गुरु का मेष में गोचर

गुरु का मेष में गोचर 5

गुरु का मेष में गोचर

आज की राशियाँ – मेष और वृषभ

बृहस्पति जिन्हें देवताओं का गुरु कहा जाता है और वैदिक ज्योतिष में सबसे शुद्ध दृष्टि वाला शुभ ग्रह माना गया है | वैशाख शुक्ल द्वितीया यानी शनिवार 22 अप्रैल को सूर्योदय से पूर्व 5:15 के लगभग मीन लग्न, कौलव करण और आयुष्मान योग में गुरुदेव अपनी स्वयं की मीन राशि से निकलकर मित्र ग्रह मंगल की राशि मेष राशि में राहु-केतु के मध्य अश्विनी नक्षत्र पहुँच जाएँगे | इस समय गुरुदेव अस्त रहेंगे और 26 अप्रैल को अर्द्धरात्र्योत्तर (27 अप्रैल को सूर्योदय से पूर्व) 1:49 के लगभग पुनः उदित हो जाएँगे | मेष राशि में भ्रमण करते हुए 21 जून से भरणी नक्षत्र पर पहुँच जाएँगे – जहाँ चार सितम्बर से वक्री होना आरम्भ होंगे और 27 नवम्बर को पुनः अश्विनी नक्षत्र पर पहुँच जाएँगे – राशि परिवर्तन नहीं होगा | वर्ष के अन्त में अर्थात 31 दिसम्बर से गुरु की मार्गी चाल आरम्भ होगी और तीन फरवरी 2024 से वापस भरणी नक्षत्र पर पहुँचकर 17 अप्रैल से कृत्तिका नक्षत्र पर भ्रमण करते हुए अन्त में पहली मई 2024 को शुक्र की वृषभ राशि में प्रस्थान कर जाएँगे | अश्विनी नक्षत्र सात्विक प्रकृति का नक्षत्र है और इसका अधिपति केतु होता है | भरणी नक्षत्र राजसी प्रकृति का नक्षत्र है और इसका अधिपति शुक्र को माना गया है | कृत्तिका भी राजसी प्रकृति का अग्नि तत्व प्रधान नक्षत्र है और इसका अधिपति सूर्य को माना जाता है |

मेष राशि के लिए गुरु नवमेश और द्वादशेश हो जाते हैं तथा गुरु की धनु राशि के लिए मेष पञ्चम भाव और मीन राशि के लिए मेष द्वितीय भाव होती है | साथ ही मेष राशि में भ्रमण करते हुए गुरु की दृष्टियाँ पञ्चम भाव अर्थात सिंह पर, सप्तम भाव अर्थात तुला पर और नवम भाव अर्थात धनु राशि पर रहेंगी | यद्यपि इस गोचर में गुरु-चाण्डाल योग में रहेंगे देवगुरु बृहस्पति इसलिए सम्भव है बहुत से जातकों को मतिभ्रम अथवा द्विविधा की स्थिति का भी सामना करना पड़ जाए | साथ ही जिस भाव में गुरु का गोचर होगा उस भाव से सम्बन्धित अच्छे फल मिलने में कुछ समय लग जाए | किन्तु फिर भी – गुरुदेव के प्रभाव को तो नकारा नहीं जा सकता | हमारे विचार से मेष, सिंह और धनु राशियों के लिए गुरु का यह गोचर भाग्यवर्द्धक रहने की सम्भावना की जा सकती है |

इन्हीं समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जानने का प्रयास करते हैं कि गुरुदेव के मेष राशि में गोचर के क्या सम्भावित परिणाम हो सकते हैं… किन्तु ध्यान रहे, किसी एक ही ग्रह के गोचर के आधार पर स्पष्ट फलादेश करना अनुचित होगा… उसके लिए व्यक्ति की कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक अध्ययन आवश्यक है…

आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं मेष और वृषभ राशियों के जातकों पर गुरुदेव के राशि परिवर्तन के सम्भावित प्रभावों पर एक दृष्टि…

मेष : आपके लिए भाग्येश और द्वादशेश होकर गुरु का गोचर आपकी लग्न में ही हो रहा है जहाँ से उसकी दृष्टियाँ आपके पञ्चम भाव, सप्तम भाव तथा नवम भावों पर रहेंगी | पिछले कुछ समय से चले आ रहे पारिवारिक तनाव से मुक्ति प्राप्त होने की सम्भावना की जा सकती है जिसके कारण आप बहुत से निर्णय लेने में स्वयं को सक्षम अनुभव करेंगे | आप स्वभाव से आत्मकेन्द्रित हैं तथा आत्म निर्भर भी हैं | यही कारण है कि गुरु का आपकी राशि में गोचर आपके आत्मविश्वास में वृद्धि का कारक बन सकता है | कार्यक्षेत्र में नवीन Opportunities आपके समक्ष उपस्थित हो सकती हैं – किन्तु आपको अति उत्साह अथवा जल्दबाजी दिखाने की आवश्यकता नहीं है | सोच विचार कर आगे बढ़ेंगे तो दीर्घ काल तक कार्यरत रहते हुए इन अवसरों का लाभ उठा सकते हैं | पार्टनरशिप में यदि कोई व्यवसाय है तो उसमें प्रगति की सम्भावना है | कोई नवीन कार्य भी पार्टनरशिप में आरम्भ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | बहुत से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | मानसिक द्विविधा के अवसर उपस्थित हो सकते हैं, किन्तु उस पर नियन्त्रण आपको स्वयं ही करना होगा | योजनाबद्ध रूप से कार्य करेंगे तो सफलता अवश्यम्भावी है | आर्थिक स्थिति में दृढ़ता की सम्भावना भी इस अवधि में की जा सकती है | मित्रों, बड़े भाई बहनों तथा पिता का सहयोग और समर्थन निरन्तर प्राप्त रहेगा | मान सम्मान में वृद्धि की सम्भावना है | समाज में तथा कार्यस्थल पर कोई महत्त्वपूर्ण पद भी आपको प्राप्त हो सकता है | सन्तान प्राप्ति के योग भी प्रतीत होते हैं | आपकी सन्तान तथा जीवन साथी के लिए भी यह गोचर शुभ प्रतीत होता है | विद्यार्थियों को अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त होने की सम्भावना है | दाम्पत्य जीवन में प्रेम में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | अविवाहित हैं तो इस अवधि में अनुकूल जीवन साथी की खोज भी पूर्ण हो सकती है | धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है |

वृषभ : आपके लिए अष्टमेश और एकादशेश होकर गुरु का गोचर आपकी राशि से बारहवें भाव में हो रहा है – जहाँ से इनकी दृष्टियाँ आपके चतुर्थ भाव, छठे भाव तथा अष्टम भाव पर रहेंगी | कार्य की दृष्टि से यह गोचर आपके लिए अनुकूल प्रतीत होता है | कार्य में प्रगति तथा प्रचुर अर्थ लाभ की सम्भावना की जा सकती है | मान सम्मान तथा पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग प्रतीत होते हैं | यदि विदेश जाने की योजना बना रहे हैं तो उनके लिए यह गोचर अनुकूल रहने की सम्भावना की जा सकती है | साथ ही जिन अधिकारी वर्ग के साथ पिछले कुछ समय में सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आई है उसका लाभ आपको इस समय अनुभव होगा | आय के नवीन स्रोत उपलब्ध होने की सम्भावना है – सोच समझकर आगे बढ़ेंगे तो बहुत समय तक व्यस्त रहते हुए अर्थलाभ कर सकते हैं | परिवार में मंगल कार्यों की धूम रहेगी तथा अतिथियों का आवागमन बढ़ेगा | किन्तु साथ ही यदि बजट बनाकर नहीं चलेंगे तो खर्चों में वृद्धि की सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता | साथ ही, यदि अपनी वाणी और व्यवहार पर संयम नहीं रखा तो बनते कार्य भी बिगड़ सकते हैं अतः इस ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है | अचानक ही किसी वसीयत के माध्यम से प्रॉपर्टी का लाभ भी सम्भव है | आप अपने घर को Renovate भी करा सकते हैं | स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचर अनुकूल नहीं प्रतीत होता | अचानक ही स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसके कारण आपको अस्पताल में भरती होना पड़ सकता है और बहुत अधिक धन भी खर्च हो सकता है, अतः अपनी जीवन शैली में सुधार की आवश्यकता है | किसी कोर्ट केस में अनुकूल परिणाम आ सकता है | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि की सम्भावना है – किन्तु पोंगा पण्डितों से बचने की भी आवश्यकता है |

अन्त में, गुरु, शनि, राहु-केतु ये ऐसे ग्रह हैं जिनके राशि परिवर्तन समूची प्रकृति में बहुत सारे उतार चढ़ाव लेकर आते हैं – तो मानव जीवन पर तो इनका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है | तथापि, सदा की भाँति इतना अवश्य कहेंगे कि ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते रहते हैं – जो आपके अनुकूल भी हो सकते हैं और प्रतिकूल भी | उनसे घबराकर अथवा उनसे बहुत अधिक प्रोत्साहित होकर यदि हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे तो कुछ नहीं कर पाएँगे | सबसे प्रमुख होता है मनुष्य का कर्म जो प्रतिकूल ग्रहों को भी अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है | और गुरुदेव का जहाँ तक प्रश्न है तो यदि मनुष्य अपने धर्म-सम्मत कर्तव्य कर्मों को पूर्ण निष्ठा और सात्विक भाव से करता रहे तो गुरुदेव की कृपादृष्टि उस पर निरन्तर बनी रहती है, हाँ विपरीत कर्म करने पर परिवार के मुखिया की भाँति क्रोध दिखाने में भी गुरुदेव पीछे नहीं रहते | साथ ही एक बात और, गुरु का भाचक्र की प्रथम राशि मेष में प्रवेश इस तथ्य का भी द्योतक है कि व्यक्ति अपने कर्मों से अपना भावी लिखता है और उस शक्ति को ग्रहण करता है जो हमारे जीवन को नियन्त्रित करने में सक्षम होती है और जिसके विषय में हम अभी तक अनभिज्ञ थे |

अतः हम सभी पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य कर्मों को करते हुए अपने लक्ष्य की दिशा में अग्रसर रहें यही कामना है…