श्राद्ध पर्व 2023 की तिथियाँ

श्राद्ध पर्व 2023 की तिथियाँ

श्राद्ध पर्व 2023 की तिथियाँ

भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी यानी अनन्त चतुर्दशी – गुरुवार 28 सितम्बर को क्षमावाणी के साथ जैन मतावलम्बियों के दशलाक्षण पर्व का समापन हो जाएगा | इसी दिन अनन्त चतुर्दशी का पावन पर्व भी मनाया जाएगा | इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बाँधा जाता है | उसके दूसरे दिन भाद्रपद अथवा प्रौष्ठपदी पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध होकर सोलह दिनों का श्राद्ध पक्ष आरम्भ हो जाएगा जो 14 अक्तूबर को महालया के साथ सम्पन्न हो जाएगा और रविवार 15 अक्तूबर से कलश स्थापना के साथ भगवती की उपासना के दशदिवसीय पर्व शारदीय नवरात्र आरम्भ हो जाएँगे | इस वर्ष श्रावण मास में अधिक मास होने के कारण कुछ विलम्ब से श्राद्ध पक्ष का आरम्भ हो रहा है |

श्राद्ध को अनेक स्थानों पर “कनागत” भी कहा जाता है | कनागत शब्द की व्युत्पत्ति कन्या शब्द से हुई है – कन्यायां गतः सूर्यः इति कन्यागतः – अर्थात इस समय सूर्य प्रायः कन्या राशि में विद्यमान रहता है इस कारण से इस पक्ष को “कन्यागतः” कहा जाता था – जो कालान्तर में अपभ्रंश होता हुआ “कनागत” बन गया | चन्द्रमा की गति के अनुसार कभी इसमें कुछ दिनों का अन्तर हो भी सकता है, किन्तु प्रायः श्राद्ध पक्ष के समाप्त होते होते भगवान भास्कर कन्या राशि में प्रस्थान कर जाते हैं | इस वर्ष भी रविवार 17 सितम्बर भाद्रपद शुक्ल तृतीया को दोपहर 1:31 के लगभग सूर्य का संक्रमण कन्या राशि में हो जाएगा और 18 अक्तूबर तक भगवान भास्कर वहीं भ्रमण करेंगे |

यों तो आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से 15 दिन के पितृ पक्ष का आरम्भ माना जाता है | किन्तु जिनके प्रियजन पूर्णिमा को ब्रह्मलीन हुए हैं, जिनकी अकाल मृत्यु हुई है अथवा जिनके देहावसान की तिथि के विषय में ज्ञात नहीं है उनका श्राद्ध पक्ष आरम्भ होने से एक दिन पूर्व अर्थात भाद्रपद पूर्णिमा को करने का विधान है |

श्राद्ध कर्म करने के लिए दिन में चार मुहूर्त श्रेयस्कर माने गए हैं – कुतुप मुहूर्त – जो प्रायः प्रातः 11:30 से 12:30 के मध्य होता है, अभिजित मुहूर्त – यह प्रतिदिन परिवर्तित होता रहता है – किन्तु प्रायः कुतुप काल के आस पास ही आता है, रोहिणी मुहूर्त – नाम से ही स्पष्ट है – रोहिणी नक्षत्र का समय, और मध्याह्न काल – यदि प्रथम तीन मुहूर्त न मिलें तो मध्याह्न काल में श्राद्ध कर्म करना चाहिए | किन्तु हमारी स्वयं की मान्यता है कि अपनी सुविधानुसार जिस समय चाहे पितृगणों के लिए तर्पणादि कार्य किये जा सकते हैं – हमारे पूर्वज हमें कभी हानि तो नहीं ही पहुँचाएँगे अपितु हम पर सदा कृपादृष्टि ही बनाए रखेंगे – आवश्यकता है श्रद्धापूर्वक हृदय से उनका स्मरण करने की |

इस वर्ष श्राद्ध की तिथियाँ इस प्रकार रहेंगी…

शुक्रवार 29 सितम्बर – पूर्णिमा श्राद्ध

शनिवार 30 सितम्बर – प्रतिपदा श्राद्ध

पितृपक्ष 2023 की तिथियाँ
पितृपक्ष 2023 की तिथियाँ

रविवार 1 अक्टूबर – द्वितीया श्राद्ध

सोमवार 2 अक्टूबर – तृतीया श्राद्ध

मंगलवार 03 अक्टूबर – चतुर्थी श्राद्ध

बुधवार 04 अक्टूबर – पञ्चमी श्राद्ध

गुरुवार 05 अक्टूबर – षष्ठी श्राद्ध

शुक्रवार 06 अक्टूबर – सप्तमी श्राद्ध

शनिवार 07 अक्टूबर – अष्टमी श्राद्ध

रविवार 08 अक्टूबर – नवमी श्राद्ध

सोमवार 09 अक्टूबर – दशमी श्राद्ध

मंगलवार 10 अक्टूबर – एकादशी श्राद्ध

बुधवार 11 अक्टूबर – द्वादशी श्राद्ध

गुरुवार 12 अक्टूबर – त्रयोदशी श्राद्ध

शुक्रवार 13 अक्तूबर – चतुर्दशी श्राद्ध

शनिवार 14 अक्टूबर – सर्व पितृ अमावस्या / वर्ष का अन्तिम सूर्य ग्रहण अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील, पेरू, पराग्वे, जमैका, क्यूबा, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला आदि देशों में दिखाई देगा, भारत में नहीं दिखाई देगा अतः यहाँ सूतक आदि के नियम भी लागू नहीं होंगे

आज हम जो कुछ भी हैं उन्हीं अपने पूर्वजों के कारण हैं… हमारा अस्तित्व उन्हीं के कारण है… उनके उपकारों का कुछ मोल तो नहीं दिया जा सकता, किन्तु उनके प्रति श्रद्धा सुमन तो समर्पित किये ही जा सकते हैं… तो आइये श्रद्धापूर्वक अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए समर्पित करें उनके प्रति श्रद्धा-सुमन…