शारदीय नवरात्र 2023 की तिथियाँ
शनिवार 14 अक्तूबर को महालया के साथ ही हमारे पूर्वज अपने शाश्वत धाम को वापस लौट जाएँगे और उसके दूसरे दिन यानी रविवार 15 अक्तूबर आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र आरम्भ हो जाएँगे |
प्रायः लोग देवी के वाहन के विषय में बात करते हैं, तो इसके विषय में देवी भागवत महापुराण में कहा गया है :
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे, गुरौशुक्रे च दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता
अर्थात नवरात्र का आरम्भ यदि सोमवार या रविवार से हो तो भगवती का वाहन हाथी होता है, शनिवार या मंगलवार को हो तो अश्व, शुक्रवार या गुरूवार को हो तो डोली तथा बुधवार को हो तो नौका भगवती का वाहन होता है | इस वर्ष क्योंकि रविवार से नवरात्र आरम्भ हो रहे हैं अतः भगवती का वाहन हाथी है | भगवती का वाहन यदि हाथी हो तो वह अत्यन्त शुभ माना जाता है और माना जाता है कि उस वर्ष वर्षा उत्तम होने के कारण फसल अच्छी होती है तथा देश में अन्न के भण्डार भरे रहते हैं और सम्पन्नता बनी रहती है | इसी प्रकार भगवती के प्रस्थान के वाहन के भी विद्वज्जन कुछ संकेत मानते हैं, यथा : रविवार और सोमवार को भगवती का वाहन भैंसा होता है, जो शुभ नहीं माना जाता | शनिवार और मंगलवार को मुर्गे की सवारी मानी जाती है जो वाहन कष्ट का संकेत देती है | बुधवार और शुक्रवार को हाथी – जो सम्पन्नता का प्रतीक है | गुरुवार का वाहन मनुष्य स्वयं है – जो सुख समृद्धि का द्योतक है | इस वर्ष नवमी को जो लोग विसर्जन करते हैं उनके लिए सोमवार होने के कारण देवी भैंसे पर जाएँगी और दशमी को मंगलवार होने के कारण मुर्गे पर जाएँगी – जो दोनों ही शुभ नहीं माने जाते |
किन्तु इस विषय में हमारी स्वयं की मान्यता है कि जब भगवती का आगमन शुभ योगों में हो रहा है तो जन साधारण के लिए वर्ष भर शुभत्व ही रहना चाहिए | साथ ही, पूर्ण भक्ति भावना की गई उपासना किसी भी मुहूर्त में की जाए – अनुकूल फल ही प्रदान करेगी | अतः किसी प्रकार के भ्रम की आवश्यकता नहीं है |
इस वर्ष प्रतिपदा तिथि का आरम्भ चौदह अक्तूबर को रात्रि 11:24 के लगभग होगा जो पन्द्रह अक्तूबर को अर्धरात्रि में 12:32 तक रहेगी | चौदह अक्तूबर को ही सायं 4:24 से चित्रा नक्षत्र आरम्भ हो जाएगा जो पन्द्रह को सायं 6:13 तक रहेगा | विद्वानों की मानें तो घट स्थापना में चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग का यथासम्भव त्याग करना नहीं चाहिए, किन्तु इन्हें वर्जित नहीं किया गया है | यदि कोई अन्य शुभ मुहूर्त न मिल रहा हो तो चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में भी घट स्थापना की जा सकती है – के मध्य घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है | विशेष मुहूर्त के लिए तो आपको अपने ज्योतिषी से ही मुहूर्त निकलवाना होगा | किसी भी अन्य मुहूर्त से बढ़कर द्विस्वभाव लग्न होनी आवश्यक है | पन्द्रह को सूर्योदय काल में लगभग सत्रह मिनट कन्या लग्न के शेष हैं – अतः इस समय यदि घट स्थापना कर सकें तो अत्युत्तम है | माँ भगवती के चरणों में ध्यान लगाते हुए सूर्योदय से लेकर कभी भी घट स्थापना कर सकते हैं |
तो प्रस्तुत है इस वर्ष के नवरात्रों की तिथियों की तालिका…
रविवार 15 अक्टूबर – आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि – घट स्थापना मुहूर्त के विषय में ऊपर लिख दिया है / शारदीय नवरात्र आरम्भ / प्रथम नवरात्र / भगवती के शैलपुत्री रूप की उपासना /महाराजा अग्रसेन जयन्ती
सोमवार 16 अक्टूबर – आश्विन शुक्ल द्वितीया / द्वितीय नवरात्र / भगवती के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासना
मंगलवार 17 अक्टूबर – आश्विन शुक्ल तृतीया / तृतीय नवरात्र / भगवती के चन्द्रघंटा रूप की उपासना
बुधवार 18 अक्टूबर – आश्विन शुक्ल चतुर्थी / चतुर्थ नवरात्र / भगवती के कूष्माण्डा रूप की उपासना
गुरुवार 19 अक्टूबर – आश्विन शुक्ल पञ्चमी / पञ्चम नवरात्र / भगवती के स्कन्दमाता रूप की उपासना
शुक्रवार 20 अक्टूबर – आश्विन शुक्ल षष्ठी / षष्टं नवरात्र / भगवती के कात्यायनी रूप की उपासना / सरस्वती आह्वाहन पूजा
शनिवार 21 अक्तूबर – आश्विन शुक्ल सप्तमी / सप्तम नवरात्र / भगवती के कालरात्रि रूप की उपासना / सरस्वती पूजा
रविवार 22 अक्तूबर – आश्विन शुक्ल अष्टमी / अष्टम नवरात्र / भगवती के महागौरी रूप की उपासना / सरस्वती बलिदान
सोमवार 23 अक्तूबर – आश्विन शुक्ल नवमी / नवम नवरात्र / भगवती के सिद्धिदात्री रूप की उपासना / सरस्वती विसर्जन
मंगलवार 24 अक्तूबर – आश्विन शुक्ल दशमी / विजया दशमी / प्रतिमा विसर्जन / अपराजिता देवी की उपासना / विद्यारम्भ / माधवाचार्य जयन्ती
तो आइये, माँ भगवती अपने सभी रूपों में समस्त जगत का कल्याण करें इसी कामना के साथ आह्वाहन-स्थापन करें भगवती का और व्यतीत करें कुछ समय उनके सान्निध्य में…