ज्येष्ठ मास के प्रमुख व्रतोत्सव

ज्येष्ठ मास के प्रमुख व्रतोत्सव

ज्येष्ठ मास के प्रमुख व्रतोत्सव

ज्येष्ठ मास – 6 मई से 6 जून – के प्रमुख व्रतोत्सव

अक्षय तृतीया, परशुराम जयन्ती तथा बुद्ध पूर्णिमा के लिए प्रसिद्ध वैशाख मास शुक्रवार पाँच मई को वैशाख पूर्णिमा – जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है – के साथ समाप्त हो जाएगा और शनिवार छह मई से तीनों लोकों में भ्रमण करते हुए समाचारों और सूचनाओं का आदान प्रदान करने वाले और इसी कारण सूचना और प्रसार तकनीक का देवता भी माने जाने वाले नारद मुनि की जयन्ती के साथ ज्येष्ठ मास का आरम्भ हो जाएगा | पाँच मई को रात्रि में ग्यारह बजकर चार मिनट के लगभग धनु लग्न, बालव करण और व्यातिपत योग में प्रतिपदा तिथि आरम्भ होगी | 6 मई को 5:36 पर सूर्योदय है अतः मासारम्भ का पुण्यकाल इसी समय से माना जाएगा…

ज्येष्ठ का वैदिक नाम है शुक्र और इसके अन्तर्गत ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र आते हैं | इसमें भी ज्येष्ठ नक्षत्र का शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा को उदय होने के कारण इसका नाम ज्येष्ठ हुआ | साथ ही इस मास में दिन की अवधि अधिक होती है और रात्रि की अवधि कम होती है इस कारण भी इसे ज्येष्ठ मास कहा जाता है | इस मास में भगवान विष्णु की उपासना का बहुत महत्त्व माना जाता है | साथ ही यह मास जल के महत्त्व को भी प्रदर्शित करता है – गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी के व्रत इसी तथ्य के प्रतीक हैं – जब गंगा मैया की पूजा अर्चना की जाती है और जल का त्याग किया जाता है ताकि जल का संरक्षण हो सके | आजकल जिस गति से जल का स्तर नीचे जा रहा है उसे देखते हुए इस प्रकार के उपवासों का महत्त्व और भी अधिक बढ़ जाता है | नौतपा भी इस मास में तपते हैं – जिनके लिए माना जाता है कि यदि नौतपा पूर्ण रूप से तप जाएँ तो वर्षा अच्छी होती है जो कृषि के लिए अत्यन्त आवश्यक है | साथ ही शरीर में भी जल का अभाव अनुभव होने लगता है इसलिए इस मास में वैद्य भी शीतल पेय पदार्थों के सेवन तथा अधिक तले भुने भोजन से दूरी बनाने की सलाह देते हैं | वास्तव में यह मास जल तथा जलागमों के संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाता है | क्योंकि इस मास में भगवान भास्कर अपने पूरे प्रताप में होते हैं इसीलिए इस मास में जल का दान, पंखे का दान, घड़ो मटकों आदि का दान तथा ऋतुफलों जैसे खरबूजा तरबूज आदि का दान दिया जाता है | बहुत से लोग प्याऊ भी लगवाते हैं | पशु पक्षियों के लिए दाना पानी रखना अत्यन्त पुण्य का कार्य माना जाता है | देखा जाए तो जल और प्रकृति की सुरक्षा के लिए समर्पित यह मास होता है | क्या ही अच्छा हो यदि हम ज्येष्ठ मास की प्रतीक्षा न करें और पूरे वर्ष अपने पर्यावरण और जलाशयों की सुरक्षा पर ध्यान देते रहें…

अस्तु, इस मास में आने वाले सभी पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मास के प्रमुख व्रतोत्सवों की सूची…

शनिवार 6 मई – ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा / ज्येष्ठ मास का आरम्भ / नारद जयन्तीदक्षिण भारत में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा को नारद जयन्ती मनाई जाती है  

शुक्रवार 12 मई – ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी / पञ्चक आरम्भ अर्द्ध रात्रि में (शनिवार 13 मई अर्द्धरात्र्योत्तर) 00:18 बजे / मृत्यु पञ्चक

सोमवार 15 मई – ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी / अपरा एकादशी / सूर्य का वृषभ राशि में संक्रमण / वृषभ संक्रान्ति / संक्रमण काल प्रातः 11:45 पर कर्क लग्न, बव करण और विषकुम्भ योग में  

बुधवार 17 मई – ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी / प्रदोष व्रत / पञ्चक समाप्त प्रातः 07:39 बजे

शुक्रवार 19 मई – ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या / शनि जयन्ती / दर्श अमावस्या / वट सावित्री अमावस्या

गुरुवार 25 मई – ज्येष्ठ शुक्ल षष्ठी / नौतपा आरम्भ 2 जून तक के लिए

मंगलवार 30 मई – ज्येष्ठ शुक्ल दशमी / गंगा दशहरा

बुधवार 31 मई – ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी / निर्जला एकादशी / गायत्री जयन्ती  

गुरुवार 1 जून – ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी / प्रदोष व्रत

शनिवार 3 जून – ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्दशी / वट पूर्णिमा व्रत

रविवार 4 जून – ज्येष्ठ पूर्णिमा / ज्येष्ठ मास सम्पन्न

नौतपा का ताप इतना प्रचण्ड रहे कि वर्ष भर अनुकूल वर्षा प्राप्त हो ताकि फसलें लहलहाती रहें और अन्न से सबके भण्डार भरे रहें इसी भावना के साथ ज्येष्ठ मास में आने वाले सभी पर्व सभी के लिए मंगलमय हों