भाद्रपद मास (2023) के प्रमुख व्रतोत्सव

भाद्रपद मास (2023) के प्रमुख व्रतोत्सव

भाद्रपद मास (2023) के प्रमुख व्रतोत्सव

भाद्रपद मास – 1 सितम्बर से 29 सितम्बर 2023 – के व्रतोत्सव

भाद्रपद मास में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, पितृगणों के सम्मान का महोत्सव श्राद्ध पक्ष, पर्यूषण पर्व, अनन्त चतुर्दशी जैसे अनेक महत्त्वपूर्ण आते हैं | साथ ही भाद्रपद मास चातुर्मास के चार पवित्र महीनों में दूसरा महीना है इसलिए भी इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है | चातुर्मास धार्मिक और व्यावहारिक रूप से जीवनशैली में संयम और अनुशासन अपनाने का समय माना जाता है | इस प्रकार व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह मास कर्म और बुद्धि के सन्तुलन तथा साधना के द्वारा जीवन में सफलता की ओर अग्रसर रहने का सन्देश भी प्रस्तुत करता है | तो पहले चातुर्मास पर बात हो जाए |

भारतीय संस्कृति में व्रतादि का विधान पूर्ण वैज्ञानिक आधार पर मौसम और प्रकृति को ध्यान में रखकर किया गया है | चातुर्मास अर्थात आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर श्रावण, भाद्रपद, आश्विन तथा कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार महीने – अर्थात आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास में देवोत्थान एकादशी तक के चार महीने वर्षा के माने जाते हैं | भारत कृषि प्रधान देश है इसलिए वर्षा के ये चार महीने कृषि के लिए बहुत उत्तम माने गए हैं | किसान विवाह आदि समस्त सामाजिक उत्तरदायित्वों से मुक्त रहकर इस अवधि में पूर्ण मनोयोग से कृषि कार्य कर सकता था | आवागमन के साधन भी उन दिनों इतने अच्छे नहीं थे | साथ ही चौमासे के कारण सूर्य चन्द्र से प्राप्त होने वाली ऊर्जा भी मन्द हो जाने से जीवों की पाचक अग्नि भी मन्द पड़ जाती है अतः सादा भोजन करने और व्रत उपवास आदि इन दिनों में अधिक किये जाते हैं | एक और बात, वर्षा के कारण जो स्वच्छ और ताज़ा हवा प्राप्त होती है वह समस्त प्रकृति को एक अनोखे आनन्द से भर देती है | ऐसे सुहावने मौसम में भला किसका मन होगा जो सामाजिक उत्तरदायित्वों के विषय में सोच विचार करे | अस्तु, इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए जो व्यक्ति इन चार महीनों में जहाँ होता था वहीं आनन्द पूर्वक निवास करते हुए अध्ययन अध्यापन करते हुए आध्यात्मिक उन्नति का प्रयास करता था तथा खान पान पर नियन्त्रण रखता था ताकि पाचन तन्त्र उचित रूप से कार्य कर सके | और वर्षाकाल व्यतीत होते ही देव प्रबोधिनी एकादशी से समस्त कार्य पूर्ववत आरम्भ हो जाते थे |

सुप्तेत्वयिजगन्नाथ जगत्सुप्तंभवेदिदम् | विबुद्धेत्वयिबुध्येतजगत्सर्वचराचरम् ||

हे जगन्नाथ ! आपके सो जाने पर यह सारा जगत सो जाता है तथा आपके जागने पर समस्त चराचर पुनः जागृत हो जाता है तथा फिर से इसके समस्त कर्म पूर्ववत आरम्भ हो जाते हैं…

जैन मतावलम्बियों के लिए भी चातुर्मास का विशेष महत्त्व है | सभी जानते हैं कि अहिंसा का पालन जैन धर्म का प्राण है | क्योंकि इन चार महीनों में बरसात होने के कारण अनेक ऐसे जीव जन्तु भी सक्रिय हो जाते हैं जो आँखों से दिखाई नहीं देते | ऐसे में मनुष्य के अधिक चलने फिरने के कारण इन जीवों की हत्या हो सकती है | इसीलिए जैन साधु इन चार महीनों में एक ही स्थान पर निवास करते हैं और स्वाध्याय आदि करते हुए अपना समय व्यतीत करते हैं |

इस वर्ष श्रावण में अधिक मास के कारण भाद्रपद मास कुछ विलम्ब से आरम्भ हो रहा है | 31 अगस्त को सूर्योदय के बाद सात बजकर छह मिनट के लगभग प्रतिपदा तिथि का उदय होगा जो अर्द्धरात्र्योत्तर (सूर्योदय से पूर्व) 3:19 तक रहेगी और इस प्रकार एक प्रकार से प्रतिपदा तिथि का क्षय हो रहा है | इस दिन सूर्योदय 5:58 पर होने के कारण भाद्रपद मास का आरम्भ पहली सितम्बर से माना जाएगा जो 29 सितम्बर को पूर्णिमा के श्राद्ध के साथ समाप्त हो जाएगा | इसी मध्य श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के साथ ही श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय का अष्टदिवसीय पजूसन पर्व और अन्य बहुत सारे पर्वों को स्वयं में समेटे हुए दिगम्बर जैन सम्प्रदाय का दश दिवसीय दशलाक्षण पर्व भी रहेगा |

अस्तु, प्रस्तुत है भाद्रपद माह में आने वाले व्रत पर्वों की सूची… साथ ही, षोडश-कला-सम्पन्न भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस तथा पजूसन और साम्वत्सरिक पर्वों की अनेकशः बधाई एवं शुभकामनाएँ…

शुक्रवार 1 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण द्वितीया, / भाद्रपद मासारम्भ

शनिवार 2 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण तृतीया / कजरी तीज / फूल कजरी व्रत

रविवार 3 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी / बहुला चतुर्थी / हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी (2 सितम्बर रात्रि 8:49 तक तृतीया, तत्पश्चात चतुर्थी तिथि का आगमन) चन्द्र दर्शन रात्रि 8:57

मंगलवार 5 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण षष्ठी / हल षष्ठी / बलराम जयन्ती

बुधवार 6 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण सप्तमी / भानु सप्तमी / श्री कृष्ण जन्माष्टमी स्मार्त

गुरुवार 7 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण अष्टमी / श्री कृष्ण जन्म महोत्सव / नन्दोत्सव / दही हांडी

शुक्रवार 8 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण नवमी / गोगा नवमी

रविवार 10 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण एकादशी / अजा एकादशी

सोमवार 11 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण द्वादशी / पजूसन पर्व (श्वेताम्बर जैन) आरम्भ

मंगलवार 12 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी / प्रदोष व्रत

गुरुवार 14 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण अमावस्या / दर्श अमावस्या / अन्वाधान / पिठौरी अमावस्या / कुशग्रहणी अमावस्या

शुक्रवार 15 सितम्बर – भाद्रपद कृष्ण अमावस्या / इष्टि

रविवार 17 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल द्वितीया / विश्वकर्मा पूजा / कन्या संक्रान्ति / सूर्य का कन्या में संक्रमण दिन में 1:43 पर / पुण्य काल 1:43 से सायं 6:24 तक / महा पुण्य काल दिन में 1:43 से 3:46 तक

सोमवार 18 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल तृतीया / हरितालिका तीज / वाराह जयन्ती

मंगलवार 19 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी / गणेश चतुर्थी

बुधवार 20 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल पञ्चमी / ऋषि पञ्चमी / श्वेताम्बर जैन समाज के दशदिवसीय दशलाक्षण पर्व – साम्वत्सरिक पर्व – आरम्भ

शुक्रवार 22 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल सप्तमी / ललिता सप्तमी / दूर्वा अष्टमी / महालक्ष्मी व्रतारम्भ

शनिवार 23 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल अष्टमी / राधा अष्टमी

सोमवार 25 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल दशमी / पार्श्व एकादशी स्मार्त / सुगन्ध दशमी

मंगलवार 26 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल द्वादशी / पार्श्व एकादशी वैष्णव / वामन जयन्ती / पञ्चक आरम्भ रात्रि 08:28 पर

बुधवार 27 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी / प्रदोष व्रत

गुरुवार 28 सितम्बर – भाद्रपद शुक्ल / गणेश विसर्जन / अनन्त चतुर्दशी व्रत / दशलाक्षण पर्व सम्पन्न

शुक्रवार 29 सितम्बर – भाद्रपद पूर्णिमा / पूर्णिमा का श्राद्ध / पितृपक्ष आरम्भ / भाद्रपद मास समाप्त

भाद्रपद मास में आने वाले सभी व्रतोत्सव सभी के लिए मंगलमय हों यही कामना है…