चैत्र नवरात्र 2023 की तिथियाँ
इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी बुधवार 22 मार्च से नल नामक विक्रम सम्वत 2080 का आरम्भ हो जाएगा | कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह पिंगल सम्वत्सर होगा – किन्तु यह इस लेख का विषय नहीं है – इस विषय में सदा से ही मतभेद चला आ रहा है और सभी विद्वज्जनों को मिलकर इस पर विचार करने की आवश्यकता है | यहाँ प्रस्तुत है हिन्दू नव वर्ष तथा साम्वत्सरिक नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ नवरात्रों की तिथियाँ तथा इस वर्ष की ग्रहों की संसद के विषय में संक्षिप्त वर्णन…
21 मार्च को रात्रि 10:54 से 22 मार्च को रात्रि 8:20 तक प्रतिपदा तिथि रहेगी | घट स्थापना मुहूर्त बुधवार 22 मार्च को द्विस्वभाव मीन लग्न में सूर्योदय में 6:23 से 7:32 तक है | मीन लग्नोदय 6:08 पर है, किन्तु सूर्योदय 6:23 पर होने के कारण इसी समय से घट स्थापना का मुहूर्त आरम्भ हो रहा है जो लग्न की समाप्ति 7:32 तक रहेगा | किन्स्तुघ्न करण और शुक्ल योग होगा जो 22 मार्च को प्रातः 9:18 तक रहेगा और उसके बाद ब्रह्म योग आरम्भ हो जाएगा जो 23 मार्च तक रहेगा | इसके अतिरिक्त दो योगकारक गुरु और बुध के साथ सूर्य और चन्द्र कि युति बहुत शुभ संकेत दे रहे हैं | कुछ मित्रों ने प्रश्न किया है कि 19 मार्च से 23 मार्च तक पंचक रहेंगे, तो क्या पंचकों में घट स्थापना की जा सकती है ? उनकी जानकारी के लिए बता दें कि पंचकों में घट स्थापना जैसे कार्य करने पर कोई रोक नहीं होती | हाँ, विद्वानों के अनुसार दक्षिण दिशा की यात्रा, छत बनवाना, चारपाई बनवाना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है | वैसे भी हमारा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि पंचकों में यदि कुछ अशुभ घटने कि सम्भावना भी है तो घट स्थापना, पूजन आदि के द्वारा वह दूर होकर शुभत्व में ही वृद्धि होगी | अतः हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नियत मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी…
जिस प्रकार किसी भी देश की सरकार के कार्य को विधिवत नियन्त्रित करने के लिए मन्त्रीमण्डल की आवश्यकता होती है उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी नवग्रहों का मन्त्रीमण्डल समस्त गढ़ नक्षत्रों की गतिविधियों को नियन्त्रित करता है | जिस वार से सम्वत्सर का आरम्भ माना जाता है उसी ग्रह को उस वर्ष का आधिपत्य प्राप्त होता है |
इस वर्ष की आकाशीय संसद में ग्रहों के राजकुमार, बुद्धि-विवेक-चिकित्सा विज्ञान आदि के कारक बुध को वर्ष के अधिपति का तथा समस्त प्रकार के सांसारिक सुख सुविधाओं, समृद्धि और कलाओं आदि के कारक शुक्र को मन्त्री का पद प्राप्त हुआ है | अधिपति बुध, मन्त्री शुक्र दोनों ही ग्रहों में परस्पर मित्रता है | और जब किसी राज्य में राजा और उसके मन्त्री एकमत होकर कार्य करते हैं तो वह देश बहुत शीघ्र प्रगति करता है | इस वर्ष लगभग यही स्थिति बनी रहने की सम्भावना की जा सकती है | जिस सम्वत के राजा बुध होते हैं उस वर्ष पृथ्वी पर वर्षा की स्थिति अच्छी रहती है | यह बात माँ भगवती के वाहन से भी स्पष्ट हो रही है | इस वर्ष चैत्र नवरात्रों में भगवती का आगमन नौका पर हो रहा है | भगवती का नाव पर आना प्रतीक है इस तथ्य का कि नाव के लिए पानी की आवश्यकता होती है और मां अपने साथ धरती पर पानी भी लेकर आएँगी | इस प्रकार यह वर्ष कृषि के लिए उत्तम रहने की सम्भावना है | फसल अच्छी होगी | और जब फसल अच्छी होगी तो निश्चित रूप से सभी क्षेत्रों में सुख समृद्धि की सम्भावना की जा सकती है – जिसके कारक हैं शुक्र | व्यापारी वर्ग के लिए लाभ की सम्भावना की जा सकती है | लेखन, चिकित्सा और शिल्प कला आदि के क्षेत्र में भी प्रगति की सम्भावना की जा सकती है | जन साधारण में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में वृद्धि होने की सम्भावना की जा सकती है | शुक्र के मन्त्री होने के कारण महिलाओं की उन्नति की सम्भावना भी बन रही है | फिल्म उद्योग, मनोरंजन और फैशन के क्षेत्र में केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व में आकर्षण और रुझान बढ़ेगा और इन क्षेत्रों से सम्बद्ध व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति में भी वृद्धि होने की सम्भावना की जा सकती है |
इस वर्ष के सेनापति देवगुरु बृहस्पति हैं और वे ही मेघेश भी हैं | चन्द्रमा सस्येश हैं | सूर्य धनेश हैं | इन समस्त पदों के वितरण को देखते हुए कारण पुनः अच्छी वर्षा और उसके कारण अच्छी फसल की सम्भावना बढ़ जाती है और धनागम के नवीन द्वार खुलने की सम्भावना भी बढ़ जाती है | धान्येश शनि हैं – विश्व के कुछ भागों में इनका अनुकूल प्रभाव दृष्टिगत हो सकता है तो कुछ भागों में कुछ विनाशकारी घटनाएँ भी सम्भव हैं |
इस वर्ष नवरात्रों की तिथियाँ इस प्रकार हैं…
बुधवार 22 मार्च – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा / साम्वत्सरिक नवरात्र आरम्भ / नल नामक विक्रम सम्वत 2080 आरम्भ / 21 मार्च को रात्रि 10:54 से 22 मार्च को रात्रि 8:20 तक प्रतिपदा तिथि – घट स्थापना मुहूर्त 22 मार्च को द्विस्वभाव मीन लग्न में सूर्योदय में 6:23 से 7:32 तक – मीन लग्नोदय 6:08 पर है, किन्तु सूर्योदय 6:23 पर होने के कारण इसी समय से घट स्थापना का मुहूर्त आरम्भ हो रहा है जो लग्न की समाप्ति 7:32 तक रहेगा – किन्स्तुघ्न करण और शुक्ल योग / लग्न में दो योगकारक गुरु और बुध के साथ सूर्य और चन्द्र कि युति बहुत शुभ संकेत दे रहे हैं / भगवती के शैलपुत्री रूप की उपासना / गुड़ी पड़वा / युगादि
गुरूवार 23 मार्च – चैत्र शुक्ल द्वितीया / भगवती के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासना / मत्स्य जयन्ती
शुक्रवार 24 मार्च – चैत्र शुक्ल तृतीया / भगवती के चन्द्रघंटा रूप की उपासना / गणगौर पूजा
शनिवार 25 मार्च – चैत्र शुक्ल चतुर्थी / भगवती के कूष्माण्डा रूप की उपासना / लक्ष्मी पञ्चमी
रविवार 26 मार्च – चैत्र शुक्ल पञ्चमी / भगवती के स्कन्दमाता रूप की उपासना
सोमवार 27 मार्च – चैत्र शुक्ल षष्ठी / भगवती के कात्यायनी रूप की उपासना
मंगलवार 28 मार्च – चैत्र शुक्ल सप्तमी / भगवती के कालरात्रि रूप की उपासना
बुधवार 29 मार्च – चैत्र शुक्ल अष्टमी / भगवती के महागौरी रूप की उपासना
गुरूवार 30 मार्च – चैत्र शुक्ल नवमी / भगवती के सिद्धिदात्री रूप की उपासना
सभी को साम्वत्सरिक नवरात्र / वासन्तिक नवरात्र और हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ… माँ दुर्गा सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें…
—–कात्यायनी—–