वर्ष 2024 मे पञ्चक

वर्ष 2024 मे पञ्चक

वर्ष 2024 मे पञ्चक

नमस्कार मित्रों ! वर्ष 2023 को विदा करके वर्ष 2024 आने वाला है… सर्वप्रथम सभी को वर्ष 2024 के लिये अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ… हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नूतन वर्ष के आरम्भ से पूर्व प्रस्तुत है वर्ष 2024 में आने वाले पञ्चकों की एक तालिका… किन्तु तालिका प्रस्तुत करने से पूर्व आइये जानते हैं कि पञ्चक वास्तव में होते क्या हैं |

पञ्चकों का निर्णय चन्द्रमा की स्थिति से होता है | घनिष्ठा से रेवती तक पाँच नक्षत्र पञ्चक समूह में आते हैं | अर्थात घनिष्ठा, शतभिषज, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में जब चन्द्रमा होता है तब यह स्थिति नक्षत्र पञ्चक – पाँच विशिष्ट नक्षत्रों का समूह – कहलाती है | इनमें दो नक्षत्र – पूर्वा भाद्रपद और रेवती – सात्विक नक्षत्र हैं, तथा शेष तीन – शतभिषज धनिष्ठा और उत्तरभाद्रपद – तामसी नक्षत्र हैं | इन पाँचों नक्षत्रों में चन्द्रमा क्रमशः कुम्भ और मीन राशियों पर भ्रमण करता है | अर्थात चन्द्रमा के मेष राशि में आ जाने पर पञ्चक समाप्त हो जाते हैं | इस प्रकार वर्ष भर में कई बार पञ्चकों का समय आता है |

वास्तव में तो धनिष्ठा के तृतीय चरण से लेकर रेवती के अन्त तक का समय पञ्चक का समय माना जाता है – यानी धनिष्ठा के दो पाद, शतभिषज, दोनों भाद्रपद और रेवती के चारों पाद पञ्चक समूह में आते हैं | पञ्चकों को प्रायः किसी भी शुभ कार्य के लिए अशुभ माना गया है | इस अवधि में बच्चे का नामकरण तो नितान्त ही वर्जित है | ऐसी भी मान्यता है कि पञ्चक में यदि किसी का स्वर्गवास हो जाए तो पञ्चकों के समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए और उसकी समस्त क्रियाएँ पञ्चकों की समाप्ति पर कुछ शान्ति उपायों के साथ सम्पन्न करनी चाहियें | अर्थात पञ्चक काल में शव का दाह संस्कार नहीं करना चाहिए अन्यथा परिवार के लिए शुभ नहीं होता |

पञ्चकों के अलग अलग वार के अनुसार अलग अलग फल होते हैं | जैसे सोमवार को यदि पञ्चकों का आरम्भ हो तो उन्हें राज पञ्चक कहा जाता है जो शुभ माना जाता है | यदि “राज पञ्चक” की मान्यता को मानें तो इसका अर्थ यह हुआ कि इस अवधि में कोई शुभ कार्य भी किया जा सकता है | इसके अतिरिक्त रविवार को आरम्भ होने वाले पञ्चकों को रोग पञ्चक माना जाता है, शुक्रवार को आरम्भ होने वाले पञ्चकों को चोर पञ्चक और मंगलवार को आरम्भ होने वाले पञ्चकों को अग्नि पञ्चक माना जाता है | नाम से ही स्पष्ट है कि मान्यता के अनुसार इन पञ्चकों में रोग, आग लगने अथवा चोरी आदि का भय हो सकता है | जैसे धनिष्ठा नक्षत्र में कोई कार्य आरम्भ करने से अग्नि का भय हो सकता है, शतभिषज में क्लेश का भय, पूर्वाभाद्रपद रोगकारक, उत्तर भाद्रपद में दण्ड का भय तथा रेवती नक्षत्र में कोई कार्य आरम्भ करने पर धनहानि का भय माना जाता है | इनके अतिरिक्त गुरुवार और बुधवार को आरम्भ होने वाले पञ्चकों को सदा शुभ माना जाता है |

कुछ अन्य कार्यों की भी मनाही पञ्चकों के दौरान होती है – जैसे दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए | लेकिन आज के प्रतियोगिता के युग में यदि किसी व्यक्ति का नौकरी के लिए इन्टरव्यू उसी दिन हो और उसे दक्षिण दिशा की ही यात्रा करनी पड़ जाए तो वह कैसे इस नियम का पालन कर सकता है ? यदि पञ्चकों के भय से वह इन्टरव्यू देने नहीं जाएगा तो जो कार्य उसे मिलने की सम्भावना हो सकती थी वह कार्य उसके हाथ से निकल कर किसी और को मिल सकता है |

एक और मान्यता है कि पञ्चकों के एक विशेष नक्षत्र में लकड़ी इत्यादि इकट्ठा करने का या छत आदि डलवाने का कार्य नहीं करना चाहिए | लेकिन आज जिस प्रकार की व्यस्तताओं में हर व्यक्ति घिरा हुआ है उसके चलते ऐसा भी तो हो सकता है कि व्यक्ति को उसी दिन अपने ऑफिस से अवकाश मिला हो और उसी दिन उसे वह कार्य सम्पन्न करना हो ?

ऐसी भी मान्यता है कि इस अवधि में किया कोई भी कार्य पाँचगुना फल देता है | इस स्थिति में तो इस अवधि में किये गए शुभ कार्यों का फल भी पाँच गुना प्राप्त होना चाहिए – केवल अशुभ कार्यों का ही फल पाँच गुणा क्यों हो ? सम्भवतः इसी विचार के चलते कुछ लोगों ने ऐसा विचार किया कि पञ्चक केवल अशुभ ही नहीं होते, शुभ भी हो सकते हैं | इसीलिए पञ्चकों में सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य करना अच्छा माना जाता है | पञ्चक के अन्तर्गत आने वाले तीन नक्षत्र – पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद और रेवती – में से कोई यदि रविवार को आए तो वह बहुत शुभ योग तथा कार्य में सफलता प्रदान करने वाला माना जाता है |

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारी ऐसी मान्यता है कि ज्योतिष के प्राचीन सूत्रों को – प्राचीन मान्यताओं को – आज की परिस्थितियों के अनुकूल उन पर शोध कार्य करके यदि संशोधित नहीं किया जाएगा तो उनका वास्तविक लाभ उठाने से हम वंचित रह सकते हैं | वैसे भी ज्योतिष के आधार पर कुण्डली का फल कथन करते समय भी देश-काल-व्यक्ति का ध्यान रखना आवश्यक होता है | तो फिर विशिष्ट शुभाशुभ कालों पर भी इन सब बातों पर विचार करना चाहिए | साथ ही हर बात का उपाय होता है | किसी भी बात से भयभीत होने की अपेक्षा यदि उसके उपायों पर ध्यान दिया जाए तो उस निषिद्ध समय का भी सदुपयोग किया जा सकता है |

तोअपने कर्तव्य कर्मों का पालन करते हुए हम सभी का जीवन मंगलमय रहे और सब सुखी रहें… इसी भावना के साथ प्रस्तुत है वर्ष 2024 में आने वाले पञ्चकों की एक तालिका…

शनिवार 13 जनवरी रात्रि 11:35  से गुरूवार 18 जनवरी अर्धरात्रयोत्तर 03:33 तक – मृत्यु पञ्चक

शनिवार 10 फ़रवरी प्रातः 10:02 से बुधवार 14 फ़रवरी प्रातः 10:43 तक – मृत्यु पञ्चक

शुक्रवार 08 मार्च रात्रि 9:20 से मंगलवार 12 मार्च रात्रि 8:29 तक – चोर पञ्चक

शुक्रवार 05 अप्रैल प्रातः 07:12 से मंगलवार 09 अप्रैल प्रातः 07:32 तक – चोर पञ्चक

गुरूवार 02 मई दिन में 2:32 से सोमवार 06 मई सायं 5:43 तक

बुधवार 29 मई रात्रि 8:06 से सोमवार 03 जून अर्ध रात्रि में 01:40 तक

बुधवार 26 जून अर्ध रात्रि में 01:49 से रविवार 30 जून प्रातः 07:34 तक

मंगलवार 23 जुलाई प्रातः 09:20 से शनिवार 27 जुलाई दिन में 1 बजे तक – अग्नि पञ्चक

सोमवार 19 अगस्त रात्रि 7 बजे से शुक्रवार 23 अगस्त रात्रि 7:54 तक – राज पञ्चक

सोमवार 16 सितम्बर प्रातः 05:44 से शुक्रवार 20 सितम्बर प्रातः 05:15 तक – राज पञ्चक

रविवार 13 अक्टूबर अपराह्न 3:44 से गुरूवार 17 अक्टूबर सायं 4:20 तक – रोग पञ्चक

शनिवार 09 नवम्बर रात्रि 11:27 से गुरूवार 14 नवम्बर अर्धरात्रयोत्तर  03:11 तक – मृत्यु पञ्चक

शनिवार 07 दिसम्बर प्रातः 05:07 से बुधवार 11 दिसम्बर प्रातः 11:48 तक – मृत्यु पञ्चक

अन्त में इतना हीकि ज्योतिष के प्राचीन सूत्रों को – प्राचीन मान्यताओं को – आज की परिस्थितियों के अनुकूल उन पर शोध कार्य करके यदि संशोधित नहीं किया जाएगा तो उनका वास्तविक लाभ उठाने से हम वंचित रह सकते हैं | वैसे भी ज्योतिष के आधार पर कुण्डली का फल कथन करते समय भी देश-काल-व्यक्ति का ध्यान रखना आवश्यक होता है | तो फिर विशिष्ट शुभाशुभ काल निर्णय के लिए भी इन सब बातों पर विचार करना चाहिए | साथ ही हर बात का उपाय होता है |

अन्त में यही कहेंगे कि किसी भी प्रकार के अन्धविश्वास से भयभीत होने की अपेक्षा अपने कर्म पर बल देना चाहिए… इसी भावना के साथ वर्ष 2024 की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ…