बढ़ जाती है | इसीलिए ऋग्वेद में आदित्यमण्डल के मध्य में स्थित सूर्य को सबका प्रेरक, अन्तर्यामी तथा परमात्मस्वरूप माना गया है – सूर्यो आत्मा जगतस्य…”
वेद उपनिषद आदि में सूर्य के महत्त्व के सम्बन्ध में अनेकों उक्तियाँ उपलब्ध होती हैं | जैसे सूर्योपनिषद का एक मन्त्र है “आदित्यात् ज्योतिर्जायते | आदित्याद्देवा जायन्ते | आदित्याद्वेदा जायन्ते | असावादित्यो ब्रह्म |” अर्थात आदित्य से प्रकाश उत्पन्न होता है, आदित्य से ही समस्त देवता उत्पन्न हुए हैं, आदित्य ही वेदों का भी कारक है और इस प्रकार आदित्य ही ब्रह्म है | अथर्ववेद के अनुसार “संध्यानो देवः सविता साविशदमृतानि |” अर्थात् सविता देव में अमृत तत्वों का भण्डार निहित है | तथा “तेजोमयोSमृतमयः पुरुषः |” अर्थात् यह परम पुरुष सविता तेज का भण्डार और अमृतमय है | इत्यादि इत्यादि
छान्दोग्योपनिषद् में सूर्य को प्रणव माना गया है | ब्रह्मवैवर्तपुराण में सूर्य को परमात्मा कहा गया है | गायत्री मन्त्र में तो है ही भगवान् सविता की महिमा का वर्णन – सूर्य का एक नाम सविता भी है – सविता सर्वस्य प्रसविता – सबकी सृष्टि करने वाला – यही त्रिदेव के रूप में जगत की रचना, पालन तथा संहार का कारण है | आत्मा का कारक, प्राणों का कारक, जीवनी शक्ति का – ऊर्जा का कारक सूर्य ही माना जाता है | यही कारण है कि सूर्य की संक्रान्ति का सबसे अधिक महत्त्व माना जाता है | सूर्योपासना से न केवल ऊर्जा, प्रकाश, आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य आदि की उपलब्धि होती है बल्कि एक साधक के लिए साधना का मार्ग भी प्रशस्त होता है |
सूर्य को एक राशि से दूसरी राशि पर जाने में पूरा एक मास का समय लगता है – और यही अवधि सौर मास कहलाती है | वर्ष भर में कुल बारह संक्रान्तियाँ होती हैं | आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, उडीसा, पंजाब और गुजरात में संक्रान्ति के दिन ही मास का आरम्भ होता है | जबकि बंगाल और असम में संक्रान्ति के दिन महीने का अन्त माना जाता है | यों तो सूर्य की प्रत्येक संक्रान्ति महत्त्वपूर्ण होती है, किन्तु मेष, कर्क, धनु और मकर की संक्रान्तियाँ विशेष महत्त्व की मानी जाती हैं | इनमें भी मकर और कर्क की संक्रान्तियाँ विशिष्ट महत्त्व रखती हैं – क्योंकि इन दोनों ही संक्रान्तियों में ऋतु परिवर्तन होता है | कर्क की संक्रान्ति से सूर्य का दक्षिण की ओर गमन आरम्भ हो जाता है जिसे दक्षिणायन कहा जाता है और मकर संक्रान्ति से सूर्य का उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान आरम्भ हो जाता है – जिसे उत्तरायण कहा जाता है | मकर संक्रान्ति से शीत का प्रकोप धीरे धीरे कम होना आरम्भ हो जाता है और जन साधारण तथा समूची प्रकृति सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर उल्लसित हो नृत्य करना आरम्भ कर देती है | पृथिवी को सूर्य का प्रकाश अधिक मात्रा में मिलना आरम्भ हो जाता है जिसके कारण दिन की अवधि भी बढ़ जाती है और शीत के कारण आलस्य को प्राप्त हुई समूची प्रकृति पुनः कर्मरत हो जाती है | इसलिए इस पर्व को अन्धकार से प्रकाश की ओर गमन करने का पर्व तथा प्रगति का पर्व भी कहा जाता है |
कुछ लोग इसे बसन्त के आगमन के रूप में भी देखते हैं, जिसका अर्थ होता है फसलों की कटाई और पेड़-पौधों के पल्लवन का आरम्भ | इसलिए देश के अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को विभिन्न नामों से मनाया जाता है |
इस वर्ष मकर संक्रान्ति पर कुछ विशेष योग भी बन रहे हैं – जैसे गुरु और शनि स्वराशिगत हैं, साथ ही शुक्र अपने मित्र शनि कि राशि में ही गोचर कर रहा है |
अस्तु, सभी को वर्ष 2023, मकर संक्रान्ति, पोंगल, लोहड़ी तथा माघ बिहू की शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है वर्ष 2023 के लिए बारह संक्रान्तियों की सूची… उनके पुण्यकाल सहित…
रविवार, 15 जनवरी माघ कृष्ण अष्टमी / मकर संक्रान्ति / पोंगल / सूर्य का उत्तर दिशा को प्रस्थान
सूर्य का मकर राशि में संक्रमण चौदह जनवरी रात्रि 8:45 के लगभग / पुण्यकाल 15 जनवरी को सूर्योदय काल में 7:14 से सूर्यास्त में 5:45 तक |
सोमवार, 13 फरवरी फाल्गुन कृष्ण सप्तमी / कुम्भ संक्रान्ति सूर्य का कुम्भ राशि में संक्रमण प्रातः 9:45 पर, संक्रान्ति पुण्यकाल प्रातः 7:01 से दिन में 9:45 तक |
बुधवार, 15 मार्च चैत्र कृष्ण अष्टमी / मीन संक्रान्ति
सूर्य का मीन राशि में संक्रमण प्रातः 6:36 पर, संक्रान्ति पुण्यकाल प्रातः 6:31 से दिन में 1:10 तक – महा पुण्य काल 6:31 से 8:46 तक |
शुक्रवार, 14 अप्रैल वैशाख कृष्ण नवमी / मेष संक्रान्ति / सौर नव वर्ष / बैसाखी / पुथुन्डू / महावीर स्वामी जयन्ती
सूर्य का मेष राशि में संक्रमण दिन में 2:59 पर, सूर्योदय 5:57 पर अतः संक्रान्ति पुण्यकाल 5:57 से सायं 6:46 तक, महा पुण्य काल दोपहर 1:04 से 5:20 तक |
सोमवार, 15 मई ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी / वृषभ संक्रान्ति
सूर्य का वृषभ राशि में संक्रमण प्रातः 11:45 पर | संक्रान्ति पुण्यकाल सूर्योदय काल में 5:30 से प्रातः 11:58 तक |
गुरूवार, 15 जून आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी / मिथुन संक्रान्ति
सूर्य का मिथुन राशि में संक्रमण सायं 6:17 पर | पुण्यकाल संक्रमण के समय सायं 6:17 से रात्रि 7:20 तक
रविवार, 16 जुलाई श्रावण कृष्ण चतुर्दशी / कर्क संक्रान्ति / सूर्य का दक्षिण दिशा को प्रस्थान
सूर्य का कर्क राशि में संक्रमण सत्रह जुलाई को सूर्योदय से पूर्व 5:08 पर – सूर्योदय 5:34 पर, संक्रान्ति पुण्यकाल सोलह जुलाई को दिन में 12:27 से सूर्यास्त में 7:20 तक
गुरूवार, 17 अगस्त श्रावण शुक्ल प्रतिपदा / सिंह संक्रान्ति / बलराम जयन्ती / मलयालम नव वर्ष
सूर्य का सिंह राशि में संक्रमण दिन में 1:33 पर | सूर्योदय 5:51 पर / संक्रान्ति पुण्यकाल प्रातः 5:51 से संक्रान्ति के आरम्भ अर्थात 1:33 तक
रविवार, 17 सितम्बर भाद्रपद शुक्ल तृतीया / कन्या संक्रान्ति
सूर्य का कन्या राशि में संक्रमण दोपहर 1:31 पर | संक्रान्ति पुण्यकाल दोपहर 1:41 से सूर्यास्त काल में 6:24 तक
बुधवार, 18 अक्टूबर आश्विन शुक्ल चतुर्थी / तुला संक्रान्ति
सूर्य का तुला राशि में संक्रमण 17 अक्तूबर को अर्द्धरात्र्योत्तर 1:30 पर | पुण्यकाल 18 अक्तूबर को सूर्योदय काल 6:23 से दिन में 12:06 तक
शुक्रवार, 17 नवम्बर कार्तिक शुक्ल चतुर्थी / वृश्चिक संक्रान्ति
सूर्य का वृश्चिक राशि में संक्रमण 16 को अर्द्धरात्र्योत्तर 1:19 पर | पुण्यकाल 17 नवम्बर को सूर्योदय काल 6:44 से दिन में 12:06 तक
शनिवार, 16 दिसम्बर मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी / धनु संक्रान्ति
सूर्य का धनु राशि में संक्रमण दोपहर 3:59 पर | पुण्यकाल संक्रान्ति के आरम्भ के समय दोपहर 3:59 से सूर्यास्त में 5:26 तक
वर्ष 2023 में भगवान भास्कर का प्रत्येक राशि में संक्रमण समस्त चराचर प्रकृति को ऊर्जा प्रदान करते हुए जन साधारण के जीवन को ज्ञान-विज्ञान, सुख-समृद्धि, आरोग्य, उल्लास तथा स्नेह की ऊर्जा से परिपूर्ण करे यही कामना है…