गुरु का मेष में गोचर 2
आज की राशियाँ – मिथुन और कर्क
बृहस्पति जिन्हें देवताओं का गुरु कहा जाता है और वैदिक ज्योतिष में सबसे शुद्ध दृष्टि वाला शुभ ग्रह माना गया है | वैशाख शुक्ल द्वितीया यानी शनिवार 22 अप्रैल को सूर्योदय से पूर्व 5:15 के लगभग मीन लग्न, कौलव करण और आयुष्मान योग में गुरुदेव अपनी स्वयं की मीन राशि से निकलकर मित्र ग्रह मंगल की राशि मेष राशि में राहु-केतु के मध्य अश्विनी नक्षत्र पहुँच जाएँगे | इस समय गुरुदेव अस्त रहेंगे और 26 अप्रैल को अर्द्धरात्र्योत्तर (27 अप्रैल को सूर्योदय से पूर्व) 1:49 के लगभग पुनः उदित हो जाएँगे | मेष राशि में भ्रमण करते हुए 21 जून से भरणी नक्षत्र पर पहुँच जाएँगे – जहाँ चार सितम्बर से वक्री होना आरम्भ होंगे और 27 नवम्बर को पुनः अश्विनी नक्षत्र पर पहुँच जाएँगे | वर्ष के अन्त में अर्थात 31 दिसम्बर से गुरु की मार्गी चाल आरम्भ होगी और तीन फरवरी 2024 से वापस भरणी नक्षत्र पर पहुँचकर 17 अप्रैल से कृत्तिका नक्षत्र पर भ्रमण करते हुए अन्त में पहली मई 2024 को शुक्र की वृषभ राशि में प्रस्थान कर जाएँगे | अश्विनी नक्षत्र सात्विक प्रकृति का नक्षत्र है और इसका अधिपति केतु होता है | भरणी नक्षत्र राजसी प्रकृति का नक्षत्र है और इसका अधिपति शुक्र को माना गया है | कृत्तिका भी राजसी प्रकृति का अग्नि तत्व प्रधान नक्षत्र है और इसका अधिपति सूर्य को माना जाता है |
मेष राशि के लिए गुरु नवमेश और द्वादशेश हो जाते हैं तथा गुरु की धनु राशि के लिए मेष पञ्चम भाव और मीन राशि के लिए मेष द्वितीय भाव होती है | साथ ही मेष राशि में भ्रमण करते हुए गुरु की दृष्टियाँ पञ्चम भाव अर्थात सिंह पर, सप्तम भाव अर्थात तुला पर और नवम भाव अर्थात धनु राशि पर रहेंगी | यद्यपि इस गोचर में गुरु-चाण्डाल योग में रहेंगे देवगुरु बृहस्पति इसलिए सम्भव है बहुत से जातकों को मतिभ्रम अथवा द्विविधा की स्थिति का भी सामना करना पड़ जाए | साथ ही जिस भाव में गुरु का गोचर होगा उस भाव से सम्बन्धित अच्छे फल मिलने में कुछ समय लग जाए | किन्तु फिर भी – गुरुदेव के प्रभाव को तो नकारा नहीं जा सकता | हमारे विचार से मेष, सिंह और धनु राशियों के लिए गुरु का यह गोचर भाग्यवर्द्धक रहने की सम्भावना की जा सकती है |
इन्हीं समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जानने का प्रयास करते हैं कि गुरुदेव के मेष राशि में गोचर के क्या सम्भावित परिणाम हो सकते हैं… किन्तु ध्यान रहे, किसी एक ही ग्रह के गोचर के आधार पर स्पष्ट फलादेश करना अनुचित होगा… उसके लिए व्यक्ति की कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक अध्ययन आवश्यक है…
कल हमने गुरुदेव के राशि परिवर्तन के मेष और वृषभ राशियों के जातकों पर सम्भावित प्रभावों के विषय में बात की थी… आज मिथुन और कर्क राशियाँ…
मिथुन : आपके सप्तम तथा दशम भावों का स्वामी होकर गुरु आपके लिए योगकारक हो जाता है तथा इसका गोचर आपके एकादश भाव में होने जा रहा है – जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपके तृतीय भाव, पञ्चम भाव तथा सप्तम भाव पर रहेंगी | यदि आप किसी नौकरी में हैं तो उसमें पदोन्नति के साथ आय में वृद्धि की भी सम्भावना की जा सकती है | आपके अपना कार्य है तो उसमें भी लाभ की सम्भावना है | पार्टनरशिप में कार्य है तो उसमें भी उन्नति के अवसर प्रतीत होते हैं | साथ ही, यदि आप पार्टनरशिप में कोई नया कार्य आरम्भ करने जा रहे हैं तो उसके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | आपको इस अवधि में नवीन वाहन और घर का लाभ भी सम्भव है | प्रॉपर्टी की ख़रीद फ़रोख्त में लाभ की सम्भावना है | बुद्धिजीवियों को किसी प्रकार का पुरूस्कार भी इस अवधि में प्राप्त हो सकता है | स्पोर्ट्स से सम्बद्ध लोगों के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | परिवार में मंगल कार्यों की सम्भावना है जिसके कारण अतिथियों का आवागमन बना रहेगा | आपकी वाणी इस समय बहुत प्रभावशाली रहेगी जिसका लाभ आपको अपने कार्य में प्राप्त हो सकता है | किसी पुराने रोग से मुक्ति भी इस समय प्राप्त हो सकती है |
कर्क : आपके लिए आपके षष्ठेश तथा नवमेश गुरु का गोचर आपके दशम भाव में होने जा रहा है जहाँ से इसकी दृष्टियाँ आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव तथा छठे भाव पर रहेंगी | आपके जीवन में अनेक महत्त्वपूर्ण तथा रचनात्मक परिवर्तन होने की सम्भावना है | यदि आप किसी नौकरी में हैं तो उसमें पदोन्नति के साथ आय में वृद्धि की भी सम्भावना की जा सकती है | आपके अपना कार्य है तो उसमें भी लाभ की सम्भावना है | पार्टनरशिप में कार्य है तो उसमें भी उन्नति के अवसर प्रतीत होते हैं | साथ ही, यदि आप पार्टनरशिप में कोई नया कार्य आरम्भ करने जा रहे हैं तो उसके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | आपको इस अवधि में नवीन वाहन और घर का लाभ भी सम्भव है | प्रॉपर्टी की ख़रीद फ़रोख्त में लाभ की सम्भावना है | बुद्धिजीवियों को किसी प्रकार का पुरूस्कार भी इस अवधि में प्राप्त हो सकता है | साथ ही यदि आप कोई अपना व्यवसाय आरम्भ करना चाहते हैं तो उसमें भी आर्थिक लाभ की सम्भावना की जा सकती है | स्पोर्ट्स से सम्बद्ध लोगों के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | परिवार में मंगल कार्यों की सम्भावना है जिसके कारण अतिथियों का आवागमन बना रहेगा | आपकी वाणी इस समय बहुत प्रभावशाली रहेगी जिसका लाभ आपको अपने कार्य में प्राप्त हो सकता है | किसी पुराने रोग से मुक्ति भी इस समय प्राप्त हो सकती है |
अन्त में, गुरु, शनि, राहु-केतु ये ऐसे ग्रह हैं जिनके राशि परिवर्तन समूची प्रकृति में बहुत सारे उतार चढ़ाव लेकर आते हैं – तो मानव जीवन पर तो इनका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है | तथापि, सदा की भाँति इतना अवश्य कहेंगे कि ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते रहते हैं – जो आपके अनुकूल भी हो सकते हैं और प्रतिकूल भी | उनसे घबराकर अथवा उनसे बहुत अधिक प्रोत्साहित होकर यदि हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे तो कुछ नहीं कर पाएँगे | सबसे प्रमुख होता है मनुष्य का कर्म जो प्रतिकूल ग्रहों को भी अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है | और गुरुदेव का जहाँ तक प्रश्न है तो यदि मनुष्य अपने धर्म-सम्मत कर्तव्य कर्मों को पूर्ण निष्ठा और सात्विक भाव से करता रहे तो गुरुदेव की कृपादृष्टि उस पर निरन्तर बनी रहती है, हाँ विपरीत कर्म करने पर परिवार के मुखिया की भाँति क्रोध दिखाने में भी गुरुदेव पीछे नहीं रहते | साथ ही एक बात और, गुरु का भाचक्र की प्रथम राशि मेष में प्रवेश इस तथ्य का भी द्योतक है कि व्यक्ति अपने कर्मों से अपना भावी लिखता है और उस शक्ति को ग्रहण करता है जो हमारे जीवन को नियन्त्रित करने में सक्षम होती है और जिसके विषय में हम अभी तक अनभिज्ञ थे |
अतः हम सभी पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य कर्मों को करते हुए अपने लक्ष्य की दिशा में अग्रसर रहें यही कामना है…