माघी मौनी अमावस्या
प्रत्येक माह में एक अमावस्या आती है | जो लोग पूर्णिमा के बाद कृष्ण प्रतिपदा को माह की प्रथम तिथि मानते हैं, अर्थात माह को पूर्णिमान्त मानते हैं, उनके लिए अमावस्या पन्द्रहवीं तिथि होती है और पूर्णिमा माह की अन्तिम तिथि होती है | और जो लोग अमावस्या के बाद शुक्ल प्रतिपदा से माह का आरम्भ मानते हैं, अर्थात माह को अमान्त मानते हैं, उनके लिए अमावस्या माह की अन्तिम तिथि होती है | वर्ष में बारह मासों की मिलाकर बारह अमावास्याएँ होती हैं और हर अमावस्या का अपना महत्त्व होता है | साथ ही अमावस्या को शिव तथा विष्णु दोनों की उपासना का विधान है |
इनमें से माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है | इस दिन पवित्र नदियों के संगम में स्नान करना तथा जप तप और दान धर्म करना पुण्य का कार्य माना जाता है | माघ मास का महत्त्व कार्तिक मास के सामान ही माना जाता है | माना जाता है कि इस दिन सभी देवतागण पवित्र नदियों में स्नान करने आते हैं और इसीलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है ऐसी भी मान्यता है । सृष्टि के संचालक मनु का जन्म भी इसी दिन माना जाता है और इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी कहा जाता है ।
इस दिन मौन व्रत का पालन करते हुए मन ही मन ईश्वर के नाम स्मरण का बहुत महत्त्व है | मन की गति बहुत तीव्र मानी गई है | उसे वश में करने के लिए मौन रहकर नाम स्मरण करना मन को साधने की एक प्रकार की योगिक क्रिया भी है | इस प्रकार मौनी अमावस्या का सम्बन्ध एक ओर जहाँ पौराणिक सन्दर्भ समुद्र मन्थन के साथ जुड़ता है वहीं योग शास्त्र के साथ भी इसका सम्बन्ध बनता है | साथ ही एक विशिष्ट तिथि होने के कारण वैदिक ज्योतिष के साथ भी इसका सम्बन्ध बनता है | ज्योतिष शास्त्र तथा लोक मान्यताओं के अनुसार यदि यह अमावस्या सोमवती अथवा भौमवती हो – यानी सोमवार या मंगलवार को पड़े तो अत्यन्त पुण्यकारी होती है | इस वर्ष शुक्रवार नौ फरवरी को प्रातः आठ बजकर दो मिनट के लगभग चतुष्पद करण और व्यातिपत योग में अमावस्या तिथि का उदय होगा जो दस फरवरी को सूर्योदय से पूर्व 4:28 के लगभग समाप्त हो जाएगी | अतः नौ फ़रवरी को अमावस्या के व्रत का पालन किया जाएगा | स्नान का शुभ मुहूर्त सूर्योदय पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में 5:21 से ही आरम्भ हो जाएगा जो 6:13 तक रहेगा |
मुनि शब्द से मौनी शब्द की व्युत्पत्ति हुई है इस प्रकार वास्तविक मुनि वही होता है जो मौन व्रत का पालन करे | मौन व्रत का पालन केवल मौन रहना ही नहीं कहलाता, अपितु छल कपट लोभ मोह आदि जितने भी प्रकार के दुर्भाव होते हैं उन सबको मौन कर देना – उन सबसे मुक्त हो जाना – ही वास्तव में मौन का साधन होता है | तो क्यों न इस मौनी अमावस्या को हम सभी संकल्प लें कि अपने भीतर के समस्त दुर्गुणों को – समस्त दुर्भावों को मौन करने का – समाप्त करने का प्रयास करेंगे | यदि ऐसा सम्भव हो सका तो वास्तव में धरती पर ही स्वर्ग उतर आएगा…
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया: |
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद्दु:खभाग्भवेत् ||
मौनी अमावस्या के बाद ही 14 फरवरी को वसन्त का उल्लासमय पर्व तथा माँ वाणी का अवतरण दिवस भी मनाया जाएगा | सभी को माघी अमावस्या, वसन्त पँचमी की अनेकश: हार्दिक शुभकामनाएँ, इस भावना के साथ कि समस्त ज्ञान विज्ञान की दात्री माँ वाणी हम सबके जीवन को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करें… और हमारी वाणी में मधुर सत्य की स्थापना करें…
हर मन भीतर खिल उठे वसन्त
उत्साहों का उल्लासों का |
और प्रेम भरे मधुहासों संग
हर मन नर्तन कर झूम उठे ||
—–कात्यायनी