नव सम्वत्सर 2082

नव सम्वत्सर 2082

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी तीस मार्च से माँ भगवती की पूजा अर्चना का नव दिवसीय उत्सव साम्वत्सरिक नवरात्र सिद्धार्थ नामक विक्रम सम्वत 2082 के रूप में आरम्भ होने जा रहा है और रविवार 6 अप्रैल को कन्या पूजन तथा भगवान श्री राम के जन्म महोत्सव  रामनवमी के साथ नवरात्रों का समापन हो जाएगा | वसन्त ऋतु में होने के कारण इन नवरात्रों को वासन्तिक नवरात्र भी कहा जाता है |

इस वर्ष प्रतिपदा तिथि यों तो 29 मार्च को अपराह्न में 4:27 पर ब्रह्म योग और नाग करण में आरम्भ होगी जो 30 को दिन में 12:50 तक रहेगी | उदया तिथि होने के कारण 30 मार्च को घट स्थापना की जाएगी | इस दिन सूर्योदय 6:13 पर पर मीन लग्न में होगा, अतः सूर्योदय से लेकर वृषभ लग्न की समाप्ति यानी साढ़े दस बजे तक का समय घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है | इसके अतिरिक्त दिन में बारह बजे से 12:50 के मध्य अभिजित मुहूर्त भी भी घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है | कर्नाटक एवम् आन्ध्र में उगडी और महाराष्ट्र का गुडी परवा पर्व भी इसी दिन है | सर्वप्रथम सभी को उगडी और गुडी परवा तथा साम्वत्सरिक नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ…

इस वर्ष तृतीया तिथि का क्षय होने के कारण आठ दिनों के नवरात्र रहेंगे, जो निम्नवत हैं…

• रविवार 30 मार्च – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा – प्रथम नवरात्र, घट स्थापना के साथ साम्वत्सरिक नवरात्र आरम्भ, भगवती के शैलपुत्री रूप की उपासना

• सोमवार 31 मार्च – चैत्र शुक्ल द्वितीया प्रातः 9.12 तक, तत्पश्चात चैत्र शुक्ल तृतीया, जो पहली अप्रैल को सूर्योदय से पूर्व 5:43 तक रहेगी अतः तृतीया का क्षय – द्वितीय और तृतीय नवरात्र, भगवती के ब्रह्मचारिणी और चन्द्रघंटा रूपों की उपासना

• मंगलवार 1 अप्रैल – चैत्र शुक्ल चतुर्थी – चतुर्थ नवरात्र, भगवती के कूष्माण्डा रूप की उपासना

• बुधवार 2 अप्रैल – चैत्र शुक्ल पञ्चमी – पञ्चम नवरात्र, भगवती की स्कन्दमाता रूप की उपासना

• गुरुवार 3 अप्रैल – चैत्र शुक्ल षष्ठी – छठा नवरात्र, भगवती के कात्यायनी रूप की उपासना

• शुक्रवार 4 अप्रैल – चैत्र शुक्ल सप्तमी – सप्तम नवरात्र, भगवती के कालरात्रि रूप की उपासना

• शनिवार 5 अप्रैल – चैत्र शुक्ल अष्टमी – अष्टम नवरात्र, भगवती के महागौरी रूप की उपासना

• रविवार 6 अप्रैल – चैत्र शुक्ल नवमी – नवम् नवरात्र, भगवती के सिद्धिदात्री रूप की उपासना, रामनवमी – भगवान श्री राम जन्म महोत्सव

इस वर्ष साम्वत्सरिक नवरात्रों का आरम्भ सर्वार्थ सिद्धि, बुधादित्य, शुक्रादित्य आदि योगों के साथ हो रहा है तथा रविवार से आरम्भ और रविवार को ही समापन होने के कारण भगवती के आगमन और प्रस्थान दोनों का वाहन हस्ति है – ये सभी योग अत्यन्त शुभ संकेत हैं | हाथी शान्ति, कल्याण, दृढ़ता तथा सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है | अतः धन धान्य में वृद्धि तथा आर्थिक स्थिति में दृढ़ता की सम्भावना जन साधारण के लिए की जा सकती है |

नवीन सम्वत्सर का आरम्भ होता है तो भाचक्र में ग्रहों की नवीन संसद अर्थात महासभा भी बनती है और उसमें पदाधिकारी ग्रहों के आधार पर उस वर्ष के मौसम, अर्थ व्यवस्था, जन कल्याण, सुरक्षा, कृषि आदि के सन्दर्भों में शुभाशुभ फलों का निर्णय विद्वज्जन करते हैं | जिस वार से नवरात्र आरम्भ होते हैं उस वार का स्वामी उस वर्ष का राजा माना जाता है | इस वर्ष रविवार से सम्वत्सर आरम्भ हो रहा है अतः भगवान भास्कर इस वर्ष के राजा हैं | सूर्य उग्र ग्रह है इसलिए माना जा रहा है कि इस वर्ष भीषण गर्मी का प्रकोप रहेगा जिसके कारण जल संकट का सामना भी करना पड़ सकता है और इसका परिणाम मँहगाई में वृद्धि भी हो सकता है | राजनीतिक क्षेत्र का जहाँ तक प्रश्न है तो राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के प्रभावों में वृद्धि होगी तथा उनके प्रभावशाली नेतृत्व के कारण देश में दृढ़ता तथा अनुशासन में भी वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है |

किन्तु अन्य विभागों को यदि देखें तो, सस्येश बुध है जिसके कारण उत्तम वर्षा के योग भी बनते हैं तथा सुख समृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | जन मानस में आध्यात्मिक भावना तथा धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | बौद्धिक स्तर में भी वृद्धि की सम्भावना है | धान्येश इस वर्ष चन्द्र है जिसके कारण भी धन धान्य में वृद्धि की सम्भावना की जा सकती है | अतः ग्रहों की संसद के राजा, मंत्री तथा अन्य विभागों के स्वामित्व के आधार पर कह सकते हैं कि एक ओर तो भीषण गर्मी का प्रकोप रहेगा, किन्तु वहीं बीच बीच में उत्तम वर्ष के कारण उस गर्मी में कुछ कमी भी आ सकती है | जन साधारण अनुशासन से कार्य करते हुए सुख समृद्धि तथा शान्ति के मार्ग पर अग्रसर रहेगा |