शुक्र का मिथुन में गोचर
मंगलवार दो मई वैशाख शुक्ल द्वादशी को दिन में 13:50 के लगभग बालव करण और हर्षण योग में समस्त सांसारिक सुख, समृद्धि, विवाह, परिवार सुख, कला, शिल्प, सौन्दर्य, बौद्धिकता, राजनीति तथा समाज में मान प्रतिष्ठा में वृद्धि आदि के कारक शुक्र अपनी स्वयं की राशि से निकल कर अपने मित्र ग्रह बुध की मिथुन राशि में प्रस्थान कर जाएगा | शुक्र इस समय मृगशिरा नक्षत्र पर होगा, जहाँ से आठ मई से आर्द्रा तथा 22 मई से पुनर्वसु नक्षत्र पर भ्रमण करते हुए अन्त में तीस मई को अपने शत्रु ग्रह चन्द्रमा की कर्क राशि में प्रविष्ट हो जाएगा | मिथुन राशि शुक्र की अपनी राशि वृषभ से दूसरा भाव तथा तुला से नवम भाव बनता है | साथ ही मिथुन राशि के लिए शुक्र पंचमेश और द्वादशेश हो जाता है | इन्हीं सब आधारों पर आइये जानने का प्रयास करते हैं कि प्रत्येक राशि के लिए शुक्र के मिथुन में गोचर के सम्भावित परिणाम क्या रह सकते हैं…
किन्तु ध्यान रहे, ये समस्त फल सामान्य हैं | व्यक्ति विशेष की कुण्डली का व्यापक अध्ययन करके ही किसी निश्चित परिणाम पर पहुँचा जा सकता है |
मेष : शुक्र आपका द्वितीयेश और सप्तमेश होकर आपके तीसरे भाव में गोचर कर रहा है | आपकी बुद्धि इस अवधि में तीव्र रहेगी तथा आपकी लेखन क्षमता में इस अवधि में निखार आने की सम्भावना है | आपकी वाणी इस समय प्रभावशाली रहेगी और आपके लेखन तथा आपकी वाणी का लाभ आपको अपने कार्य में अवश्य प्राप्त हो सकता है | अविवाहित हैं तो आप Romantically किसी के साथ Involve हो सकते हैं जो आपके लिए अनुकूल हो सकता है | पारिवारिक स्तर पर किसी प्रकार के तनाव की सम्भावना है | धार्मिक अथवा आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि बढ़ सकती है |
वृषभ : आपका राश्यधिपति तथा षष्ठेश होकर शुक्र आपके दूसरे भाव में गोचर कर रहा है | निश्चित रूप से आपके लिए उत्साह में वृद्धि का समय प्रतीत होता है | आपकी वाणी का प्रभाव दूसरों पर पड़ेगा अतः इस समय का लाभ उठाएँ | किन्तु साथ ही जो भी बोलें सोच समझ कर ही बोलें | किसी की निन्दा अथवा बिना माँगे किसी को सलाह देना आपके लिए घातक भी सिद्ध हो सकता है | साथ ही पारिवारिक क्लेश की सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता | अपनी माता जी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है | खान पान पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है | विशेष रूप से महिलाओं को अपनी Gynaecologist से Regular Check-up कराते रहना चाहिए |
मिथुन : आपका पंचमेश और द्वादशेश होकर शुक्र का गोचर आपकी राशि में ही हो रहा है | आप स्वयं अथवा आपकी सन्तान कहीं बाहर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जा सकते हैं | छोटे भाई बहनों के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है तथा उनका सहयोग भी आपको उपलब्ध रहेगा, किन्तु उनके साथ किसी भी विवाद से बचने की आवश्यकता है | सन्तान के साथ सम्बन्धों में मधुरता बनी रहने की सम्भावना है | आप अपने बनाव श्रृंगार की ओर पहले से अधिक ध्यान देना आरम्भ कर सकते हैं | आपको किसी प्रकार के तनाव के कारण माइग्रेन अथवा गर्मी या पित्त से सम्बन्धित कोई समस्या हो सकती है |
कर्क : आपका चतुर्थेश और एकादशेश होकर शुक्र का गोचर आपके बारहवें भाव में हो रहा है | यदि आपका कार्य कहीं विदेश से सम्बन्धित है तो किसी महिला मित्र के माध्यम से आपको नवीन प्रोजेक्ट्स मिलने तथा अर्थलाभ की सम्भावना है | आप अपना वर्तमान निवास बेचकर नया घर खरीदने की योजना भी बना सकते हैं | यदि आप कलाकार हैं तो आपको अपनी कला के प्रदर्शन के अवसर उपलब्ध होंगे जहाँ आपकी कला की प्रशंसा के साथ ही आपको आर्थिक लाभ तथा पुरूस्कार आदि भी प्राप्त होने की सम्भावना है | अपनी माता जी के स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है |
सिंह : आपका तृतीयेश और दशमेश होकर शुक्र का गोचर आपके लाभ स्थान में हो रहा है | यदि आप दस्कार हैं, गीत-संगीत-नृत्य के कलाकार हैं अथवा किसी प्रकार की Alternative healing therapy से आपका सम्बन्ध है या आप मीडिया से सम्बन्ध रखते हैं तो आपके लिए यह गोचर अत्यन्त अनुकूल प्रतीत होता है | आपको अपनी कला के प्रदर्शन के अवसर उपलब्ध होंगे तथा आपके कार्य की प्रशंसा होगी | सौन्दर्य प्रसाधनों से सम्बन्धित कोई कार्य करते हैं अथवा ब्यूटी पार्लर का व्यवसाय है या Cosmetic Dentist हैं तो आपके लिए भी यह गोचर विशेष रूप से अनुकूल प्रतीत होता है | अपने कार्य में आपको सहकर्मियों तथा मित्रों का सहयोग प्राप्त होने की सम्भावना है |
कन्या : आपका द्वितीयेश और भाग्येश होकर शुक्र दशम भाव में गोचर कर रहा है | आपके लिए यह गोचर अत्यन्त भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | आर्थिक रूप से स्थिति में दृढ़ता आने के साथ ही आपके लिए कार्य से सम्बन्धित लम्बी विदेश यात्राओं के योग भी प्रतीत होते हैं | आपको महिला मित्रों के माध्यम से कुछ नवीन प्रोजेक्ट्स भी प्राप्त हो सकते हैं जिनके कारण आप बहुत समय तक व्यस्त रह सकते हैं | आवश्यकता है अपनी अन्तर्मुखी प्रवृत्ति तथा आलस्य का त्याग करके Active हो जाने की | साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि में वृद्धि हो सकती है |
तुला : लग्नेश और अष्टमेश होकर शुक्र आपकी राशि से भाग्य स्थान में गोचर कर रहा है | अप्रत्याशित लाभ की सम्भावना इस अवधि में की जा सकती है | कार्य से सम्बन्धित यात्राओं में वृद्धि के संकेत प्रतीत होते है | किसी ऐसे स्थान से प्रॉपर्टी का लाभ भी हो सकता है जहाँ के विषय में आपने कल्पना भी नहीं की होगी | इसके अतिरिक्त विरोधियों को भी पहचान कर उनसे दूरी बनाकर चलने की आवश्यकता है | आपकी रूचि धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में बढ़ सकती है, किन्तु पोंगा पण्डितों को पहचान कर उनसे बचने की आवश्यकता है | स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है | गर्भवती महिलओं को विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है |
वृश्चिक : आपके लिए आपका सप्तमेश और द्वादशेश होकर शुक्र का गोचर आपके अष्टम भाव में हो रहा है | आपके लिए यह गोचर अधिक अनुकूल नहीं प्रतीत होता | विशेष रूप से आपको अपने तथा अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है | स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर अप्रत्याशित व्यय की भी सम्भावना है | अतः नियमित रूप से चेकअप कराने तथा खान पान के प्रति सजग रहने की स्स्वश्यकता है | इसके अतिरिक्त यात्राओं के योग हैं, किन्तु यदि इन यात्राओं को कुछ समय के लिए स्थगित कर सकते हैं तो आपके लिए उचित रहेगा | यदि कहीं पैसा Invest करना चाहते हैं तो उसके लिए समय अभी अनुकूल नहीं प्रतीत होता | Drive करते समय सावधान रहें |
धनु : आपका षष्ठेश और एकादशेश आपके सप्तम भाव में अपनी ही राशि में गोचर कर रहा है | यदि आपका कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसका परिणाम आपके पक्ष में आ सकता है तथा उसके माध्यम से भी आपको अर्थलाभ भी हो सकता है | यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उसमें सफलता प्राप्त होने की सम्भावना है | आपके जीवन साथी के लिए भी कार्य में लाभ की सम्भावना है | मित्रों, जीवन साथी तथा अधिकारी वर्ग का सहयोग आपको उपलब्ध रहेगा | किन्तु जीवन साथी का Temperament किसी कारणवश अनियन्त्रित हो सकता है | अतः किसी प्रकार के तनाव की सम्भावना से बचने के लिए आपके लिए अपने Temperament को नियन्त्रित रखना आवश्यक है |
मकर : आपका योगकारक आपके छठे भाव में गोचर कर रहा है | उत्साह में वृद्धि के संकेत हैं | एक ओर जहाँ आपके अपने कार्य के लिए यह गोचर अत्यधिक अनुकूल प्रतीत होता है वहीं दूसरी ओर आपकी सन्तान के लिए भी भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | आप यदि वर्तमान कार्य छोड़कर कोई नया कार्य आरम्भ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | आप इस अवधि में अपने स्टाफ में नई नियुक्तियाँ भी कर सकते हैं | किन्तु सम्बन्धित व्यक्तियों के Documents की अच्छी तरह जाँच पड़ताल अवश्य कर लें | सहकर्मियों के साथ कुछ उपहार आदि का आदान प्रदान भी इस अवधि में सम्भव है |
कुम्भ : आपका भी योगकारक शुक्र आपके पंचम भाव में गोचर कर रहा है | आपके तथा आपकी सन्तान के लिए अत्यन्त भाग्यवर्द्धक समय प्रतीत होता है | किन्तु सन्तान के साथ व्यर्थ के विवाद से बचने की आवश्यकता होगी | परिवार में माँगलिक आयोजन जैसे किसी का विवाह आदि हो सकते हैं जिनके कारण परिवार में उत्सव का वातावरण बन सकता है | परिवार में किसी नए सदस्य का आगमन – जैसे बच्चे का जन्म आदि – भी हो सकता है | आप नया घर अथवा वाहन भी इस अवधि में खरीद सकते हैं अथवा वर्तमान निवास को ही Renovate करा सकते हैं | साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि बढ़ सकती है |
मीन : आपके लिए तृतीयेश और अष्टमेश होकर शुक्र का गोचर आपके चतुर्थ भाव में हो रहा है | आपके लिए पारिवारिक दृष्टि से यह गोचर बहुत अधिक अनुकूल नहीं प्रतीत होता | छोटे भाई बहनों के कारण किसी प्रकार का विवाद सम्भव है | किन्तु अपनी माता जी अथवा परिवार किसी बड़ी महिला सदस्य की मध्यस्थता से आप वह विवाद सुलझा सकते हैं | यदि नया घर अथवा वाहन खरीदना चाहते हैं तो उसके लिए समय अभी अनुकूल नहीं प्रतीत होता | साथ ही परिवार के लोगों का – विशेष रूप से अपनी माता जी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है |
अन्त में, ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते ही रहते हैं – यह एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसका प्रभाव मानव सहित समस्त प्रकृति पर पड़ता है | वास्तव में सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है…